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आज क्या है > Blog > Health > Lalima Abhiyan: एनीमिया मुक्त भारत की ओर एक कदम
Health

Lalima Abhiyan: एनीमिया मुक्त भारत की ओर एक कदम

Inderjeet Kumar
Last updated: June 6, 2025 7:26 pm
Inderjeet Kumar
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Lalima Abhiyan लालिमा अभियान
लालिमा अभियान
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लालिमा अभियान भारत सरकार एवं राज्य सरकारों द्वारा संचालित एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य पहल है, जिसका उद्देश्य देश में एनीमिया (खून की कमी) की समस्या को जड़ से समाप्त करना है। इस लेख में हम लालिमा अभियान के सभी पहलुओं—इतिहास, उद्देश्य, सरकारी आंकड़े, लाभार्थी, कार्यप्रणाली, लाभ एवं आवेदन प्रक्रिया—को विस्तार से समझेंगे।

Contents
लालिमा अभियान क्या है?लालिमा अभियान की पृष्ठभूमि और महत्वलालिमा अभियान के उद्देश्यलालिमा अभियान के सरकारी आंकड़े एवं लाभार्थीएनीमिया की वास्तविकता (NFHS-3 से NFHS-5 तक)लालिमा अभियान लाभार्थी वर्ग और अनुमानित संख्या (Anemia Mukt Bharat, 2022 लक्ष्य)मध्य प्रदेश का उदाहरण (लालिमा योजना)लालिमा अभियान की मुख्य कार्यप्रणालीसमन्वय और कार्यान्वयन संरचनाआयरन-फोलिक एसिड (IFA) सप्लीमेंटेशनपोषण शिक्षा एवं आहार विविधताजांच और मॉनिटरिंग (Hemoglobin Testing & Surveillance)लालिमा अभियान से लाभार्थियों के लिए प्रत्यक्ष लाभलालिमा अभियान में कैसे करें आवेदन? (लाभ प्राप्ति की प्रक्रिया)लालिमा अभियान में जनता के लिए लाभ (Public Benefits)लालिमा अभियान के अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)प्रभाव एवं चुनौतियाँअब तक के प्रमुख उपलब्धियाँप्रमुख चुनौतियाँसुझाव और भविष्य की दिशानिष्कर्ष

लालिमा अभियान क्या है?

लालिमा अभियान (Lalima Abhiyan) का उद्देश्य बच्चों, किशोरी बालिकाओं, गर्भवती एवं धात्री महिलाओं में एनीमिया की रोकथाम, निदान एवं उपचार सुनिश्चित करना है। इसे “Integrated Child Development Services (ICDS)” के अंतर्गत 1 नवम्बर 2016 से मिशन मोड में आरंभ किया गया था। इस अभियान के मुख्य संचालक महिला एवं बाल विकास विभाग तथा लोक स्वास्थ्य विभाग हैं, और इसमें आयुष, शिक्षा, सहकारिता एवं ग्रामीण विकास जैसे विभिन्न विभाग एकत्रित रूप से सहयोग करते हैं।

एनीमिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में हीमोग्लोबिन या लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या कम हो जाती है, जिससे ऑक्सीजन का संवहन प्रभावित होता है। खासकर बच्चों, किशोरियों एवं गर्भवती महिलाओं के लिए यह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, क्योंकि इससे शिशु के विकास तथा मातृ स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।


लालिमा अभियान की पृष्ठभूमि और महत्व

  1. आरंभिक संदर्भ
    • भारत में एनीमिया की प्रचलन दर अत्यधिक है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 (NFHS-4, 2015-16) के अनुसार, 6–59 माह के बच्चों में 58% और 15–49 वर्ष की महिलाओं में 53% एनीमिया देखा गया था।
    • NFHS-5 (2019-21) में यह दर और बढ़कर बच्चों में 67% तथा महिलाओं में 57% तक पहुँच गई। इससे स्पष्ट होता है कि एनीमिया रोकथाम में अभी भी चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
  2. लालिमा अभियान की शुरुआत
    • मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों ने 2016 में ICDS के माध्यम से इस योजना को प्रारंभ किया। मिशन मोड में इसे लागू किया गया ताकि आंगनवाड़ी केंद्र (AWC), स्वास्थ्य केंद्र एवं विद्यालयों द्वारा लक्षित समूहों को आयरन-फोलिक एसिड (IFA) की गोलियाँ, पोषण संबंधी परामर्श एवं नियमित स्वास्थ्य जांच प्रदान की जा सके।
  3. राष्ट्रीय पोषण मिशन (POSHAN Abhiyaan) के साथ सहसंबद्धता
    • मार्च 2018 में POSHAN Abhiyaan (National Nutrition Mission) शुरू हुआ, जिसका लक्ष्य 2022 तक प्रत्येक वर्ष 3% की दर से एनीमिया की दर कम करना था।
    • लालिमा अभियान को Anemia Mukt Bharat कार्यनीति के एक घटक के रूप में देखा जाता है, जो POSHAN Abhiyaan के तहत आयरन-प्लस पहल (Iron Plus Initiative) और साप्ताहिक आयरन-फोलिक एसिड पूरकता (WIFS) कार्यक्रमों के साथ समन्वय करता है।

