भारत का विदेशी मुद्रा भंडार ₹55 लाख करोड़ के पार

Inderjeet Kumar By Inderjeet Kumar - Chief Editor
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₹60 लाख करोड़ के पार पहुंचा भारत का विदेशी मुद्रा भंडार, $700 बिलियन क्लब में शामिल

विदेशी मुद्रा भंडार की यह नई उपलब्धि क्या दर्शाती है?

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार जून 2025 में ₹60,077.45 अरब (रुपये में लगभग ₹60.08 लाख करोड़) तक पहुंच चुका है, जो इसी महीने के पूर्व ₹59,166.02 अरब (₹59.17 लाख करोड़) से लगभग ₹0.91 लाख करोड़ से ऊपर है। यह आंकड़ा मिलकर दर्शाता है कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) लगातार मजबूत मुद्रा स्थिति बनाए हुए है, जो न केवल अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सुरक्षा सुनिश्चित करता है, बल्कि रुपये की स्थिरता और देयता के प्रबंधन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह ₹55 लाख करोड़ की सीमा पार करने के उपरांत ऊँचाई पर पहुँचना ऐतिहासिक उपलब्धि है, क्योंकि इसे विश्वव्यापी चुनौतियों—जैसे व्यापार प्रतिबंध और वैश्विक बाजार अस्थिरता—के बावजूद हासिल किया गया।


डॉलर राशि के संदर्भ में वृद्ध‍ि और वैश्विक तुलना

यदि अमेरिकी डॉलर में देखें, तो India’s forex reserves जून 27, 2025 तक $702.78 बिलियन तक पहुँच गया, जो पिछले सप्ताह के $697.93 बिलियन से लगभग $4.85 बिलियन की वृद्धि दर्शाता है। यह आंकड़ा सितंबर 2024 के अल्टीमेट $704.89 बिलियन के रिकॉर्ड से बहुत ज्यादा मेल खाता दिखता है, और दर्शाता है कि विदेशी मुद्रा भंडार पुनः शीर्ष स्तरों के करीब पहुंच गया है। यह वृद्धि सरकारी महत्वाकांक्षा, रुपए की स्थिरता, और विदेशों से निर्यात और निवेश प्रवाह में सुधार का संकेत है। इस $700 बिलियन+ स्तर पर पहुंचकर भारत वैश्विक मुद्रा बाजार में महत्वपूर्ण स्थिति बनाए रखता है।


धनाभाव के घटक: FCA, सोना, SDR और IMF

RBI के आंकड़ों के मुताबिक, FCA (Foreign Currency Assets) भंडार का सबसे बड़ा हिस्सा है, और जून के अंत में इसका मूल्य ¥₹59.13 लाख करोड़ (≈$591.29 बिलियन) था। इसके अलावा, सोने की भंडारण राशि $84.5 बिलियन तक पहुंच चुकी है, जो निवेश स्थिरता और संकट-क्षणों में बचाव के रूप में काम आता है । साथ ही SDR (Special Drawing Rights) और IMF में आरक्षित कोष भी क्रमशः दृष्टिगत वृद्धि के मिश्रित रूप में मौजूद हैं। यह विविध संरचना यह दर्शाती है कि RBI का दृष्टिकोण विविधिकरण और जोखिम नियंत्रण के अनुसार व्यवस्थित है।


बफर क्षमताएँ: आयात कवर और क़र्ज़ प्रबंधन

RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने स्पष्ट किया कि भारत की विदेशी मुद्रा भंडार आयात कवरेज के दृष्टिकोण से पर्याप्त स्थिति में है—यह लगभग 11 महीनों तक की वस्तुएं खरीदने के लिये सक्षम है। इसके अतिरिक्त, यह राशि स्थिर रूप से हमार्इ बाहरी ऋण का लगभग 96% कवरेज करती है, जिससे यह अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की विश्वसनीयता को मजबूत करती है । इस कवरेज से जोखिम प्रबंधन सक्षम होता है और मुद्रा संकट या वैश्विक व्यापार व्यवधान पर प्रभाव चिंहित तरीके से कम होता है। भंडार की यह स्थिति अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर एवं सतत दृष्टिकोण प्रदान करती है।


