आज का राहु काल

आज का राहु काल (Today’s Rahu Kaal) – जानें आज का राहु काल समय, तिथि और स्थान के अनुसार। Rahu Kaal is considered inauspicious in Hindu astrology. Avoid starting new ventures during this period. Get accurate daily Rahu Kaal timings for your city.

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राहु काल – विस्तृत जानकारी

परिचय: राहु काल क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?

वैदिक ज्योतिष और दैनिक पंचांग में, कुछ मुहूर्त (समय अवधि) अत्यंत शुभ माने जाते हैं, तो कुछ को अशुभ। इन्हीं अशुभ मुहूर्तों में से एक है राहु काल (Rahu Kaal), जिसे राहुकालम (Rahukalam) भी कहा जाता है। यह दिन का एक ऐसा समय है जिस पर छाया ग्रह राहु का आधिपत्य होता है। आम धारणा के अनुसार, इस अवधि में शुरू किए गए किसी भी नए या शुभ कार्य में बाधाएं आती हैं, असफलता मिलती है या उसके परिणाम अनिष्टकारी होते हैं।

हर दिन लाखों लोग किसी नए काम, यात्रा, या महत्वपूर्ण लेन-देन से पहले आज का राहु काल (Aaj Ka Rahu Kaal) की जाँच करते हैं। लेकिन राहु काल क्या है? इसकी गणना कैसे होती है? क्या यह हर शहर के लिए एक जैसा है? और अगर इस दौरान कोई काम करना अनिवार्य हो, तो इसके अशुभ प्रभावों से कैसे बचा जा सकता है?

यह लेख राहु काल से जुड़े हर पहलू पर गहराई से प्रकाश डालेगा। हम इसकी पौराणिक कथा, सटीक गणना विधि, इसके प्रभावों और उन अचूक उपायों की चर्चा करेंगे, जो राहु दोष को शांत कर सकते हैं।


राहु की पौराणिक कथा: क्यों है राहु काल इतना अशुभ?

राहु काल के महत्व को समझने के लिए, हमें पौराणिक कथाओं में जाना होगा। हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार, राहु कोई खगोलीय पिंड (जैसे सूर्य या मंगल) नहीं है, बल्कि एक छाया ग्रह (Shadow Planet) है।

प्रसिद्ध समुद्र मंथन (Samudra Manthan) की कथा में, जब देवताओं और असुरों ने अमृत प्राप्ति के लिए क्षीर सागर का मंथन किया, तो अंत में भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर देवताओं को अमृत पिलाना शुरू किया। स्वरभानु नामक एक चतुर असुर ने देवता का वेश धारण किया और देवताओं की पंक्ति में बैठकर अमृत की कुछ बूँदें पी लीं।

सूर्य देव और चंद्र देव ने उसके इस छल को पहचान लिया और भगवान विष्णु को सूचित कर दिया। क्रोधित होकर, भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से स्वरभानु का सिर धड़ से अलग कर दिया। चूँकि अमृत उसके गले तक पहुँच चुका था, इसलिए उसका सिर और धड़, दोनों अमर हो गए। सिर वाला भाग राहु कहलाया और धड़ वाला भाग केतु

इसी घटना के कारण, राहु की सूर्य और चंद्रमा से शाश्वत शत्रुता हो गई। ज्योतिष में, राहु को भ्रम, धोखा, बाधा, आकस्मिक घटनाओं, विदेशी तत्वों और भौतिकवादी इच्छाओं का कारक माना जाता है। चूँकि राहु का स्वभाव भ्रामक और विघटनकारी है, इसलिए जिस समय (काल) पर उसका शासन होता है, उसे किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत के लिए अशुभ माना जाता है।


आज का राहु काल: 100% सही गणना कैसे करें?

