शीतला अष्टमी 2025 का महत्व और धार्मिक प्रभाव
शीतला अष्टमी (Sheetala Ashtami) हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार है, जिसे शीतला माता की पूजा के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है और इसे बसोड़ा पर्व के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग एक दिन पहले बना हुआ भोजन ग्रहण करते हैं और चूल्हा नहीं जलाते, जिससे इसे बसोड़ा पर्व भी कहा जाता है।
माँ शीतला को रोगनाशिनी और विशेष रूप से चेचक (smallpox), खसरा, और अन्य संक्रामक रोगों से रक्षा करने वाली देवी माना जाता है। इस दिन व्रत, हवन और शीतला माता की पूजा करने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और बीमारियों से रक्षा होती है।
शीतला अष्टमी 2025 कब है? (Sheetala Ashtami 2025 Date & Time)
शीतला अष्टमी होली के बाद आने वाली अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। 2025 में यह पर्व 25 मार्च (मंगलवार) को मनाया जाएगा।
घटना | समय (IST) |
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अष्टमी तिथि प्रारंभ | 24 मार्च 2025, रात 11:45 बजे |
अष्टमी तिथि समाप्त | 25 मार्च 2025, रात 09:30 बजे |
पूजा का शुभ मुहूर्त | 25 मार्च 2025, सुबह 06:00 से 09:00 बजे तक |
शीतला अष्टमी की पौराणिक कथा (Sheetala Ashtami Vrat Katha)
शीतला अष्टमी से जुड़ी एक प्रमुख कथा इस प्रकार है:
शीतला माता और राजा की कथा
प्राचीन समय में एक राजा था, जो शीतला माता का भक्त नहीं था। उसने अपने राज्य में शीतला माता की पूजा पर रोक लगा दी। इसके परिणामस्वरूप उसके राज्य में चेचक और अन्य भयंकर रोग फैल गए। जब राजा ने देखा कि बीमारी काबू से बाहर हो रही है, तो उसने एक संत से उपाय पूछा।
संत ने बताया कि शीतला माता की पूजा और व्रत करने से ही इस महामारी का समाधान संभव है। राजा ने शीतला माता का विधिपूर्वक पूजन किया और राज्य में फिर से खुशहाली आ गई। तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से संक्रामक रोगों से बचाव होता है।
शीतला अष्टमी व्रत करने के लाभ (Sheetala Ashtami Vrat Benefits)
- संक्रामक रोगों से रक्षा: माता शीतला को रोगनाशिनी देवी कहा जाता है, और उनकी पूजा करने से खसरा, चेचक और अन्य संक्रामक रोगों से बचाव होता है।
- परिवार में सुख-शांति: इस व्रत को करने से परिवार में स्वास्थ्य, शांति और समृद्धि बनी रहती है।
- बच्चों की सुरक्षा: विशेष रूप से बच्चों को बीमारियों से बचाने के लिए यह व्रत किया जाता है।
- नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति: इस दिन हवन और माता की पूजा करने से बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
- मनोकामना पूर्ति: सच्चे मन से यह व्रत करने से मनचाही इच्छाएँ पूर्ण होती हैं।
शीतला अष्टमी पूजा विधि (Sheetala Ashtami Puja Vidhi)
- पूर्व संध्या पर भोजन बनाना: इस व्रत की विशेषता यह है कि इस दिन चूल्हा नहीं जलाया जाता। इसलिए, एक दिन पहले भोजन (रोटी, पूड़ी, हलवा, दही, बासी चावल) तैयार किया जाता है।
- स्नान और संकल्प: सुबह जल्दी उठकर गंगा जल से स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
- मंदिर में जाकर माता शीतला की पूजा करें: माता को बासी भोजन, मीठे व्यंजन, रोटी, दही, गुड़ और चावल अर्पित करें।
- धूप-दीप जलाकर माता शीतला की कथा सुनें।
- शीतला माता के मंत्र का जाप करें:
- “ॐ ह्रीं शीतलायै नमः”
- “ॐ देवी शीतलायै नमः”
- हवन करें: घर में शुद्धता बनाए रखने के लिए गुग्गुल, लोबान और देशी घी से हवन करें।
- बच्चों को तिलक लगाएँ और आशीर्वाद दें।
- गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराएँ।
शीतला अष्टमी पर किए जाने वाले विशेष उपाय (Sheetala Ashtami Ke Upay)
- घर में गंगाजल का छिड़काव करें: इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
- बासी भोजन माता शीतला को अर्पित करें: इससे बीमारियों से बचाव होता है।
- बच्चों के माथे पर हल्दी और चंदन का तिलक लगाएँ: यह रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है।
- शीतला माता का चित्र घर के उत्तर-पूर्व कोण में लगाएँ: यह परिवार में सुख-शांति लाता है।
- गाय को हरा चारा और गुड़ खिलाएँ: इससे स्वास्थ्य लाभ और कर्ज से मुक्ति मिलती है।
शीतला अष्टमी 2025 के लिए शुभकामना संदेश और शायरी
- “शीतला माता का आशीर्वाद आपके परिवार को स्वस्थ और समृद्ध बनाए। शुभ शीतला अष्टमी!”
- “माँ शीतला आपके जीवन से सभी रोगों और कष्टों को दूर करें। शीतला अष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!”
- “बसोड़ा पर्व की शुभकामनाएँ! माँ शीतला की कृपा से आपका घर खुशियों से भरा रहे।”
- “शीतला माता के आशीर्वाद से आपके परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे।”
- “माँ शीतला आपके जीवन को रोगमुक्त और आनंदमय बनाए। जय माता दी!”
निष्कर्ष
शीतला अष्टमी 2025 केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, स्वच्छता और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है। यह पर्व हमें संक्रामक रोगों से बचाव, स्वच्छता के महत्व और माता शीतला की कृपा प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है। इस दिन पूजा, व्रत, दान और हवन करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है और परिवार के सभी सदस्य रोगमुक्त और सुखी रहते हैं। आइए, इस शीतला अष्टमी को पूरे भक्तिभाव और श्रद्धा के साथ मनाएँ और माँ शीतला का आशीर्वाद प्राप्त करें।