नई दिल्ली, 14 अप्रैल 2025 – आज पूरे देश में डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर की 134वीं जन्मजयन्ती अर्थात अंबेडकर जयंती धूमधाम से मनाई जा रही है। संविधान के शिल्पकार और दलित–उदारवादी अधिकारों के प्रबल प्रवक्ता के रूप में प्रतिष्ठित अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के म How (मोह) में हुआ था। उनकी जीवनगाथा, शिक्षाप्राप्ति और सामाजिक-राजनीतिक योगदान पर प्रकाश डालते हुए, आज सरकारें, शैक्षणिक संस्थान, सामाजिक संगठन एवं आमजन कई कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं।
केंद्रीय सरकार ने घोषित किया सार्वजनिक अवकाश
केंद्र सरकार ने 28 मार्च 2025 को अंबेडकर जयंती को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया। यह निर्णय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर घोषणा कर बताया कि “संविधान के शिल्पकार और समाज में समानता के नए युग के प्रवर्तक, हमारे पूजनीय बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की जयंती अब सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाई जाएगी। इस निर्णय से सभी केंद्रीय मंत्रालय, बैंक, शैक्षणिक संस्थान एवं सरकारी कार्यालय आज बंद हैं।
राज्य स्तरीय आयोजन
दिल्ली सरकार का वॉकाथन और शैक्षणिक पहल
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने रविवार, 13 अप्रैल को विधान सभा परिसर से “अंबेडकर वॉकाथन” का शुभारंभ किया। वॉकाथन में सैकड़ों स्कूल‑विद्यालयों के छात्र‑छात्राएं एवं शिक्षक शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार अंबेडकर के सिद्धांतों पर चलकर प्रत्येक नागरिक के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएँ सुनिश्चित करेगी। साथ ही, सभी दिल्ली सरकारी स्कूलों में आज डॉ. अंबेडकर के जीवन और विचारों पर आधारित विशेष पाठ्यक्रम आयोजित किए गए, जिसमें विद्यार्थियों ने उनके संविधान सभा के भाषणों के अंश सुने और पुष्पांजलि अर्पित की।
उत्तर प्रदेश में विशेष कार्यक्रम
उत्तर प्रदेश सरकार ने भी बड़े स्तर पर अंबेडकर जयंती की तैयारियाँ कीं। 13 अप्रैल को “भीम पदयात्रा” का आयोजन हुआ, जो मरीन ड्राइव से प्रारंभ होकर अंबेडकर पार्क, लखनऊ में समाप्त हुई। पदयात्रा में राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय एवं पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने सहभागिता की और छात्रों को प्रेरित किया । 14 अप्रैल की सुबह 9 बजे अंबेडकर महा सभा परिसर, लखनऊ में एक भव्य समारोह आयोजित किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी भाग लिया। समारोह में सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ, डॉ. अंबेडकर के जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों की प्रदर्शनी और सामाजिक न्याय पर व्याख्यान शामिल थे।
अन्य राज्यों की गतिविधियाँ
- महाराष्ट्र: अंबेडकर के जन्मस्थल म How के निकट डॉ. अंबेडकर स्मारक में विशेष पूजा‑आरती और दीप प्रज्ज्वलन कार्यक्रम आयोजित किए गए।
- महाराष्ट्र सरकार द्वारा विश्वविद्यालयों में “डॉ. अंबेडकर लैक्चर सीरीज़” का आयोजन किया गया, जिसमें विद्वानों ने उनकी आर्थिक एवं सामाजिक दृष्टि पर विस्तार से चर्चा की।
- केरल: राज्य स्तर पर “समता रैली” निकाली गई, जिसमें दलित एवं आदिवासी समुदायों के अधिकारों पर बल दिया गया।
सामाजिक एवं शैक्षणिक कार्यक्रम
- सेमिनार एवं व्याख्यान
देश भर के विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और शोध संस्थानों में “डॉ. अंबेडकर का संविधानिक दर्शन” विषय पर सेमिनार आयोजित किए गए। कई विद्वानों ने अंबेडकर के संविधान सभा में दिए गए भाषणों के ऐतिहासिक संदर्भ और आधुनिक प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला । - निबंध लेखन एवं क्विज प्रतियोगिताएँ
स्कूलों और कॉलेजों में “अंबेडकर जयंती कब है” विषय पर क्विज तथा निबंध लेखन प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं, ताकि युवा पीढ़ी उनके जीवन और उपलब्धियों को गहराई से समझ सके। - सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ
नाट्य, गीत, नृत्य और डॉक्यूमेंट्री स्क्रीनिंग के माध्यम से अंबेडकर के संघर्ष, संविधान निर्माण प्रक्रिया और सामाजिक न्याय की भावना को जीवंत किया गया। - स्वच्छता अभियान
उत्तर प्रदेश सरकार ने 13 अप्रैल को “स्वच्छता अभियान” चलाया, जिसमें प्रदेश के 75 जिलों में सार्वजनिक स्थानों, स्मारकों और अंबेडकर पार्क की सफाई की गई।
अंबेडकर जयंती का ऐतिहासिक और सामाजिक महत्व
- समानता और सामाजिक न्याय का प्रतीक
डॉ. अंबेडकर ने भारत में जातिगत भेदभाव, सामाजिक अन्याय और असमानता के खिलाफ आजीवन संघर्ष किया। अंबेडकर जयंती पर आयोजित कार्यक्रमों का उद्देश्य उनके इन आदर्शों को पुनर्जीवित करना है। - संविधान निर्माण में भूमिका
संविधान सभा के अध्यक्ष के रूप में डॉ. अंबेडकर ने संविधान के अनुच्छेद 15 (जाति, धर्म, लिंग आदि के आधार पर भेदभाव पर रोक) और अनुच्छेद 17 (अछूत प्रथा का उन्मूलन) जैसे प्रावधानों को शामिल करवाया । - शैक्षिक आदर्श
अंबेडकर ने शिक्षा को सबसे शक्तिशाली हथियार माना। उनका मंत्र था – “Educate, Organise, Agitate” (शिक्षित हो, संगठित हो, आंदोलन करो)। आज भी उनके ये विचार शिक्षण संस्थानों में प्रेरणा का स्रोत हैं। - आर्थिक समावेशन
उन्होंने आरक्षण नीति के माध्यम से पिछड़े वर्गों के लिए समान अवसर सुनिश्चित किए और सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान की नींव रखी।
प्रेरणादायक उद्धरण
“मुझे वह धर्म पसंद है जो स्वतंत्रता, समानता और भ्रातृत्व सिखाता है।”
– डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर
“जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता प्राप्त नहीं कर लेते, विधि द्वारा प्रदान की गई आज़ादी आपके लिए बेकार है।”
– डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर