By using this site, you agree to the Privacy Policy and Terms of Use.
Accept
Aaj Kya Hai Aaj Kya Hai
  • होमहोमहोम
  • तिथि
  • पंचांग
  • शुभ मुहूर्त
  • त्यौहार
  • राष्ट्रीय दिवस
  • जन्मदिन
  • राशिफल
Sign In
Aaj Kya HaiAaj Kya Hai
Font ResizerAa
  • होमहोमहोम
  • तिथि
  • पंचांग
  • शुभ मुहूर्त
  • त्यौहार
  • राष्ट्रीय दिवस
  • जन्मदिन
  • राशिफल
Search
  • होमहोमहोम
  • तिथि
  • पंचांग
  • शुभ मुहूर्त
  • त्यौहार
  • राष्ट्रीय दिवस
  • जन्मदिन
  • राशिफल
Have an existing account? Sign In
Follow US
  • Advertise with us
  • Newsletters
  • Complaint
  • Deal
© {year} Foxiz. Ruby Design Company. All Rights Reserved.
Aaj Kya Hai > धर्म संसार > पंचांग > करण: पंचांग में महत्व, प्रकार और ज्योतिषीय प्रभाव

करण: पंचांग में महत्व, प्रकार और ज्योतिषीय प्रभाव

Share

करण क्या होता है? (What is Karana in Panchang?)

करण (Karana) हिंदू पंचांग के पांच प्रमुख घटकों (तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण) में से एक है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, एक तिथि दो करणों से मिलकर बनती है। प्रत्येक करण की अवधि 6° (डिग्री) होती है, और यह चंद्रमा और सूर्य के बीच के कोणीय संबंध पर आधारित होता है।

शुभ करणों में किए गए कार्यों से सफलता मिलती है, जबकि अशुभ करण बाधाएँ उत्पन्न कर सकते हैं। यह किसी व्यक्ति के स्वभाव, कार्यों की सफलता और जीवन की घटनाओं को प्रभावित करता है।


करणों की संख्या और उनका वर्गीकरण (Types of Karana and Their Classification)

भारतीय ज्योतिष में कुल 11 करण होते हैं, जिन्हें दो वर्गों में विभाजित किया जाता है:

1. स्थिर करण (Fixed Karanas – Char Karana)

स्थिर करण हमेशा विशेष तिथियों में आते हैं और नहीं बदलते। ये चार करण निम्नलिखित हैं:

  1. शकुनी (Shakuni) – विवादों और राजनीति के लिए शुभ।
  2. चतुष्पद (Chatushpada) – पशुपालन और कृषि कार्यों के लिए अच्छा।
  3. नाग (Naag) – तांत्रिक कार्यों और रहस्यमय कार्यों के लिए उपयोगी।
  4. किंस्तुघ्न (Kinstugna) – यह करण सामान्यतः अशुभ माना जाता है।

2. चल करण (Movable Karanas – Chara Karana)

चल करण बार-बार बदलते हैं और एक तिथि में दो बार आते हैं। इनका उपयोग दैनिक जीवन के कार्यों के लिए किया जाता है। ये सात हैं:

  1. बव (Bava) – शुभ कार्यों और नए कार्यों की शुरुआत के लिए उत्तम।
  2. बालव (Balava) – शिक्षा और विद्या संबंधी कार्यों के लिए अच्छा।
  3. कौलव (Kaulava) – सामाजिक और पारिवारिक कार्यों के लिए उत्तम।
  4. तैतिल (Taitila) – व्यावसायिक कार्यों के लिए अनुकूल।
  5. गर (Gara) – अनुशासन और संगठन से जुड़े कार्यों के लिए शुभ।
  6. वणिज (Vanija) – व्यापार और सौदेबाजी के लिए सर्वश्रेष्ठ।
  7. विष्टि (Vishti) (भद्रा करण) – अशुभ माना जाता है और इस समय शुभ कार्य नहीं करने चाहिए।

करणों की गणना और उनका समय निर्धारण (Calculation of Karanas and Their Time Duration)

  1. एक तिथि 12° की होती है और प्रत्येक करण 6° का होता है।
  2. प्रत्येक तिथि में दो करण होते हैं – पहला आधे भाग में और दूसरा दूसरे आधे भाग में।
  3. चंद्रमा और सूर्य की सटीक स्थिति के आधार पर, पंचांग में करणों का समय निर्धारित किया जाता है।

उदाहरण के लिए:

  • यदि कोई तिथि सुबह 6:00 बजे शुरू होती है और अगले दिन 6:00 बजे समाप्त होती है, तो पहले 12 घंटों में एक करण होगा और अगले 12 घंटों में दूसरा करण होगा।

करणों का ज्योतिषीय प्रभाव (Astrological Importance of Karanas)

  1. व्यक्ति के स्वभाव पर प्रभाव: जिस करण में व्यक्ति जन्म लेता है, वह उसके स्वभाव, बुद्धि और कर्मों पर असर डालता है।
  2. शुभ-अशुभ समय का निर्धारण: विवाह, गृह प्रवेश, व्यापार शुरू करने और यात्रा के लिए करणों को ध्यान में रखा जाता है।
  3. सफलता और बाधाएँ: शुभ करणों में किए गए कार्य सफल होते हैं, जबकि अशुभ करणों में कार्यों में बाधाएँ आती हैं।

शुभ कार्यों के लिए सर्वोत्तम करण (Best Karanas for Auspicious Events)