यह राहु काल से जुड़ा सबसे महत्वपूर्ण और भ्रामक पहलू है। बहुत से लोग इंटरनेट पर आज का राहु काल खोजते हैं और एक निश्चित समय (जैसे 7:30 से 9:00) देखकर उसे ही अंतिम मान लेते हैं। यह एक बड़ी गलती है।

सच्चाई यह है कि राहु काल का समय हर दिन और हर स्थान के लिए बदलता है।

यह एक निश्चित समय नहीं है, बल्कि इसकी गणना स्थानीय सूर्योदय (Sunrise) और सूर्यास्त (Sunset) के आधार पर की जाती है।

राहु काल गणना का सटीक ज्योतिषीय फॉर्मूला

राहु काल की अवधि लगभग 90 मिनट (डेढ़ घंटा) होती है, लेकिन यह सटीक नहीं है। इसकी सही गणना इस प्रकार है:

  1. दिनमान की गणना करें: अपने स्थान (शहर) का स्थानीय सूर्योदय और सूर्यास्त का समय लें। सूर्यास्त के समय में से सूर्योदय के समय को घटाकर ‘दिनमान’ (Day Duration) निकालें।
    • उदाहरण: यदि सूर्योदय सुबह 6:00 बजे और सूर्यास्त शाम 6:00 बजे है, तो दिनमान 12 घंटे (720 मिनट) हुआ।
  2. दिनमान को 8 भागों में बाँटें: इस कुल दिनमान को 8 बराबर भागों में विभाजित करें।
    • उदाहरण: 12 घंटे / 8 = 1.5 घंटे (90 मिनट)। इस स्थिति में, प्रत्येक भाग 90 मिनट का होगा।
  3. दिन के अनुसार भाग का चयन करें: सप्ताह का प्रत्येक दिन राहु काल के लिए एक विशिष्ट भाग (Slot) आरक्षित रखता है। यह कभी भी दिन का पहला भाग नहीं होता।

राहु काल का ज्योतिषीय महत्व और प्रभाव

राहु को ‘बुद्धि का हरण करने वाला’ माना जाता है। जब राहु काल सक्रिय होता है, तो यह माना जाता है कि व्यक्ति की निर्णय लेने की क्षमता, तार्किक सोच और विवेक पर भ्रम का पर्दा पड़ जाता है।

  1. भ्रम और धोखा: इस समय में लिए गए निर्णय अक्सर गलत साबित होते हैं। आप किसी धोखे का शिकार हो सकते हैं, या ऐसी डील कर सकते हैं जो बाद में नुकसानदेह साबित हो।
  2. बाधाएं और विलंब: राहु काल में शुरू किए गए काम (Work started in Rahu Kaal) में बार-बार रुकावटें आती हैं। वह काम या तो अधूरा रह जाता है, या उसे पूरा करने में उम्मीद से कहीं अधिक समय और संसाधन लगते हैं।
  3. नकारात्मक परिणाम: यदि कोई शुभ कार्य जैसे विवाह या गृह प्रवेश इस समय में किया जाता है, तो यह उस कार्य की शुभता को भंग कर देता है, जिससे भविष्य में कलह, असफलता या दुर्भाग्य की आशंका बनती है।
  4. दुर्घटना और हानि: विशेषकर मंगलवार का राहु काल (जो मंगल द्वारा शासित है) यात्रा या मशीनरी से जुड़े कामों के लिए बहुत अशुभ माना जाता है, क्योंकि यह आकस्मिक दुर्घटनाओं का योग बना सकता है।

राहु काल में क्या नहीं करना चाहिए? (Forbidden Activities)

ज्योतिष शास्त्र राहु काल के दौरान कुछ कार्यों को सख्ती से करने की मनाही करता है। यदि आप सफलता चाहते हैं तो इन राहु काल में वर्जित कार्यों से बचें:

