योग क्या होता है? (What is Yoga in Panchang?)
हिंदू पंचांग के अनुसार, योग (Yoga) वह खगोलीय गणना है, जो सूर्य और चंद्रमा की स्थिति के आधार पर बनाई जाती है। यह पंचांग के पांच प्रमुख घटकों – तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण में से एक है।
योग का निर्माण सूर्य और चंद्रमा के सम्मिलित दीर्घांश (Longitude) को 13° 20′ के अंतराल में विभाजित करके किया जाता है। जब यह योग किसी विशेष डिग्री पर पहुँचता है, तो वह एक नया योग बनाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, योग का प्रभाव व्यक्ति के जीवन, कार्यों, स्वभाव और भाग्य पर पड़ता है। कुछ योग शुभ होते हैं, जो सौभाग्य और सफलता प्रदान करते हैं, जबकि कुछ अशुभ होते हैं, जो विलंब, कष्ट या बाधाएँ उत्पन्न कर सकते हैं।
योगों की संख्या और उनका वर्गीकरण (Types of Yogas in Panchang)
भारतीय पंचांग में कुल 27 योग होते हैं, जिन्हें ज्योतिषीय गणना के आधार पर शुभ और अशुभ दो भागों में विभाजित किया गया है।
1. शुभ योग (Auspicious Yogas)
ये योग सौभाग्य, सफलता, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते हैं।
- सिद्ध योग – इस योग में किए गए कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
- शुभ योग – यह दिन किसी भी शुभ कार्य के लिए बहुत उत्तम होता है।
- सर्वार्थ सिद्धि योग – यह योग सभी प्रकार की इच्छाओं को पूर्ण करने वाला माना जाता है।
- अमृत सिद्धि योग – इस योग में किए गए कार्य फलदायी होते हैं।
- राज योग – इस योग में जन्म लेने वाले व्यक्ति को उच्च पद और सफलता प्राप्त होती है।
2. अशुभ योग (Inauspicious Yogas)
ये योग अवरोध, नकारात्मकता और कष्टदायी स्थितियाँ उत्पन्न कर सकते हैं।
- गंड योग – यह योग कष्टदायक और अशुभ माना जाता है।
- वृद्धि योग – इस योग में कार्यों में अनावश्यक विलंब और बाधाएँ आती हैं।
- व्याघात योग – इस योग में संघर्ष और कठिनाइयाँ बढ़ जाती हैं।
- वज्र योग – यह योग झगड़े और विवाद उत्पन्न कर सकता है।
- शूल योग – इस योग में किसी भी शुभ कार्य को करने से बचना चाहिए।
27 योगों की सूची और उनके प्रभाव (List of 27 Yogas and Their Effects)
योग का नाम | प्रभाव (Effect) |
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1. विष्कंभ (Vishkambha) | शुभ, सफलता प्रदान करने वाला |
2. प्रीति (Preeti) | प्रेम और मैत्री को बढ़ाने वाला |
3. आयुष्मान (Ayushman) | दीर्घायु और स्वास्थ्य देने वाला |
4. सौभाग्य (Saubhagya) | सौभाग्य और समृद्धि देने वाला |
5. शोभन (Shobhana) | सुंदरता और आकर्षण बढ़ाने वाला |
6. अतिगंड (Atiganda) | संघर्ष और कठिनाइयों से भरा |
7. सुखर्मा (Sukarma) | पुण्य और धर्म को बढ़ाने वाला |
8. धृति (Dhriti) | धैर्य और स्थिरता बढ़ाने वाला |
9. शूल (Shoola) | कष्ट और मानसिक तनाव देने वाला |
10. गंड (Ganda) | विवाद और संघर्ष उत्पन्न करने वाला |
11. वृद्धि (Vriddhi) | व्यापार और धन में वृद्धि करने वाला |
12. ध्रुव (Dhruva) | स्थायित्व और दृढ़ता प्रदान करने वाला |
13. व्याघात (Vyaghata) | झगड़े और विवादों को जन्म देने वाला |
14. हर्षण (Harshana) | प्रसन्नता और सफलता देने वाला |
15. वज्र (Vajra) | कठिनाइयाँ और अवरोध लाने वाला |
16. सिद्धि (Siddhi) | सिद्धियों और सफलताओं को बढ़ाने वाला |
17. व्यतीपात (Vyatipata) | विपत्तियाँ और अशुभ परिणाम लाने वाला |
18._VARIATION : अनेक दोषों से ग्रसित | |
19. परिघ (Parigha) | मानसिक शांति को बाधित करने वाला |
20. शिव (Shiva) | शुभता और आध्यात्मिक शक्ति देने वाला |
21. सिद्ध (Siddha) | सफलता और उन्नति देने वाला |
22. साध्य (Sadhya) | लक्ष्य प्राप्ति में सहायक |
23. शुभ (Shubha) | समृद्धि और खुशहाली देने वाला |
24. शुक्ल (Shukla) | उज्ज्वल भविष्य और सफलता देने वाला |
25. ब्रह्म (Brahma) | ज्ञान और विद्या को बढ़ाने वाला |
26. इन्द्र (Indra) | शक्ति और शासन को मजबूत करने वाला |
27. वैधृति (Vaidhriti) | भ्रम और अस्थिरता लाने वाला |
योगों का ज्योतिषीय प्रभाव (Astrological Importance of Yogas)
- व्यक्तित्व पर प्रभाव: व्यक्ति जिस योग में जन्म लेता है, उसका स्वभाव और व्यक्तित्व उसी के अनुसार प्रभावित होता है।
- कार्य की सफलता: कुछ योगों में कार्य तुरंत सफल हो जाते हैं, जबकि कुछ योगों में अड़चनें आती हैं।
- विवाह और संतान योग: शुभ योगों में विवाह और संतान जन्म लेना अत्यंत फलदायी होता है।
- भविष्यवाणी और कुंडली मिलान: किसी की कुंडली में योगों का अध्ययन कर उसके भविष्य का अनुमान लगाया जाता है।
शुभ योगों में किए जाने वाले कार्य (Best Yogas for Auspicious Events)
- विवाह के लिए: सिद्धि, शुभ, सौभाग्य, ब्रह्म, साध्य
- व्यापार और नौकरी शुरू करने के लिए: वृद्धि, ध्रुव, हर्षण, आयुष्मान
- गृह प्रवेश के लिए: शोभन, शिव, ब्रह्म, शुक्ल
- मंत्र सिद्धि और साधना के लिए: सिद्ध, सिद्धि, हर्षण, शुभ
योगों के उपाय (Remedies for Inauspicious Yogas)
- मंत्र जाप और हवन करें – विशेष रूप से भगवान शिव, विष्णु और हनुमान जी के मंत्रों का जाप करें।
- दान-पुण्य करें – जरूरतमंदों को अनाज, वस्त्र और धन का दान करें।
- रुद्राभिषेक और नवग्रह पूजा करें – इससे नकारात्मक प्रभाव समाप्त होते हैं।
- गाय को हरा चारा और पक्षियों को दाना डालें – इससे दुर्भाग्य कम होता है।
निष्कर्ष
योग पंचांग का एक अत्यंत महत्वपूर्ण घटक है, जो हमारे जीवन की विभिन्न घटनाओं को प्रभावित करता है। शुभ योगों में किए गए कार्य सफलता और सौभाग्य प्रदान करते हैं, जबकि अशुभ योगों में कुछ उपाय करने की सलाह दी जाती है। यदि व्यक्ति अपनी कुंडली में मौजूद योगों को समझकर उचित उपाय करे, तो जीवन में सफलता, समृद्धि और शांति प्राप्त कर सकता है।