RBI की रणनीति: फॉरवर्ड एग्ज पोजीशन का प्रबंधन

Reuters की एक रिपोर्ट के अनुसार, RBI अपनी फॉरवर्ड डॉलर बुक को नियंत्रित करके विदेशी मुद्रा भंडार की रक्षा कर रहा है । फरवरी 2025 में यह फॉरवर्ड बुक $88.7 बिलियन थी, लेकिन मई 2025 तक फिर से $65.2 बिलियन तक घटा दी गई Reuters। ऐसा करने से भविष्य के डॉलर की बिक्री के दायित्व भी कम होते हैं और यह रुपये की अस्थिरता से बचाता है। इसके अलावा, RBI Spot मार्केट में डॉलर खरीद-बिक्री द्वारा निरपेक्ष संतुलन बनाए रख रहा है, जिससे प्रत्यक्ष FX बाजारों पर दबाव नियंत्रित होता है।


वैश्विक जोखिम और बचाव रणनीति

सामरिक दृष्टिकोण से, RBI अपने भंडार को अधिक नेपालकोकरण की दिशा में ले जा रहा है—यरुपया, गवर्नमेंट बॉण्ड्स, सोना और SDR में विविधीकरण करके भंडार को geopolitically सुरक्षित बनाया जा रहा है । यह वैश्विक आर्थिक अस्थिरता का सामना क्षमता देने में मदद करता है। FY25 में RBI की बैलेंस शीट में 8.2% की बढ़ोत्तरी हुई, जो इस रणनीति की सफलता को दर्शाती है। यह कदम अर्थव्यवस्था के टूटने के समय कमजोर मुद्रा संकटों के खिलाफ सुरक्षा कवच का काम करता है।


रिज़र्व वेरिएशन: महीनों का ट्रेंड

महीनों में रिज़र्व का ट्रेंड देखें तो, जून 2025 से पहले मई में यह ₹59.17 लाख करोड़ था, अप्रैल में ₹58.79 लाख करोड़, मार्च में ₹56.87 लाख करोड़, फरवरी में ₹55.89 लाख करोड़, और जनवरी में ₹54.62 लाख करोड़ था । इस स्पष्ट वृद्धि रुझान को देखकर पता चलता है कि RBI निरंतर निर्यात, निवेश प्रवाह और मुद्रा प्रबंधन की दिशा में भंडार को बढ़ा रहा है। मार्च 2024 से अब तक यह बढ़ोतरी निरंतर और सकारात्मक रही है।


चुनौतियाँ और सीमाएँ

विश्व स्तर पर कीमतों की झुकावें, अमेरिकी डॉलर में बढ़ती दरें, भू‑राजनीतिक तनाव, तेल की कीमतों का उच्च स्तर—ये सभी भारत के FX भंडार पर दबाव डाल सकते हैं। जुलाई 4 तक भंडार कुछ गिरावट दर्ज करने लगा—$3.04 बिलियन घटकर $699.74 बिलियन हुआ—जिसमें FCA $3.53 बिलियन गिरा, जबकि सोने ने $342 मिलियन वृद्धि की। यह संकेत है कि गोld पर दांव लगाकर RBI संरक्षित स्थिति बनाए रख रहा है। डॉलर की अस्थिरता और धोखाधड़ी रणनीतियों की स्थिति भंडार को वॉक करता है।


अर्थव्यवस्था पर प्रभाव और नीति संकेत

भंडार में वृद्धि और सुरक्षा क्षमता टीनेकरती है कि भारत वैश्विक चुनौतियों के बीच मुद्रा स्थिरता बनाए रखेगा, rupee volatility को नियंत्रित कर सकेगा, import cover को सुरक्षित रखेगा और external debt servicing को बनाए रखेगा। यह सब बचाव नीति भारत की GDP, trade balance व monetary policy पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। इसके ऐलावा, उधार लेने वाली संस्थाओं तथा foreign investors को देश की financial stability और governance में भरोसा मेल होता है।


