श्री हनुमान चालीसा


अर्थ सहित – सम्पूर्ण पाठ

हनुमान चालीसा भगवान श्री हनुमान जी की स्तुति का वह अनुपम ग्रंथ है जिसे गोस्वामी तुलसीदास जी ने रचा। यह चालीसा न केवल संकटों से रक्षा करती है, बल्कि मन, बुद्धि और शरीर को भी ऊर्जा से भर देती है। यहाँ प्रस्तुत है श्री हनुमान चालीसा अर्थ सहित – प्रत्येक दोहे और चौपाई का सरल हिन्दी अनुवाद, जिससे आप भावपूर्वक पाठ कर सकें और अर्थ भी समझ सकें। नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करने से भय, रोग, शोक और बाधाएँ दूर होती हैं।

Shree Hanuman Ji
हनुमान चालीसा

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मन मुकुर सुधारि ।

बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि ॥

श्री गुरु के चरणों की धूल से अपने मन रूपी दर्पण को स्वच्छ करता हूँ।

रघुवर श्रीराम के निर्मल यश का वर्णन करता हूँ, जो चारों फल (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष) देने वाला है।

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार ।

बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार ॥

अपने को बुद्धिहीन जानकर पवनपुत्र हनुमान का स्मरण करता हूँ।

हे हनुमान! मुझे बल, बुद्धि और विद्या दो और मेरे दुखों तथा दोषों को हर लो।

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।

जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥

हे हनुमान! आप ज्ञान और गुणों के सागर हैं।

हे वानरों के स्वामी! आपकी कीर्ति तीनों लोकों में प्रकाशित है।

राम दूत अतुलित बल धामा ।

अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा ॥

आप श्रीराम के दूत हैं और अपार बलशाली हैं।

आप अंजना के पुत्र और पवनदेव के नाम से प्रसिद्ध हैं।

महाबीर बिक्रम बजरंगी ।

कुमति निवार सुमति के संगी ॥

आप महान पराक्रमी और वज्रधारी हैं।

आप बुरी बुद्धि को दूर कर सद्बुद्धि के साथी हैं।

कंचन बरन बिराज सुबेसा ।

कानन कुंडल कुंचित केसा ॥

आपका शरीर स्वर्ण के समान चमकदार है और आप सुसज्जित हैं।

आपके कानों में कुंडल शोभा देते हैं और आपके बाल घुँघराले हैं।

हाथ वज्र और ध्वजा बिराजै ।

काँधे मूँज जनेऊ साजै ॥

आपके हाथ में वज्र और ध्वजा सुशोभित हैं।

आपके कंधे पर मूंज का यज्ञोपवीत शोभा देता है।

संकर सुवन केसरी नंदन ।

तेज प्रताप महा जग वंदन ॥

आप भगवान शिव के अवतार और केसरी के पौत्र हैं।

आपकी तेजस्विता और पराक्रम से पूरा जगत आपकी वंदना करता है।

विद्यावान गुनी अति चातुर ।

राम काज करिबे को आतुर ॥

आप विद्वान, गुणी और अत्यंत चतुर हैं।

आप श्रीराम के कार्य करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं।

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।

राम लखन सीता मन बसिया ॥

आप श्रीराम की लीलाएँ सुनने में रुचि रखते हैं।

आपका हृदय सदैव राम, लक्ष्मण और सीता में रमण करता है।

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।

विकट रूप धरि लंक जरावा ॥

आपने सूक्ष्म रूप धारण कर माता सीता को दर्शन दिया।

आपने विकट रूप धारण कर लंका का दहन किया।

भीम रूप धरि असुर संहारे ।

रामचंद्र के काज सँवारे ॥

आपने भीषण रूप धारण कर असुरों का संहार किया।

आपने श्रीराम के सभी कार्य सफल किए।

लाय संजीवन लखन जियाए ।

श्रीरघुबीर हरषि उर लाए ॥

आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण को जीवनदान दिया।

श्रीराम प्रसन्न होकर आपको हृदय से लगा लिया।

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई ।

तुम मम प्रिय भरत सम भाई ॥

रघुपति ने आपकी बहुत प्रशंसा की।

आप मेरे लिए भरत के समान प्रिय हो।

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं ।

अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं ॥

हजारों मुख आपके यश का गुणगान करते हैं।

ऐसा कहकर श्रीराम ने आपको गले से लगाया।

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।

नारद सारद सहित अहीसा ॥

सनकादिक ऋषि, ब्रह्मा सहित सर्व मुनि आपकी महिमा जानते हैं।

नारद, सरस्वती और शेषनाग भी आपकी स्तुति करते हैं।