लालिमा अभियान के उद्देश्य

  1. एनीमिया प्रचलन कम करना
    • 2022 तक, बच्चों (6–59 माह) में एनीमिया की दर 58% से 40%, किशोरियों (15–19 वर्ष) में 54% से 36%, और प्रजनन आयु की महिलाओं (15–49 वर्ष) में 53% से 35% तक घटाना। (Anemia Mukt Bharat Targets)
  2. लक्षित समूहों में पोषण सुधार
    • IFA गोलियों का वितरण, सभी लाभार्थियों तक आयरन एवं फोलिक एसिड की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करना।
    • आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं (AWW), आशा कार्यकर्ताओं (ASHA) एवं स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम (SHP) के माध्यम से पोषक आहार एवं संतुलित भोजन के महत्व की जानकारी देना।
  3. समुदाय आधारित जागरूकता
    • विद्यालयों, पंचायतों एवं सामुदायिक केंद्रों में पोषण शिविर एवं स्वास्थ्य शिविर आयोजित करके एनीमिया के लक्षण, कारण एवं रोकथाम के उपायों से अवगत कराना।
    • प्राकृतिक एवं परंपरागत विधियों (जैसे अंजीर, खजूर, बीन्स, हरी पत्तेदार सब्जियाँ) के माध्यम से आयरनयुक्त आहार को बढ़ावा देना।
  4. लालिमा अभियान से स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता
    • प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC), स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र (HWCs) पर हीमोग्लोबिन जांच हेतु आवश्यक उपकरण एवं किट उपलब्ध कराना।
    • IFA गोलियाँ, शुष्क पोषण किट (dry ration kits) और डीवॉर्मिंग दवाओं का निशुल्क वितरण सुनिश्चित करना।

लालिमा अभियान के सरकारी आंकड़े एवं लाभार्थी

एनीमिया की वास्तविकता (NFHS-3 से NFHS-5 तक)

 आयु समूह                        NFHS-3 (2005-06)  NFHS-4 (2015-16)  NFHS-5 (2019-21) 
 बच्चे (6–59 माह, Hb<11 g/dl)      69%              58%              67%             
 किशोरी (15–19 वर्ष, Hb<12 g/dl)  56%              54%              59%             
 किशोर (15–19 वर्ष, Hb<13 g/dl)    30%              29%              31%             
 गर्भवती महिलाएं (Hb<11 g/dl)      58%              50%              52%             
 प्रजनन आयु की महिलाएं (Hb<12)    55%              53%              57%             
 लैक्टेटिंग महिलाएं (Hb<12)        63%              58%              57%             

नोट: NFHS-5 में बच्चों (6–59 माह) तथा किशोरियों में एनीमिया की दर बढ़ी है, जो दर्शाता है कि आवश्यक कदम उठाने की तीव्र जरूरत है।

लालिमा अभियान लाभार्थी वर्ग और अनुमानित संख्या (Anemia Mukt Bharat, 2022 लक्ष्य)

 लक्षित समूह                      अनुमानित लाभार्थी (मिलियन में) 
 बच्चे (6–59 माह)                124 
 बच्चे (5–9 वर्ष)                134 
 किशोर लड़के (10–19 वर्ष)        47  
 किशोरी लड़कियाँ (10–19 वर्ष)    68  
 प्रजनन आयु की महिलाएँ (20–24)    17  
 गर्भवती महिलाएँ                  30  
 लैक्टेटिंग महिलाएँ              27  
 कुल अनुमानित लाभार्थी        450 मिलियन 

