आज का राहुकाल (Aaj Ka Rahu Kaal)

राहु काल (Rahu Kaal) हिंदू ज्योतिष में सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच का एक विशेष समयखंड है जिसे राहु ग्रह की अशुभता से जोड़ा जाता है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार राहु एक छाया ग्रह है, जिसके प्रभाव में आने वाले लगभग डेढ़ घंटे तक के समय को राहु काल  माना जाता है। इस अवधि में कोई भी शुभ कार्य करने से बचने की सलाह दी जाती है। पारंपरिक मान्यता है कि राहु काल में विवाह, गृह-प्रवेश, बाजार में कोई महत्वपूर्ण लेनदेन या नया व्यापार आरंभ करना अशुभ फलदायी हो सकता है। इसीलिए रोज़ाना सही राहु काल जानना और उस समय से बचना शुभ मुहूर्त निर्धारित करने में महत्वपूर्ण माना जाता है।

Aaj ka rahu kalAaj ka rahu kal
Astro Dashboard – Rahu Kaal Today for Major Indian Cities

आज का राहुकाल एवं चंद्र समय

Rahu Kaal for Major Indian Cities

राहु काल क्या है? (Rahu Kaal का महत्व)

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, राहु एक अशुभ ग्रह मानी जाती है। राहु काल वही समय होता है जब राहु ग्रह के प्रभाव के कारण नए कार्यों में बाधाएँ या अनिष्ट हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति राहु काल के दौरान पूजा-पाठ, हवन, यज्ञ आदि करता है, तो उसे मनोकामना अनुरूप परिणाम प्राप्त नहीं होते हैं। इसलिए यह सलाह दी जाती है कि किसी भी नए शुभ कार्य की शुरुआत करने से पहले राहु काल का समय अवश्य देखा जाए। इससे कार्य में सफलता की संभावना बढ़ जाती है।

दक्षिण भारत में राहु काल को विशेष महत्व दिया जाता है। इस समय विवाह समारोह, गृह प्रवेश, शेयर-शेयर बाजार में निवेश, सोने-चाँदी की खरीदारी, नया व्यापार आदि जैसे शुभ कार्य टाल दिए जाते हैं। उदाहरण के लिए, DrikPanchang के अनुसार “राहुकाल के समय विवाह, गृह प्रवेश, स्टॉक-शेयर, सोना और नया व्यापार आरंभ करने से बचना चाहिए”। हालांकि, यदि किसी विशेष पूजन या यज्ञ के लिए राहु ग्रह को प्रसन्न करना हो, तो वह कार्य राहु काल में किया जा सकता है।

Calculation of Rahu Kaal

राहु काल की गणना बहुत सरल है – इसे तय करने के लिए सबसे पहले उस दिन के स्थानीय सूर्योदय और सूर्यास्त का समय पता करें। फिर सूर्योदय से सूर्यास्त तक के कुल समय को आठ बराबर भागों में बाँट दें। इन आठ हिस्सों में से प्रत्येक हिस्सा लगभग 1 घंटे 40 से 1.5 घंटे तक का होता है। प्रतिदिन राहु काल इस आठ हिस्सों में से एक निश्चित हिस्से को मानकर निकाला जाता है, जो सप्ताह के दिन पर निर्भर करता है।

चित्र: राहु काल के समय की गणना के लिए सूर्योदय-सूर्यास्त काल को आठ बराबर हिस्सों में बांटना (출처: Science of Rahu Kaal, Lunar Astro)।

राहु काल की गणना के चरण निम्नलिखित हैं:

  • सूर्योदय और सूर्यास्त का समय ज्ञात करें। (उदाहरण के लिए, मान लीजिए सुबह 6:00 बजे सूर्योदय और शाम 6:00 बजे सूर्यास्त है।)

  • इन दोनों समय के बीच का कुल समय आठ भागों में विभाजित करें। (6:00 am से 6:00 pm तक 12 घंटे हैं, 12÷8 = 1.5 घंटे प्रति भाग।)

  • सप्ताह के प्रत्येक दिन के लिए राहु काल वाला भाग निर्धारित करें। सोमवार को दूसरा भाग राहु काल होता है, मंगलवार को सातवां, बुधवार को पांचवां, गुरुवार को छठा, शुक्रवार को चौथा, शनिवार को तीसरा और रविवार को आठवां भाग राहु काल माना जाता है।

उदाहरण के लिए, यदि सूर्योदय 6:00 बजे है, तो पहले भाग का समय 6:00–7:30 (शुभ), दूसरा भाग 7:30–9:00 (सोमवार का राहु काल), तीसरा 9:00–10:30 (शनिवार का राहु काल), चौथा 10:30–12:00 (शुक्रवार), पाँचवां 12:00–13:30 (बुधवार), छठा 13:30–15:00 (गुरुवार), सातवां 15:00–16:30 (मंगलवार), आठवां 16:30–18:00 (रविवार) रहेगा। इस तरह से अपने स्थानीय सूर्योदय-सूर्यास्त के अनुसार राहु काल का समय प्राप्त किया जा सकता है।