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।

कवि कोविद कहि सके कहाँ ते ॥

यमराज, कुबेर और सभी दिगपाल भी आपकी महिमा नहीं लिख सकते।

कोई कवि-विद्वान आपकी यशगाथा पूरी नहीं कर सकता।

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा ।

राम मिलाय राज पद दीन्हा ॥

आपने सुग्रीव पर उपकार किया।

श्रीराम से मिलवाकर उन्हें राजपद प्रदान किया।

तुम्हरो मंत्र विभीषण माना ।

लंकेश्वर भए सब जग जाना ॥

विभीषण ने आपके उपदेश माने।

वह लंका का राजा बना, यह सभी जानते हैं।

जुग सहस्त्र जोजन पर भानू ।

लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥

सूर्य हजार योजन दूर था पर आपने उसे मीठा फल समझ लिया।

इस चमत्कार से आपकी महान शक्ति प्रकट होती है।

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।

जलधि लांघि गए अचरज नाहीं ॥

श्रीराम की अंगूठी मुँह में लेकर आपने समुद्र पार किया।

यह असाधारण कार्य आपके लिए सहज था।

दुर्गम काज जगत के जेते ।

सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥

संसार के सभी कठिन कार्य आपकी कृपा से सरल हो जाते हैं।

आपकी सहायता से हर समस्या का समाधान होता है।

राम दुआरे तुम रखवारे ।

होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥

आप श्रीराम के द्वारपाल हैं।

आपकी आज्ञा बिना कोई अंदर नहीं आ सकता।

सब सुख लहै तुम्हारी सरना ।

तुम रक्षक काहू को डरना ॥

जो आपकी शरण में आता है, उसे सब सुख प्राप्त होते हैं।

आप जब रक्षक हैं, तो डर किस बात का?

आपन तेज सम्हारो आपै ।

तीनों लोक हाँक ते कांपै ॥

आपने अपना तेज स्वयं नियंत्रित किया है।

आपकी हुंकार मात्र से तीनों लोक कांपते हैं।

भूत पिशाच निकट नहिं आवै ।

महावीर जब नाम सुनावै ॥

भूत-प्रेत आपके पास नहीं आते।

जब कोई महावीर (हनुमान) का नाम लेता है, सब भय दूर हो जाता है।

नासै रोग हरै सब पीरा ।

जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥

आपके नाम से रोग और पीड़ा समाप्त हो जाती है।

जो निरंतर आपका जाप करता है, संकटों से मुक्ति पाता है।

संकट से हनुमान छुड़ावै ।

मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥

हनुमानजी संकटों से मुक्ति दिलाते हैं।

जो मन, वचन और कर्म से आपका ध्यान करता है, वह सुरक्षित रहता है।

सब पर राम तपस्वी राजा ।

तिन के काज सकल तुम साजा ॥

राम सभी पर शासन करने वाले तपस्वी राजा हैं।

आप उनके सभी कार्यों को सफल बनाते हैं।

और मनोरथ जो कोई लावै ।

सोइ अमित जीवन फल पावै ॥

जो कोई भी अपनी मनोकामना आपके समक्ष लाता है,

उसे असीम जीवन फल की प्राप्ति होती है।

चारों जुग परताप तुम्हारा ।

है परसिद्ध जगत उजियारा ॥

आपकी महिमा चारों युगों में फैली हुई है।

आपकी प्रसिद्धि से संपूर्ण जगत प्रकाशित है।

साधु संत के तुम रखवारे ।

असुर निकंदन राम दुलारे ॥

आप साधु-संतों के संरक्षक हैं।

आप असुरों के संहारक और श्रीराम के प्रिय भक्त हैं।

अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता ।

अस बर दीन्ह जानकी माता ॥

आप आठ सिद्धियों और नौ निधियों के दाता हैं।

माता जानकी ने आपको यह वरदान दिया।

राम रसायन तुम्हरे पासा ।

सदा रहो रघुपति के दासा ॥

आपके पास श्रीराम का अमृत तुल्य नाम है।

आप सदा रघुपति (श्रीराम) के दास बने रहें।

तुम्हरे भजन राम को पावै ।

जनम जनम के दुख बिसरावै ॥

आपकी भक्ति से श्रीराम प्राप्त होते हैं।

इसके पूजन से जन्म—जन्मांतर का दुख मिट जाता है।

अंतकाल रघुबर पुर जाई ।

जहाँ जन्म हरिभक्त कहलाई ॥

अंत समय में भक्त रघुपति के धाम को जाते हैं।

और अगले जन्म में हरिभक्त कहलाते हैं।

और देवता चित्त न धरई ।

हनुमत सेइ सर्व सुख करई ॥

जो अन्य देवताओं को नहीं धारण करता,

वह हनुमान की सेवा से सारी सुख—समृद्धि पाता है।

संकट कटै मिटै सब पीरा ।

जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥

आपके स्मरण से सभी संकट और पीड़ा मिट जाती है।

जो बलशाली हनुमानजी का स्मरण करता है, उद्धार पाता है।

🚩 श्री राम जय राम जय जय राम 🚩

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