मिशन लक्ष्य: वर्ष 2022 तक प्रत्येक वर्ष 3% की दर से एनीमिया प्रचलन में कमी।

मध्य प्रदेश का उदाहरण (लालिमा योजना)

  • मध्य प्रदेश सरकार ने 1 नवंबर 2016 से “लालिमा योजना” प्रारंभ की। इसमें आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से 6 माह से 10 वर्ष तक के बच्चों, किशोरियों, गर्भवती एवं धात्री महिलाओं को IFA गोलियाँ, पोषण शिक्षा एवं स्वास्थ्य जांच उपलब्ध कराई जाती है।
  • हितग्राही वर्ग:
    • 6 माह–10 वर्ष के बच्चे
    • शाला जाने वाली एवं शाला त्यागी किशोरी बालिकाएँ
    • गर्भवती और लैक्टेटिंग महिलाएँ
    • प्रजनन आयु समूह (19–49 वर्ष) की महिलाएँ
  • कोई आवेदन पत्र नहीं होता; लाभार्थी का चयन आंगनवाड़ी केंद्रों पर सर्वे एवं पंजीकरण के माध्यम से किया जाता है।

लालिमा अभियान की मुख्य कार्यप्रणाली

समन्वय और कार्यान्वयन संरचना

  1. महिला एवं बाल विकास विभाग (MoWCD)
    • ICDS के माध्यम से आंगनवाड़ी केंद्रों पर पोषण एवं स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करता है।
    • किशोरियों एवं गर्भवती महिलाओं के रिकॉर्ड में IFA सप्लीमेंट वितरण की मॉनिटरिंग करता है।
  2. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW)
    • PHC, CHC एवं SHC स्तर पर मुफ्त हीमोग्लोबिन जांच किट एवं शुष्क पोषण किट उपलब्ध कराता है।
    • आयरन-फोलिक एसिड, डीवॉर्मिंग दवाएं, मल्टीविटामिन सप्लीमेंट की आपूर्ति सुनिश्चित करता है।
  3. आयुष विभाग
    • आयुर्वेद, सिद्ध एवं यूनानी पद्धति के प्राकृतिक आयरन-संपन्न औषधियों तथा पोषक तत्वों के उपयोग को बढ़ावा देना।
  4. शिक्षा विभाग
    • विद्यालयों में सप्ताह में एक बार स्वास्थ्य शिविर (SHP) आयोजित कर छात्रों का हीमोग्लोबिन स्तर जांचना।
    • “Mid-Day Meal Scheme” में आयरनयुक्त भोजन सामग्री का समावेश।
  5. स्थानीय पंचायत एवं ग्राम स्तरीय संस्थाएं
    • राज्य एवं जिला स्तरीय पोषण समितियाँ (District Nutrition Mission Committees) के माध्यम से आवधिक समीक्षा एवं रिपोर्टिंग।

आयरन-फोलिक एसिड (IFA) सप्लीमेंटेशन

  • 6–60 माह के बच्चे:
    • माल्टेड पोषण किट एवं आवश्यक शिशु आहार (supplementary nutrition) वितरित।
    • प्रत्येक तीन माह पर हीमोग्लोबिन जांच एवं IFA खुराक (20 mg आयरन + 100 mcg फोलिक एसिड)।
  • किशोरियाँ (10–19 वर्ष):
    • सप्ताह में एक बार IFA गोलियाँ (60 mg आयरन + 500 mcg फोलिक एसिड) दी जाती हैं, कुल 52 गोलियाँ प्रति वर्ष।
    • पोषण शिक्षा: हानिकारक आहार प्रथाओं से बचाव, आयरनयुक्त खाद्य पदार्थों का सेवन, दलिया, पालक, राजमा, मटर आदि को बढ़ावा।
  • गर्भवती महिलाएँ:
    • रोजाना IFA गोलियाँ (100 mg आयरन + 500 mcg फोलिक एसिड) सप्लीमेंट करनी होती है।
    • बच्चे की पहली तिमाही में हीमोग्लोबिन जांच, दूसरी एवं तीसरी तिमाही में दो और जांच।
    • डीवॉर्मिंग (deworming) दवा (Albendazole 400 mg) गर्भावस्था के दूसरे त्रैमासिक में दी जाती है।
  • लैक्टेटिंग महिलाएँ:
    • जन्म के बाद 6 माह तक रोजाना IFA गोलियाँ (100 mg आयरन + 500 mcg फोलिक एसिड)।

महत्वपूर्ण: IFA गोलियाँ बच्चों एवं किशोरियों को सीधे नहीं खिलाई जातीं—विशेषतः 6 से 60 माह वाले बच्चों को सीरप (Syrup) या मिल्क फॉर्म में आयरन उपलब्ध कराया जाता है।

पोषण शिक्षा एवं आहार विविधता

  • आंगनवाड़ी केंद्रों पर “नीली कैप” परियोजना के तहत स्थानीय स्तर पर उपलब्ध आयरनयुक्त पौधों (जैसे मूली के पत्ते, चवन्नी) के बारे में प्रशिक्षण।
  • गाँव स्तर पर “पोस्टर एवं सूचना पत्रिका” के माध्यम से पोषक आहार, स्वच्छ जल, स्वच्छता एवं स्वास्थ्य सलाह।
  • दाल, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, फल (जैसे अमरूद, संतरा), दलिया एवं मांस, अंडा जैसी आयरन तथा प्रोटीन युक्त खाद्य वस्तुओं को बढ़ावा।

जांच और मॉनिटरिंग (Hemoglobin Testing & Surveillance)

  • स्वास्थ्य केंद्रों में “HemoCue किट” द्वारा हीमोग्लोबिन स्तर तय करना।
  • किशोरी बालिकाएँ एवं गर्भवती महिलाओं का “Monthly Hemoglobin Testing” चार्ट बनाए रखना।
  • ब्लॉक स्तर की पोषण परियोजना अधिकारी (Block Nutrition Officer) द्वारा मासिक समीक्षा बैठकें आयोजित की जाती हैं।

लालिमा अभियान से लाभार्थियों के लिए प्रत्यक्ष लाभ

  1. स्वास्थ्य परीक्षण एवं परामर्श
    • नियमित हीमोग्लोबिन जांच, स्वास्थ्य काउंसलिंग एवं पोषण शिक्षा।
    • रोगी मार्गदर्शन: एनीमिया से संबंधित किसी भी लक्षण पर शीघ्र चिकित्सकीय परामर्श।
  2. निःशुल्क IFA गोलियाँ एवं सप्लीमेंट किट
    • IFA गोलियाँ, मल्टीविटामिन, डीवॉर्मिंग दवाएँ निशुल्क प्रदान।
    • छह माह से छह वर्ष तक के बच्चों के लिए आयरन सिरप (Iron Syrup) उपलब्ध।
  3. शैक्षिक एवं सामुदायिक समर्थन
    • किशोरियों के लिए “न्यूट्रिशन क्लब” एवं “गर्ल्स क्लब” के माध्यम से समूह आधारित शिक्षा कार्यक्रम।
    • गाँव स्तर की पंचायतों में “Nutrition Mela” एवं “Health Camp” का आयोजन।
  4. सहयोगी योजनाएं (Convergence with Other Schemes)
    • Integrated Child Development Services (ICDS): बच्चों को पोषक भोजन एवं माताओं को पोषण संबंधी परामर्श।
    • Mid-Day Meal Scheme: स्कूलों में आयरन एवं प्रोटीन युक्त भोजन सुनिश्चित करना।
    • Janani Suraksha Yojana (JSY): गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में जन्म हेतु आर्थिक सहायता एवं स्वास्थ्य बीमा।
    • Ayushman Bharat—PMJAY: गंभीर मामले में मुफ्त अस्पताल में इलाज एवं मातृ स्वास्थ्य योजनाएं।
  5. दीर्घकालिक लाभ (Long-term Impact)
    • कम गर्भपात, शिशु मृत्यु दर में कमी, बाल विकास में सुधार एवं मातृ मृत्यु दर में गिरावट।
    • बच्चों की शैक्षिक उपलब्धि में सुधार: एनीमिया-रहित बच्चे कक्षा में बेहतर ध्यान दे पाते हैं।
    • महिलाओं में कार्यक्षमता बढ़ना: स्वस्थ महिलाएँ अधिक रोजगारक्षम होती हैं, जिससे सामाजिक-आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।

लालिमा अभियान में कैसे करें आवेदन? (लाभ प्राप्ति की प्रक्रिया)

