EFTA और भारत: एक नया व्यापारिक युग 2019 में शुरू हुए यूरोपीय संघ और EFTA के साथ भारत के व्यापार संबंधों की शुरुआत में कई सुधार हुए हैं। इस व्यावसायिक संबंध ने कई अवसर प्रदान किए हैं, जो न केवल भारत की अर्थव्यवस्था में वृद्धि करने के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि यह भारतीय व्यवसायियों के लिए भी लाभदायी साबित हो रहे हैं। EFTA का पूरा नाम “यूरोपीय फ्री ट्रेड संघ” है, और यह ऐसे सदस्य देशों का समूह है जो स्वतंत्र व्यापार के लिए एक मंच प्रदान करते हैं। भारत के लिए EFTA से जुड़ना एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि यह भारत के लिए **EFTA TEPA** समझौता वाणिज्यिक संभावनाओं को बढ़ाने का एक साधन है। TEPA के माध्यम से, भारत ने यूरोपीय बाजारों में अपनी पहुंच को आसान बनाया है। हालांकि यह कदम सिर्फ निवेश के दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि **भारत और EFTA** के बीच व्यापारिक संबंधों के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। EFTA TEPA समझौता: क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है? **EFTA TEPA** का पूरा नाम “EFTA-भारत व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौता” है। यह समझौता मुख्य रूप से भारत और EFTA देशों के बीच व्यापार बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसमें टैरिफ कम करना, निवेश को प्रोत्साहित करना, और आर्थिक सहयोग बढ़ाना शामिल है। इसके प्रमुख लाभों में भारतीय उत्पादों के लिए यूरोपीय बाजारों में बेहतर पहुंच, तकनीकी हस्तांतरण, और रोजगार के नए अवसर शामिल हैं। इस समझौते से भारत की जीडीपी में वृद्धि और व्यापार घाटे में कमी की उम्मीद है, जो देश की आर्थिक स्थिरता को मजबूत करेगा।