  • नया काम शुरू करना: कोई नया व्यवसाय, नई दुकान का उद्घाटन, या नई नौकरी ज्वाइन करना।
  • मांगलिक कार्य: विवाह, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश, या नामकरण संस्कार जैसे कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य।
  • महत्वपूर्ण लेन-देन: कोई बड़ा वित्तीय निवेश, पैसे उधार देना या लेना, या किसी महत्वपूर्ण सौदे पर हस्ताक्षर करना।
  • खरीदारी: वाहन, घर, सोना, आभूषण या कोई भी मूल्यवान वस्तु खरीदना। इस समय खरीदी गई वस्तु या तो जल्दी खराब हो जाती है या अशुभ फल देती है।
  • यात्रा: किसी महत्वपूर्ण कार्य, विशेषकर लंबी दूरी या दक्षिण दिशा की यात्रा शुरू करने से बचें।
  • यज्ञ और हवन: किसी भी देवता को प्रसन्न करने के लिए किया जाने वाला यज्ञ या हवन (राहु शांति के कार्यों को छोड़कर) इस समय में नहीं करना चाहिए।
  • वचन देना: किसी को कोई गंभीर वादा या वचन न दें, क्योंकि राहु भ्रम पैदा करके उसे पूरा नहीं होने देता।

क्या राहु काल में सभी कार्य वर्जित हैं? (Permitted Activities)

यह एक आम मिथक है कि राहु काल में सब कुछ रोक देना चाहिए। ऐसा नहीं है।

  1. नियमित कार्य: आप अपना दैनिक कार्य (Routine Work) जारी रख सकते हैं जो राहु काल से पहले ही शुरू हो चुका है। उदाहरण के लिए, यदि आप सुबह 9 बजे से ऑफिस का काम कर रहे हैं और 12 बजे राहु काल शुरू होता है, तो आपको काम रोकने की जरूरत नहीं है।
  2. आध्यात्मिक कार्य (सर्वश्रेष्ठ समय): राहु एक तामसिक ग्रह है जिसे केवल सात्विक ऊर्जा ही नियंत्रित कर सकती है। इसलिए, राहु काल को ध्यान (Meditation), मंत्र जाप और पूजा-पाठ के लिए बहुत शक्तिशाली माना जाता है।
  3. राहु शांति के उपाय: राहु ग्रह की शांति से संबंधित कोई भी पूजा, मंत्र जाप, या तांत्रिक अनुष्ठान करने के लिए यह सर्वश्रेष्ठ समय है। काल सर्प दोष (Kaal Sarp Dosh) की शांति के उपाय भी इस समय किए जा सकते हैं।
  4. शिव, दुर्गा और हनुमान पूजा: भगवान शिव, माँ दुर्गा (जो राहु की अधिष्ठात्री देवी हैं) और भगवान हनुमान की पूजा राहु काल के दुष्प्रभावों को तुरंत नष्ट कर देती है।

राहु काल के अशुभ प्रभावों से बचने के अचूक उपाय (Remedies)

यदि राहु काल के दौरान कोई महत्वपूर्ण कार्य करना या यात्रा करना अनिवार्य हो, तो आप इन उपायों से इसके अशुभ प्रभाव को काफी हद तक कम कर सकते हैं:

1. हनुमान चालीसा का पाठ (Hanuman Chalisa)

हनुमान चालीसा को राहु के दुष्प्रभावों के लिए रामबाण माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान हनुमान ही एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनका राहु पर पूर्ण नियंत्रण है।

  • उपयोग: किसी भी अनिवार्य काम को शुरू करने से ठीक पहले, 1, 3 या 7 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। यह एक शक्तिशाली सुरक्षा कवच बनाता है।

2. राहु का बीज मंत्र (Rahu Beej Mantra)

यदि आप राहु काल में फंस गए हैं या किसी मीटिंग में हैं, तो मन ही मन राहु के बीज मंत्र का जाप करते रहें।

  • मंत्र: ॐ रां राहवे नमः (Om Raam Rahave Namah)
  • लाभ: यह मंत्र राहु की नकारात्मक ऊर्जा को शांत करता है और आपकी बुद्धि को भ्रमित होने से बचाता है।

3. माँ दुर्गा की स्तुति (Worship Maa Durga)

माँ दुर्गा को ‘छाया रूपेण’ कहा गया है और वे राहु को नियंत्रित करती हैं। दुर्गा सप्तशती के मंत्रों का जाप, विशेष रूप से “अर्गला स्तोत्र”, राहु की बाधाओं को दूर करता है।

4. भगवान शिव की पूजा (Worship Lord Shiva)