एक मजबूत मुद्रा सुरक्षा कवच

₹55 लाख करोड़ के पार पहुंचा भारत का विदेशी मुद्रा भंडार, $700 बिलियन+ के रिकॉर्ड स्तर को छूकर यह स्पष्ट हो गया कि RBI न केवल धन के आकार की वृद्धि कर रहा है, बल्कि रणनीतिक रूप से diversity, risk management, और global shocks से सुरक्षा कवच तैयार हो रहा है। FCA, Gold, SDR, IMF reserves का संतुलन यह दर्शाता है कि मुद्रा बफर मजबूत बना हुआ है। फॉरवर्ड book को सीमित करके RBI रुपये की अति-प्रतिक्रियाशीलता को रोक रहा है। यह स्थिति वैश्विक चुनौतियों में भी भारत को स्थिरता प्रदान करती है और निवेशकों को आश्वस्त रखती है।

Frequently Asked Questions

  1. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार क्या होता है?

    भारत का विदेशी मुद्रा भंडार वह वित्तीय संसाधन होता है जिसमें विदेशी मुद्रा (USD, EUR), सोना, IMF रिजर्व्स, SDR आदि शामिल होते हैं। इसे RBI नियंत्रित करता है और इसका उपयोग अंतरराष्ट्रीय व्यापार, मुद्रा स्थिरता और इमरजेंसी जरूरतों के लिए किया जाता है।

  2. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार जून 2025 में कितना था?

    जून 2025 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार ₹60.08 लाख करोड़ (≈$702.78 बिलियन) था। यह पिछले सप्ताह की तुलना में ₹0.91 लाख करोड़ अधिक था।

  3. भारत के फॉरेक्स रिजर्व में सबसे बड़ा घटक क्या है?

    FCA (Foreign Currency Assets) भारत के विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा हिस्सा है। जून 2025 में इसका मूल्य लगभग $591.29 बिलियन था, जो कि कुल भंडार का मुख्य भाग है।

  4. RBI फॉरवर्ड बुक क्या होती है?

    फॉरवर्ड बुक एक अनुबंध होता है जिसमें RBI भविष्य में डॉलर खरीद या बिक्री की योजना बनाता है। मई 2025 में RBI की फॉरवर्ड बुक $65.2 बिलियन तक घटाई गई थी, जिससे डॉलर की अस्थिरता को नियंत्रण में रखा गया।

  5. विदेशी मुद्रा भंडार से भारत को क्या लाभ होता है?

    इससे भारत के पास आयात कवर, क़र्ज़ भुगतान की क्षमता, मुद्रा स्थिरता, निवेशकों का विश्वास और वैश्विक संकटों से सुरक्षा का साधन होता है। यह भारत की वित्तीय आत्मनिर्भरता को दर्शाता है।

  6. सोना और SDR का क्या योगदान होता है?

    सोना और SDR भारत के रिजर्व का महत्वपूर्ण भाग हैं। सोना सुरक्षित निवेश और संकट में मूल्य बनाए रखने वाला संपत्ति है, जबकि SDR IMF द्वारा प्रदान की गई विशेष वैश्विक मुद्रा यूनिट होती है।

  7. RBI कैसे विदेशी मुद्रा भंडार को स्थिर रखता है?

    RBI स्पॉट मार्केट में डॉलर खरीद-बिक्री, फॉरवर्ड बुक का नियंत्रण, और डॉलर का नियंत्रणशीत विक्रय करके स्थिरता बनाए रखता है। इसके अलावा, यह विविध निवेश (जैसे सोना और SDR) भी अपनाता है।

  8. क्या भारत का भंडार सभी अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को कवर करता है?

    हाँ, जून 2025 तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 96% बाहरी क़र्ज़ और 11 महीनों के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त था।

  9. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार वैश्विक स्तर पर कहाँ खड़ा है?

    $700 बिलियन+ की सीमा पार कर भारत टॉप 5 देशों में शामिल है जिनके पास सबसे अधिक फॉरेक्स रिजर्व है, जैसे चीन, जापान और स्विट्जरलैंड के साथ।

  10. क्या विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट भी हो सकती है?

    हाँ, वैश्विक अस्थिरता, तेल की कीमतें, डॉलर मूल्य में उतार-चढ़ाव, या फॉरेन इन्वेस्टमेंट में गिरावट विदेशी मुद्रा भंडार को प्रभावित कर सकते हैं। लेकिन RBI की रणनीति इसको संतुलित बनाए रखती है।

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