लालिमा अभियान में कोई आवेदन फॉर्म या आधिकारिक ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया नहीं है। लाभार्थी चयन एवं वितरण निम्न चरणों द्वारा होता है:

  1. आंगनवाड़ी केंद्र द्वारा सर्वे एवं पंजीकरण
    • आंगनवाड़ी कार्यकर्ता (AWW) एवं आशा कार्यकर्ता (ASHA) प्रत्येक गाँव/शहर के आंगनवाड़ी केंद्र (AWC) में सर्वेक्षण करती हैं।
    • 6 माह से 10 वर्ष तक के बच्चों, किशोरियों, गर्भवती एवं धात्री महिलाओं को सूचीबद्ध करती हैं।
    • सूची में पंजीकृत लाभार्थियों को मासिक IFA गोलियाँ, पोषण शिक्षा मार्गदर्शन एवं स्वास्थ्य जांच हेतु बुलाया जाता है।
  2. स्वास्थ्य केंद्रों पर सीधी पहुँच
    • प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC), सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) या स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र (HWC) में जाकर लाभार्थी मुफ्त हीमोग्लोबिन जांच करवा सकता है।
    • यदि आंगनवाड़ी केंद्र तक सीधी पहुंच संभव नहीं, तो ASHA द्वारा घर-घर जाकर इकट्ठा किया जाता है।
  3. विद्यालयों में शैक्षिक शिविर
    • स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम (SHP) के तहत सार्वजनिक एवं निजी विद्यालयों में किशोरियों का साप्ताहिक IFA पालन सुनिश्चित करना।
    • कक्षा 6–12वीं तक की लड़कियों को हर बुधवार IFA गोलियाँ दी जाती हैं।
  4. ऑनलाइन सूचना एवं पोर्टल
    • सरकारी पोषण पोर्टल (Poshan Abhiyaan Portal) पर राज्य एवं जिला स्तर की गतिविधियों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं:
      • https://poshanabhiyaan.gov.in
      • https://nhm.gov.in/amb
    • MyGov पोर्टल (www.mygov.in) पर “Anemia Mukt Bharat” पद्यति की प्रगति रिपोर्ट & अपडेट ऑनलाइन मिलते हैं।
  5. आवश्यक दस्तावेज़
    • लाभार्थी को आधार कार्ड या BPL कार्ड की आवश्यकता नहीं होती—जिला ICDS एवं स्वास्थ्य विभाग की सूची में नाम अंतरिक रूप से सम्मिलित रहता है।
    • यदि लाभार्थी स्कूल/कॉलेज में पढ़ाई करता है, तो छात्र-आईडी या विद्यालय से जारी किसी प्रामाणिक दस्तावेज़ का प्रयोग किया जा सकता है।

लालिमा अभियान में जनता के लिए लाभ (Public Benefits)

  1. समग्र स्वास्थ्य सुधार
    • एनीमिया मुक्त समुदाय में शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर एवं प्रसव संबंधित जटिलताओं में कमी आती है।
    • शारीरिक और मानसिक विकास एक स्वस्थ बच्चे का भविष्य उज्जवल बनाता है।
  2. शैक्षिक उपलब्धि
    • एनीमिया-रहित छात्र-छात्राएँ कक्षा में बेहतर प्रदर्शन करते हैं, क्योंकि चेहरे का रंग ताजा होगा, ध्यान केंद्रित रहेगा और शारीरिक ऊर्जा बनी रहेगी।
  3. आर्थिक सक्षमता में वृद्धि
    • स्वस्थ महिलाओं की कार्यक्षमता अधिक होती है, जिससे घरेलू एवं बाह्य रोजगार में सुधार आता है। इससे परिवार की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती है।
  4. समाज में सकारात्मक बदलाव
    • जब एक महिला स्वस्थ होती है, तो उसका परिवार भी गरीबी एवं कुपोषण से सुरक्षित रहता है।
    • समुदाय स्तर पर जागरूकता बढ़ने से सामाजिक स्वास्थ्य सुधार की भावना उत्पन्न होती है।
  5. लाभों का अनवरत प्रवाह
    • एक बार नामांकन हो जाने पर लाभार्थी को नियमित रूप से IFA गोलियाँ, पोषण किट तथा स्वास्थ्य परामर्श मिलता रहेगा।
    • कोई आर्थिक बोझ नहीं: सभी सेवाएँ एवं दवाएँ निःशुल्क हैं।

लालिमा अभियान के अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q1: क्या लालिमा अभियान में नामांकन हेतु कोई आवेदन फॉर्म भरना होता है?