राहु भगवान शिव के परम भक्त हैं। राहु काल में शिवलिंग पर जल चढ़ाना या ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करने से राहु प्रसन्न होते हैं और कष्ट नहीं देते। महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी आकस्मिक संकटों से रक्षा करता है।

5. यात्रा या कार्य से पहले के टोटके (Simple Remedies)

यदि राहु काल में यात्रा (Travel in Rahu Kaal) या काम शुरू करना ही पड़े, तो घर से निकलने से पहले ये करें:

  1. थोड़ा गुड़ या दही खाकर पानी पिएं।
  2. घर से निकलने से पहले अपने इष्टदेव को प्रणाम करें।
  3. कुछ ज्योतिषियों के अनुसार, घर से निकलने से पहले 10 कदम उल्टे (पीछे की ओर) चलें और फिर अपनी यात्रा पर निकल जाएं। यह राहु के भ्रामक प्रभाव को काटने का एक टोटका माना जाता है।

6. दान (Donation)

राहु काल के बाद राहु से संबंधित वस्तुओं का दान करने का संकल्प लें। इससे राहु का अशुभ प्रभाव कम होता है।

  • दान सामग्री: उड़द दाल, काले तिल, सरसों का तेल, नीला या काला कपड़ा, और नारियल।

राहु काल, यमगंडम काल और गुलिक काल में अंतर

अक्सर लोग राहु काल, यमगंडम और गुलिक काल को लेकर भ्रमित रहते हैं। ये तीनों ही पंचांग के अशुभ मुहूर्त हैं, लेकिन इनके प्रभाव अलग-अलग हैं।

  1. राहु काल (Rahu Kaal):
    • स्वामी: राहु।
    • प्रभाव: भ्रम, बाधा, धोखा, असफलता। इस समय शुरू किया गया काम सफलतापूर्वक पूरा नहीं होता या नकारात्मक परिणाम देता है। इसे शुभ कार्यों के लिए सख्ती से त्यागा जाता है।
  2. यमगंडम काल (Yamagandam Kaal):
    • स्वामी: यम (मृत्यु के देवता)।
    • प्रभाव: इसे ‘मृत्यु का समय’ माना जाता है। यह राहु काल से भी अधिक अशुभ माना जाता है। इस समय शुरू किया गया कोई भी काम ‘मृत’ या ‘नष्ट’ हो जाता है। इस अवधि में केवल मृत्यु-संस्कार (जैसे श्राद्ध) किए जा सकते हैं।
  3. गुलिक काल (Gulika Kaal):
    • स्वामी: गुलिक (शनि का पुत्र)।
    • प्रभाव: यह एक विचित्र मुहूर्त है। यह अशुभ तो है, लेकिन इसका मुख्य गुण ‘पुनरावृत्ति’ (Repetition) है।
    • क्या न करें: इस समय कोई भी अशुभ काम (जैसे अंतिम संस्कार, ऋण लेना, या मुकदमा करना) नहीं करना चाहिए, क्योंकि उस घटना की पुनरावृत्ति हो सकती है।
    • क्या कर सकते हैं: कुछ दक्षिण भारतीय मान्यताओं के अनुसार, इस समय शुभ कार्य (जैसे घर खरीदना या सोना खरीदना) किया जा सकता है, ताकि आप उस कार्य को जीवन में बार-बार दोहरा सकें। हालांकि, विवाह के लिए इसे वर्जित माना जाता है (पुनर्विवाह के योग से बचने के लिए)।

सलाह: किसी भी नए और शुभ कार्य के लिए, इन तीनों ही मुहूर्तों से बचना सबसे उत्तम है।


राहु काल से जुड़े मिथक और सच्चाई (Myths vs. Facts)

मिथक 1: राहु काल हर दिन 90 मिनट का होता है।

  • सच्चाई: नहीं। यह दिनमान (सूर्योदय से सूर्यास्त तक का समय) का 1/8वां हिस्सा होता है। सर्दियों में दिन छोटे होने पर यह 90 मिनट से कम और गर्मियों में दिन बड़े होने पर 90 मिनट से अधिक हो सकता है।

