श्री राम चालीसा

अर्थ सहित – सम्पूर्ण पाठ

श्री राम चालीसा भगवान श्रीराम की महिमा का गुणगान करने वाला एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है, जिसे भक्तगण परम भक्ति भाव से पढ़ते हैं। यह चालीसा रघुकुल की प्रतिष्ठा, श्रीराम के आदर्श चरित्र, पराक्रम और करुणा के गुणों का सुंदर वर्णन प्रस्तुत करती है। यहाँ प्रस्तुत है श्री राम चालीसा अर्थ सहित — प्रत्येक चौपाई एवं दोहे का सरल हिन्दी अनुवाद, जिससे पाठ के प्रत्येक श्लोक का भाव स्पष्ट रूप से समझ आ सके। इस चालीसा का नियमित पाठ करने से मानसिक शांति, जीवन की बाधाओं निवारण तथा भगवान श्रीराम की असीम कृपा की प्राप्ति होती है।

श्री दुर्गा चालीसा

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मन मुकुर सुधार।

बरनऊँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चार॥

गुरु के चरणों की धूल से मैं अपने मन की गंदगी दूर करता हूँ।

मैं उस रघुकुल नायक राम के निर्मल गुण गाता हूँ, जो चारों प्रकार के फल (धार्मिक, अधार्मिक, नैतिक, आध्यात्मिक) प्रदान करता हैं।

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।

बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस विकार॥

जब मैं अपनी अविवेकी देह समझकर पवनपुत्र (हनुमान) का स्मरण करता हूँ,

तब हे हनुमान! मुझे बल, बुद्धि और विद्या प्रदान करो तथा सभी क्लेश और दोष मिटा दो॥

जयति शंकर सुब्रा हरी, जीयते राम पुरारी।

सीता-राम रचि सुख पायी, मुनि-जने मन माहारी॥

जय हो शिव, ब्रह्मा, विष्णु और अन्य देवताओं की, और राम के भक्तों की जय हो।

सीता-राम का पूजन कर भक्तों को सुख की प्राप्ति होती है तथा मुनि-महात्मा हृदय से आनंदित होते हैं॥

राम लखन सीता सहित, रघुकुल गति सुजान।

राम भजु मनोहारी, करहु प्रीतिविधान॥

लक्ष्मण और सीता सहित राम का भक्तिपूर्वक स्मरण करने से रघुकुल का कल्याण होता है।

हे मन! प्रिय राम का भजन कर और उन्हें पूजनीय भाव से प्रणाम कर॥

पवन तनय संकट हरन, मंगल मंगल गुण गान।

राम दूत अतुलित बलधामा, अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥

हे पवनपुत्र हनुमान! तू संकटों को दूर करने वाला, मंगलमयी गुणों का गान करने वाला है।

तू राम का दूत, अपार बल का धनी, अंजनी का पुत्र और पवनदेव का नामधारी है॥

महाबली महाबीर, शत्रु बद्रि भव बंधन चार।

राम रटत चलहु जुग पावन, तब सब दुःख कटहु भव जान॥

हे महाबली महाबीर! तू शत्रुओं का संहारक है और जगत्‌ के बन्धनों को तोड़ने वाला है।

हे पावन राम! तेरा जप-लीला करते रहने से सभी दुःख और संसारिक बंधन कटकर मुक्ति मिलती है॥

रामदूत प्रभु परिवर्तन, दीन दुःखनिवारक।

राम नाम अमृत अनुभूति, संकट हरन मिशनकारक॥

हे रामदूत! तू प्रभु का दूत और परोपकारों में परिवर्तन लाने वाला, दीन और दुःखी का उद्धारक है।

राम का नाम अमृतरस का अनुभव कराता है और संकटों का नाश करने वाला है॥

राम भक्ति भाव मन माही, जय जय रघुवर आपार।

रामनाम महा तीर्थ लोक, पठे यो नरि मन विचार॥

हे मन! रामभक्ति-भाव को अपने हृदय में धारण कर, रघुवर राम की अपार जय-जयकार कर।

रामनाम ही सर्वश्रेष्ठ तीर्थ है; जो मन से इस चालीसा का पाठ करता है, उसे महान पुण्य की प्राप्ति होती है॥

सिय राम रघुपति कृपालु, भजहु मन संत विहार।

राम नाम अमृत कहु न को, जनम मरन तारक उद्धार॥

सीता-राम रघुपति के करुणामयी स्वरूप का भजन करे मन, क्योंकि उसका वैभव हृदय को आनंदित करता है।

राम का नाम अमृत है; उसका स्मरण करने से जन्म-मरण के तारणहार लोकहित होता है॥

चौदहवाँ चरण भारी लागे, हृदय कँमारि चला जागे।

राम रटत रटत भये सुखी, जब मति मदन मगन लागे॥

राम के चौदह चरण का स्मरण भारी लगता है, हृदय कँपित होकर जागृत होता है।

राम का जप-लीला करते-करते मन आनंद से मगन होता है॥

परेशान भए जो नर मन, राम नाम सुमिरि दिन रात।

तिन्ह प्रभु सब कष्ट कटिहिं, तिन्ह संत जन सुख पात॥

जो व्यक्ति दुःखी और परेशान होता है, दिवस-रात्रि राम नाम का स्मरण करे।

उसके सभी कष्ट कट जाते हैं और संत जनों का आनंद प्राप्त होता है॥

राम कीर्ति अनंत तुम्हारी, जो कोइ पठे निरंतर।

दुख दरिद्रता मिट जाहि, धन धन मनि मनु धरन्तर॥

तुम्हारी राम कीर्ति अनंत है; जो इसे निरंतर पढ़ता रहता है,

उसका दुःख-दरिद्रता मिट जाती है और जन धन-धान्य प्रबल हो जाते हैं॥

रामजी के लोक मालिक, आप ही पालनकर्ता।

उनकी भकति करो सदा, मिटैय दूर दरिद्रता॥

हे पालनकर्ता राम! आप ही सभी लोकों के स्वामी और पालक हैं।

आपकी सदा भक्ति करने से दूर होती है सारी दरिद्रता॥

श्रीराम जीवन धारा, प्रेम सहित करिबें बखान।

राम नाम मञ्जूषा बिराजे, जिन पर कृपा करिहें भगवान॥

श्रीराम का जीवन आधार प्रेम है — ऐसा प्रेमपूर्वक वर्णन करो।

राम नाम मन्दिर में विराजमान है, जिस पर प्रभु कृपा करते हैं॥

ये श्रीराम चालीसा बालन, जऊन पढ़ै सो सुख पावै।

जनम मरण बंधन टूटै, रामनाम रस पावै॥

जो भी व्यक्ति इस श्रीराम चालीसा का पाठ करता है, उसे सुख की प्राप्ति होती है।

उसका जन्म-मरण के बंधन टूट जाते हैं और वह राम नाम अमृतरस का स्वाद पाता है॥

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