A1: नहीं। लाभार्थी का चयन आंगनवाड़ी केंद्रों पर सर्वे एवं पंजीकरण के आधार पर किया जाता है। किसी प्रकार का आवेदन पत्र भरने की ज़रूरत नहीं है। dhar.nic.in

Q2: यदि मैं शहर में रहता/रहती हूँ, तो मुझे कहाँ संपर्क करना चाहिए?

A2:

  1. निकटतम सरकारी अस्पताल या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) पर जाकर “Hemoglobin Testing” कराएं।
  2. पास के काउंसलिंग सेंटर (Health & Wellness Center) में जाकर IFA गोलियाँ एवं पोषण मार्गदर्शन प्राप्त करें।

Q3: IFA गोलियाँ लेने से मेरे शरीर को किसी प्रकार की हानि होगी?

A3: नहीं। IFA गोलियाँ पूरी तरह सुरक्षित हैं। गर्भवती महिलाओं एवं किशोरियों के लिए WHO द्वारा भी यह अनुशंसित है। यदि अत्यधिक ली जाएं तो कब्ज़ या अपच हो सकती है, परंतु सही मात्रा में लेने पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होता।

Q4: मेरे पास स्कूल स्वास्थ्य रिकॉर्ड नहीं है, क्या इसके बिना भी लाभ मिल सकता है?

A4: हाँ। आंगनवाड़ी केंद्र के सर्वे एवं नामांकन के बाद सभी सुविधाएँ दी जाएँगी। किसी दस्तावेज़ की अनिवार्यता नहीं है।

Q5: IFA सप्लीमेंट कब लेना चाहिए?

A5:

  • गर्भवती महिलाएँ: रोजाना एक गोली (100 mg आयरन + 500 mcg फोलिक एसिड) सुबह खाली पेट लेना उत्तम।
  • किशोरियाँ (10–19 वर्ष): सप्ताह में एक बार 60 mg आयरन + 500 mcg फोलिक एसिड वाली गोली, स्कूल/आंगनवाड़ी केंद्र पर दी जाती है।
  • बच्चे (6–60 माह): आयरन सिरप (20 mg आयरन + 100 mcg फोलिक एसिड) डॉक्टर या ASHA/AWW की सलाहानुसार।

प्रभाव एवं चुनौतियाँ

अब तक के प्रमुख उपलब्धियाँ

  1. मासिक IFA गोलियाँ वितरण
    • अप्रैल 2020 तक, लगभग 150 मिलियन से अधिक गर्भवती महिलाओं एवं किशोरियों को IFA गोलियाँ आवंटित की जा चुकी हैं।
  2. शिशु एवं मातृ स्वास्थ्य में सुधार
    • जहां जहाँ आईनीमिया रहितता कार्यक्रम सही ढंग से लागू किया गया, वहाँ शिशु मृत्यु दर एवं नवजात मृत्यु दर में औसतन 15% तक की कमी आई है।
  3. समुदाय में जागरूकता
    • पोषण शिविरों के माध्यम से ग्रामीण एवं शहरी दोनों क्षेत्रों में लाखों लोगों को पोषण एवं एनीमिया की जानकारी दी गई।

प्रमुख चुनौतियाँ

  1. सामाजिक मान्यताएँ एवं मिथक
    • कई ग्रामीण क्षेत्रों में लोग मानते हैं कि गर्भवती महिला को ‘अधिक खाना नहीं चाहिए’, जिससे पोषण में कमी आ जाती है।
    • किशोरियाँ स्वयं स्वास्थ्य सेवाओं के लिए नहीं जातीं, उन्हें परिवार द्वारा अनुमति नहीं मिलती।
  2. आपूर्ति श्रृंखला में कमी
    • दूर-दराज के इलाकों में IFA गोलियों एवं डीवॉर्मिंग दवाओं की समय पर आपूर्ति नहीं हो पाती।
    • हीमोग्लोबिन जांच की किट या उपकरण पर्याप्त मात्रा में न मिलने से जांच बाधित होती है।
  3. सतत निधि एवं मानव संसाधन
    • आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं एवं आशा कार्यकर्ताओं (ASHA) का भार अधिक होने एवं पारिश्रमिक कम होने से प्रोत्साहन नहीं मिलता।
    • पोषण शिक्षा एवं परामर्श के लिए प्रशिक्षित कर्मियों की कमी है।
  4. COVID-19 महामारी का प्रभाव
    • लॉकडाउन एवं स्वास्थ्य सुविधाओं पर बढ़े बोझ के कारण मार्च 2020 से सितंबर 2021 के बीच कई स्वास्थ्य शिविर एवं जांच स्थगित रहे।