मिथक 2: राहु काल का समय पूरे भारत में एक जैसा होता है।

  • सच्चाई: बिल्कुल नहीं। यह पूरी तरह से स्थानीय सूर्योदय और सूर्यास्त पर निर्भर है। कोलकाता का राहु काल मुंबई के राहु काल से अलग होगा।

मिथक 3: राहु काल में पूजा-पाठ नहीं कर सकते।

  • सच्चाई: यह सबसे बड़ा मिथक है। इसके विपरीत, राहु काल आध्यात्मिक ऊर्जा, मंत्र जाप और ध्यान के लिए दिन का सबसे शक्तिशाली समय होता है। इस समय की गई पूजा (विशेषकर शिव, दुर्गा, हनुमान की) तुरंत फलदायी होती है।

मिथक 4: क्या ‘रात्रि का राहु काल’ भी होता है?

  • सच्चाई: हाँ, ‘रात्रिमान’ (सूर्यास्त से अगले सूर्योदय) के आधार पर रात्रि का राहु काल (Ratri Rahu Kaal) भी होता है, लेकिन इसका प्रयोग मुख्य रूप से तांत्रिक क्रियाओं या विशिष्ट अनुष्ठानों के लिए किया जाता है। आम जनजीवन और शुभ कार्यों के लिए केवल दिन के राहु काल का ही विचार किया जाता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

आज का राहु काल (Aaj Ka Rahu Kaal) वैदिक ज्योतिष का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे भय के बजाय ‘सावधानी’ के संकेतक के रूप में देखा जाना चाहिए। यह वह समय है जब ब्रह्मांडीय ऊर्जाएं भौतिकवादी शुरुआत के लिए प्रतिकूल होती हैं, लेकिन आध्यात्मिक उन्नति के लिए अत्यधिक अनुकूल होती हैं।

यह ‘बुरा’ समय नहीं है, बल्कि ‘अलग’ समय है। यह समय हमें रुकने, सोचने और अपने भीतर झाँकने का अवसर देता है।

अगली बार जब आप कोई नया काम शुरू करने जाएं, तो अपने स्थानीय पंचांग में आज का राहु काल अवश्य जांच लें। यदि आप उस समय को टाल सकते हैं, तो उत्तम है। यदि नहीं, तो हनुमान चालीसा का पाठ करें और अपने इष्टदेव पर विश्वास रखकर आगे बढ़ें। सही गणना और सही उपाय से आप राहु के किसी भी अशुभ प्रभाव को निष्प्रभावी कर सकते हैं।


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

Q1: क्या राहु काल में भोजन कर सकते हैं?

A: हाँ, भोजन करने, पानी पीने, स्नान करने या सोने जैसे दैनिक और नियमित कार्यों पर राहु काल की कोई पाबंदी नहीं है।

Q2: राहु काल का सबसे आसान उपाय क्या है?

A: यदि आप कोई उपाय नहीं जानते हैं, तो काम शुरू करने से पहले केवल 2 मिनट रुककर हनुमान चालीसा का पाठ कर लें या “ॐ नमः शिवाय” का 11 बार जाप कर लें। यह सबसे सरल और प्रभावी उपाय है।

Q3: मेरा काम राहु काल में शुरू हुआ और सफल हो गया, ऐसा क्यों?

A: ज्योतिष एक जटिल विज्ञान है। राहु काल के अलावा, उस समय का चौघड़िया, तिथि, नक्षत्र, योग और आपकी व्यक्तिगत कुंडली में ग्रहों की दशा भी परिणाम तय करती है। यदि उस समय कोई अत्यंत शुभ योग (जैसे अमृत चौघड़िया) चल रहा हो, तो राहु काल का प्रभाव कम हो सकता है। लेकिन जोखिम लेना उचित नहीं है।

Q4: राहु काल और राहु महादशा में क्या अंतर है?

A: राहु काल एक दैनिक 90 मिनट (लगभग) की अवधि है जो सभी को प्रभावित करती है। राहु महादशा आपकी जन्म कुंडली पर आधारित एक व्यक्तिगत ज्योतिषीय अवधि है जो 18 वर्षों तक चलती है और केवल उसी व्यक्ति को प्रभावित करती है जिसकी कुंडली में यह सक्रिय है।

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