राहु काल का प्रभाव: यात्रा, शुभ कार्य और अन्य गतिविधियाँ

राहु काल के दौरान अधिकांश शुभ कार्यों से बचना शुभ माना जाता है। विशेषतः लंबी यात्रा (पर्यटन या व्यवसाय), नए वाहन की खरीद, महत्वपूर्ण वित्तीय लेनदेन आदि राहु काल में टालने की सलाह दी जाती है। ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार राहु काल में यात्रा करने पर देरी, असुविधा या दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ सकती है।

  • यात्रा: राहु काल में शुरू की गई यात्रा में रुकावटें या देरी आती हैं। अतः यदि संभव हो तो इस अवधि में निकलने की बजाय इसे टालना बेहतर रहता है।

  • विवाह एवं मांगलिक कार्य: राहु काल में विवाह, ब्याह-पूर्व संस्कार या गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्यों से बचना चाहिए। इन समय पर धर्म-कर्म प्रारंभ करने से भविष्य में विघ्न हो सकते हैं।

  • व्यापार एवं सौदे: नया व्यवसाय शुरू करना, शेयर-बाजार में निवेश या बड़ी संपत्ति (सुवर्ण, घर, वाहन) की खरीदाधिक खरीद जैसे कार्यों को राहु काल में टाला जाता है।

  • पूजा-हवन: सामान्य परिस्थितियों में राहु काल में पूजा-पाठ, हवन या यज्ञ करने पर काम सिद्धि नहीं होती। हालांकि, यदि राहु ग्रह की प्रसन्नता के लिए विशेष पूजन करना हो तो राहु काल में किया जा सकता है।

इन सभी मामलों में राहु काल से बचने का मूल उद्देश्य है दोषयुक्त समय में महत्वपूर्ण कार्यों से बचना। इससे कर्मों की सफलता की संभावना बढ़ती है |

राहु काल का सांस्कृतिक महत्व (मुहूर्त, पूजा, दैनिक अनुष्ठान)

भारतीय संस्कृति में मुहूर्त शास्त्र के अंतर्गत राहु काल का विशेष उल्लेख मिलता है। मांगलिक कार्यक्रमों के लिए मुहूर्त चुनते समय राहु काल को अशुभ माना जाता है। जैसे कि शादी, गृह-प्रवेश, वाहन पूजन आदि शुभ कार्य राहु काल में रखने से बुरी क़िस्मत आती मानी जाती है। यही कारण है कि ज्योतिषियों द्वारा शुभ मुहूर्त निकालते समय राहु काल की जांच की जाती है।

दैनिक पूजा-पाठ में भी राहु काल का ध्यान रखा जाता है। सामान्यतः यह समय शांत और ध्यान-योग के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता, इसलिए घर या मंदिर में महत्वपूर्ण आराधना शाम या दूसरे शुभ समय पर की जाती है। हालांकि कई लोग राहु काल के अवसर का उपयोग राहु ग्रह को संतुष्ट करने वाले मंत्र-तपस्या में करते हैं (जैसे कालांतर स्वरूपा मंत्र, महामृत्युंजय जाप इत्यादि) ताकि राहु की अशुभता कम हो सके।

कई परंपराओं में यह भी कहा जाता है कि सूर्योदय के बाद पहला खण्ड (ब्रह्म मुहूर्त) सदैव अत्यंत शुभ होता है और इसे राहु के प्रभाव से मुक्त माना जाता है। मुहूर्त ग्रंथों में राहु काल को “कलंककारी” माना गया है, इसलिए इसे टालने की सलाह दी जाती है।

सारांशतः, राहु काल भारतीय परंपरा में अशुभ अवधि के रूप में विकसित हुआ है, जिसका ध्यान दैनिक अनुष्ठान और कार्य-योजना में लिया जाता है। आधुनिक समय में भी कई लोग महत्त्वपूर्ण योजनाएं बनाते समय पंचांग देखकर आज का राहु काल चेक करते हैं, ताकि कार्य बाधारहित रूप से सम्पन्न हो।

राहु काल विज्ञान के आधुनिक दृष्टिकोण से भी सूर्योदय-सूर्यास्त की गणना पर आधारित एक सरल कालखण्ड है। ध्यान रहे कि राहु काल का असर आस्था और परंपरा पर आधारित है; वैज्ञानिक प्रमाण इसकी प्रभावकारिता सिद्ध नहीं करते। फिर भी हिंदू संस्कृति में इसकी प्रासंगिकता अटल है। इसलिए आप भी अपनी दैनिक योजनाएं बनाते समय “आज का राहु काल” देखें और आवश्यक सावधानियां अपनाएं।

अंततः, हर दिन अपने शहर के लिए आज का राहु काल जांचें और अपने शुभ कार्य उसी कालखंड से बचकर आरंभ करें। इससे आपकी सभी नई योजनाएं फलप्रद होंगी और अनिष्ट से बचाव होगा। अधिक सुविधाजनक अनुभव के लिए हमारी वेबसाइट पर उपलब्ध राहु काल कैल्कुलेटर टूल का उपयोग अवश्य करें, जिससे आप तुरंत अपना स्थान चुनकर आज का राहु काल देख सकेंगे।