सुझाव और भविष्य की दिशा

  1. मासिक समीक्षा एवं तकनीकी हस्तक्षेप
    • टेलीहोम ट्रैकिंग: कोविड-19 जैसी स्थितियों में दूरस्थ (remote) परामर्श एवं मॉनिटरिंग काफ़ी उपयोगी रह सकती है।
    • मोबाइल एप्लिकेशन: “Anemia Mukt Bharat App” को और अधिक यूज़र फ्रेंडली बनाकर लाभार्थियों को रिमाइंडर, स्वास्थ्य टिप्स एवं पास वाउचर देना।
  2. समुदाय-आधारित पोषण समूह
    • “माँ समूह” और “न्यूट्रीशन स्वयंसेवी समूह” बनाया जाए, जहाँ ग्रामीण महिलाएँ स्वयं एक-दूसरे को पोषण-संबंधी जानकारी दें।
  3. IAS/रक्षा प्रशिक्षण एवं मानव संसाधन विकास
    • ASHA एवं AWW के लिए पोषण मार्गदर्शक (Master Trainer) की संख्य बढ़ानी होगी, ताकि बेहतर प्रशिक्षण दिया जा सके।
  4. साक्षरता एवं जागरूकता अभियान
    • लोकल भाषाओं में समझाइश: प्रत्येक राज्य की मातृभाषा में “लालिमा अभियान” की समस्त सामग्री उपलब्ध कराएं।
    • डिजिटल मीडिया में प्रसार: सोशल मीडिया (Facebook, WhatsApp) पर नोडल अधिकारी एवं ब्लॉक प्रभारी नियमित रूप से जागरूकता वीडियो, पोषण रेसिपी, एवं IFA सेवन के महत्व पर कंटेंट साझा करें।
  5. सतत वित्त पोषण
    • केंद्र एवं राज्य सरकारों को प्रति वर्ष IFA सप्लीमेंट, पोषण शिविर एवं जांच किट हेतु बजट आवंटन में वृद्धि करनी चाहिए।
    • न्यूनतम 10% बजट स्थानीय प्रशासन व पंचायतों के माध्यम से उपयोग करें, जिससे माल वितरण एवं जागरूकता गतिविधियाँ स्थानीय स्तर पर तेजी से हों।

निष्कर्ष

लालिमा अभियान न केवल एक सरकारी पहल है, बल्कि एक राष्ट्रीय आंदोलन है, जिसका उद्देश्य भारत को “एनीमिया मुक्त” बनाना है। 1 नवंबर 2016 में शुरू हुई इस योजना ने अब तक लाखों लाभार्थियों को पोषण, आयरन-फोलिक एसिड सप्लीमेंट तथा स्वछता एवं स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करके सकारात्मक बदलाव लाया है। हालांकि अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक मान्यताएँ, आपूर्ति ढांचा एवं मानव संसाधन चुनौतियाँ बनी हुई हैं, पर यदि हम सामूहिक रूप से प्रयास करें—सरकार, समुदाय एवं स्वयं—तो एनीमिया की समस्या को जड़ से मिटाया जा सकता है।

लालिमा में अभियान आप अपना सहयोग कैसे दे सकते हैं?

  1. आसपास के आंगनवाड़ी केंद्र पर जाएँ और लाभार्थी सूची में अपना नाम चेक करवाएँ।
  2. यदि आप एक किशोरी, गर्भवती या लैक्टेटिंग महिला हैं, तो नियमित रूप से IFA गोलियाँ लें और स्वास्थ्य केंद्र पर जांच कराएँ।
  3. समुदाय स्तर पर जागरूकता फैलाएँ—अपने पड़ोस, गाँव या स्कूल में पोषण शिविर आयोजित करें।
  4. डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म (POSHAN Abhiyaan Portal, MyGov) पर पहुंचकर मददगार संसाधन डाउनलोड करें।

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