कार्यअनुकूल करण
विवाहबव, बालव, कौलव, वणिज
गृह प्रवेशबालव, कौलव, गर, वणिज
व्यापार शुरू करनावणिज, बव, गर, कौलव
नामकरण संस्कारबालव, बव, गर
नए कार्य की शुरुआतबव, कौलव, गर

अशुभ करणों में किए जाने वाले कार्यों के उपाय (Remedies for Inauspicious Karanas)

  1. विष्टि (भद्रा) करण में शुभ कार्य न करें।
  2. नाग और किंस्तुघ्न करण में कोई बड़ा निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ से सलाह लें।
  3. अशुभ करणों में हनुमान चालीसा और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
  4. जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करें।
  5. गाय को चारा और पक्षियों को दाना डालें, जिससे अशुभ प्रभाव कम हो सकते हैं।

करणों के आधार पर जन्म लिए व्यक्तियों के स्वभाव (Personality Traits Based on Karana at Birth)

करणस्वभाव और विशेषताएँ
बवसाहसी, ईमानदार, आत्मनिर्भर
बालवबुद्धिमान, शिक्षाविद, आध्यात्मिक
कौलवमिलनसार, सामाजिक, कूटनीतिज्ञ
तैतिलमहत्वाकांक्षी, व्यापारिक बुद्धि
गरअनुशासनप्रिय, मेहनती
वणिजव्यवसाय में कुशल, चतुर
विश्टि (भद्रा)कठोर, परिश्रमी, रहस्यमयी
शकुनीराजनीति और रणनीति में कुशल
चतुष्पदधैर्यवान, कर्मयोगी
नागआध्यात्मिक, तांत्रिक विद्या में रुचि
किंस्तुघ्नसंघर्षशील, मजबूत इरादों वाला

करणों का मुहूर्त में महत्व (Importance of Karana in Muhurat)

  • शुभ करणों में किए गए कार्य जल्दी फलदायी होते हैं और सफलता मिलती है।
  • अशुभ करणों में किए गए कार्यों में अनावश्यक बाधाएँ आती हैं।
  • विशेष रूप से भद्रा करण (विष्टि) में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता।
  • ग्रहण, भद्रा और अशुभ करणों में निवेश, खरीदारी, यात्रा और अन्य महत्वपूर्ण कार्यों से बचना चाहिए।

निष्कर्ष

करण पंचांग का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो हमारे जीवन की विभिन्न घटनाओं और निर्णयों को प्रभावित करता है। यदि हम करणों के शुभ-अशुभ प्रभावों को ध्यान में रखते हुए अपने कार्यों की योजना बनाएँ, तो जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।

Share This Article
Facebook Twitter Whatsapp Whatsapp LinkedIn Copy Link
Previous Article भाई दूज 2025: तिथि, महत्व, पूजा विधि, कथा और शुभ मुहूर्त
Next Article योग: पंचांग का महत्वपूर्ण घटक और इसका ज्योतिषीय प्रभाव
Leave a comment

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Follow Up On

FacebookLike
TwitterFollow
YoutubeSubscribe
TiktokFollow

यह भी पढ़े

Chhath Puja 2025

क्यों ख़ास है Chhath Puja 2025: जानिए अद्भुत रहस्य, तिथि और मान्यताएं!

Best Friends day

Best Friends Day – 8 June

edin rose connection with shreyash iyer

Love Triangle ने बढ़ाई सुर्खियाँ: पहले Dhanashree अब Edin Rose संग चर्चा में

Bear Grylls

Bear Grylls का जन्मदिन: 7 मार्च

Eid Mubarak

Eid Mubarak – ईद मुबारक – रोमांचक और भावनात्मक बकरीद 2025

द्वितीया तिथि

द्वितीया तिथि

- Advertisement -
Ad image

You Might Also Like

क्यों जरूरी है Nirjala Ekadashi में दान देना। जल्दी पूरी होती है मनोकामना
धर्म संसारBlogपंचांग

क्यों जरूरी है Nirjala Ekadashi में दान देना। जल्दी पूरी होती है मनोकामना

9 Min Read
निर्जला एकादशी व्रत कि पौराणिक कथा
धर्म संसारपंचांग

Nirjala Ekadashi व्रत कथा

9 Min Read
त्यौहारतिथिपंचांग

मासिक शिवरात्रि 2025: तिथि, महत्व, व्रत विधि, कथा और पूजन विधान

6 Min Read
त्यौहारतिथिपंचांग

पापमोचनी एकादशी 2025: तिथि, महत्व, व्रत कथा, पूजा विधि और लाभ

6 Min Read

About Us

AajKyaHai.com आपका अपना डिजिटल मंच है, जहाँ आपको प्रतिदिन की तिथि, पंचांग, राशिफल, त्यौहार, भक्ति सामग्री, प्रसिद्ध जन्मदिन और ज्योतिषीय जानकारियाँ एक ही स्थान पर मिलती हैं। हमारा उद्देश्य भारतीय संस्कृति, धार्मिक परंपराओं और दैनिक आवश्यक जानकारी को सरल, सटीक और रोचक तरीके से प्रस्तुत करना है।

  • होमहोमहोम
  • तिथि
  • पंचांग
  • शुभ मुहूर्त
  • त्यौहार
  • राष्ट्रीय दिवस
  • जन्मदिन
  • राशिफल
  • होमहोमहोम
  • तिथि
  • पंचांग
  • शुभ मुहूर्त
  • त्यौहार
  • राष्ट्रीय दिवस
  • जन्मदिन
  • राशिफल
Copyright 2024
  • Home
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Contact
  • Home
  • तिथि
  • पंचांग
  • राशिफल
Go to mobile version
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?