दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दिल्ली में चल रही महिला समृद्धि जैसी मुफ्त योजनाओं के फंड के स्रोत पर कड़ा वक्तव्य दिया है। उनके बयान ने न केवल पुरानी सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं, बल्कि अरविंद केजरीवाल और आतिशी जैसे नेताओं को भी जवाब देने का संदेश दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर पिछली सरकार द्वारा की गई कागजी लीकेज पर रोक लगा दी जाए, तो फंड की कमी खुद ही पूरी हो जाएगी।
फंड की सही राह: कहां से आएगा पैसा?
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने स्पष्ट किया कि दिल्ली सरकार द्वारा चलाई जा रही मुफ्त योजनाओं के लिए आवश्यक फंड के स्रोत की चिंता अब समाप्त हो जाएगी। उनके अनुसार, पुराने बजट में कागजों पर दिखाई गई योजनाएं असल में जमीन पर उतरी नहीं थीं। उन्होंने बताया कि:
- कागजी लीकेज पर रोक लगाना:
रेखा गुप्ता का कहना है कि पिछली सरकार द्वारा किए गए कागजी लीकेज को रोका जाए तो बड़े पैमाने पर फंड जुटाया जा सकता है। - पुरानी सरकार की खर्च की नीतियाँ:
उन्होंने आरोप लगाया कि पुरानी सरकार ने बजट में काफी धनराशि रखने के बावजूद उसे जमीन पर लागू नहीं किया। उदाहरण के तौर पर, उन्होंने इंप्रूवमेंट ऑफ एससी/एसटी में केवल 50 लाख रुपये खर्च किए, जबकि बजट 65 करोड़ रुपये था। - मुख्यमंत्री योजनाओं में असमान खर्च:
जय भीम मुख्यमंत्री योजना में 2022-23 में 70 करोड़ रुपये जुटाने की बात कही गई, परंतु कोई वास्तविक खर्च देखने को नहीं मिला। इसी तरह, मुख्यमंत्री विद्यार्थी प्रतिभा योजना में भी 2020-21 में 150 करोड़ रुपये का वादा तो किया गया, परंतु खर्च शून्य रहा।
इस पर मुख्यमंत्री ने तंज भी किया कि पुरानी सरकार ने सिर्फ कागजों पर योजनाओं का दावा किया, जबकि असल में उनके पास खर्च करने के लिए फंड मौजूद नहीं था।
राजनीतिक वार्ता में तेज़ी: अरविंद केजरीवाल और आतिशी को जवाब
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अपने बयान में अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी के आरोपों का भी खुलकर जवाब दिया। उन्होंने कहा कि जब तक पुरानी सरकार की कागजी लीकेज पर नियंत्रण नहीं पाया जाता, तब तक फंड के स्रोत पर सवाल उठाना बेकार है। उन्होंने कहा, “अगर चोरी बंद हो जाए तो इतने सारे फंड आसानी से आ जाएंगे।” इस बयान ने विपक्षी दलों के खिलाफ एक मजबूत संदेश भेजा है।
- राजनीतिक तंज:
विधायक मंच में बजट पर चर्चा के दौरान रेखा गुप्ता ने शायराना अंदाज में बताया कि उनके लहजे में जब उन्होंने आम आदमी पार्टी के नेताओं से बातचीत की तो उन्हें यह महसूस हुआ कि किस्मत में उनके पक्ष में बैठना नहीं है। - बजट के आंकड़े:
उन्होंने साफ़ तौर पर कहा कि दिल्ली की बीजेपी सरकार ने महिलाओं को 2500 रुपये देने, प्रेग्नेंट महिलाओं को 25000 रुपये देने, मुफ्त सिलेंडर, बिजली, पानी, और बस सेवा जैसी तमाम घोषणाएं कर रखी हैं। इस पर विपक्ष का कहना था कि सरकार के पास फंड नहीं है, पर मुख्यमंत्री का दावा है कि फंड की उपलब्धता का मामला केवल कागजी लीकेज पर निर्भर करता है।
बजट का व्यापक विश्लेषण और खर्च के आंकड़े
दिल्ली के बजट में आए भारी फंड के बावजूद, पिछले वर्षों में खर्च की गई धनराशि में असमानता को लेकर कई सवाल उठे हैं। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बजट के आंकड़ों पर कड़ी टिप्पणी करते हुए बताया कि:
- एडवर्टाइजिंग खर्च:
2015 में एडवर्टाइजिंग खर्च 127 करोड़ रुपये था, जो पिछले सरकार के खर्च से लगभग 5 गुना अधिक था। - बढ़ता खर्च:
2021-22 में यह खर्च बढ़कर 621 करोड़ रुपये तक पहुँच गया। - विशेष आयोजन:
आम आदमी पार्टी की एनिवर्सरी मनाने पर 25 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जबकि दिल्ली की दिवाली 2021-22 में केवल 3 करोड़ रुपये खर्च किए गए और प्रसारण के लिए 11 करोड़ रुपये लगाए गए।
इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि जब तक खर्च के वास्तविक आंकड़ों पर नजर नहीं रखी जाती, तब तक फंड के स्रोत पर प्रश्न उठाना निरर्थक है।
निष्कर्ष: फंड की उपलब्धता पर आश्वासन
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के बयान से यह स्पष्ट हो जाता है कि दिल्ली सरकार का मानना है कि फ्री योजनाओं के लिए फंड जुटाने का सवाल केवल कागजी लीकेज पर निर्भर करता है। यदि पुरानी सरकार द्वारा की गई धनराशि की गलत उपयोगिता को रोका जाए, तो वांछित फंड आसानी से उपलब्ध हो सकता है।
राजनीतिक विवादों और बजट पर चल रही बहस के बीच, रेखा गुप्ता का यह दावा कि “फंड कहाँ से आएगा” का सवाल जल्द ही हल हो जाएगा, एक सकारात्मक संकेत देता है। उनके अनुसार, केंद्र सरकार की सहायता की आवश्यकता भी शायद न पड़े यदि सही तरीके से लीकेज को बंद कर दिया जाए।
यह बयान विपक्ष पर एक कटाक्ष है और दिल्ली में चल रही नीतिगत विवादों को नई दिशा देने का प्रयास करता है। राजनीतिक विपक्ष के आरोपों के बीच, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस बार स्पष्ट कर दिया है कि बजट में दिखाए गए आंकड़ों और योजनाओं के पीछे की असलियत क्या है।
अंततः, यह स्पष्ट है कि फ्री की घोषणाओं के पीछे का फंड जुटाने का मुद्दा केवल आंकड़ों के खेल में ही नहीं, बल्कि खर्च की पारदर्शिता और कागजी लीकेज पर नियंत्रण में निहित है। जैसे-जैसे मामले की तहकीकात आगे बढ़ेगी, दिल्ली की जनता को भी इस विषय में अधिक स्पष्टता मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।