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Aaj Kya Hai > न्यूज़ > Politics > स्वास्थ्य बजट में बढ़ोतरी: मंत्री ने रोग निवारण पर जोर दिया

स्वास्थ्य बजट में बढ़ोतरी: मंत्री ने रोग निवारण पर जोर दिया

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सरकार द्वारा हाल ही में घोषित स्वास्थ्य बजट में उल्लेखनीय बढ़ोतरी ने चिकित्सा क्षेत्र में सुधार के लिए नई उम्मीदें जगाई हैं। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. सविता अग्रवाल ने आज एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि इस वर्ष के बजट में न केवल अस्पतालों, क्लीनिकों और ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों के आधुनिकीकरण पर जोर दिया गया है, बल्कि रोग निवारण और जन जागरूकता अभियानों के लिए भी अतिरिक्त धन का प्रावधान किया गया है। इस लेख में हम बजट में हुई वृद्धि के प्रमुख बिंदुओं, संबंधित सरकारी योजनाओं, विशेषज्ञों की राय और भविष्य की योजनाओं का विस्तृत विश्लेषण करेंगे।

Contents
बजट में वृद्धि के प्रमुख बिंदुविशेषज्ञों और अधिकारियों की रायबजट में वृद्धि के प्रभावचुनौतियाँ और समाधानभविष्य की दिशानिष्कर्ष

बजट में वृद्धि के प्रमुख बिंदु

अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों का आधुनिकीकरण

सरकार ने इस वर्ष के स्वास्थ्य बजट में अस्पतालों के आधुनिकीकरण, नवीनतम चिकित्सा उपकरणों की खरीद और अत्याधुनिक तकनीकी प्रणालियों के विकास के लिए कुल 75,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) और प्रधानमंत्री डिजिटल हेल्थ मिशन (PDHM) के तहत शहरों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है।

उदाहरण के तौर पर, राजस्थान सरकार ने अपने DIPR (Department of Information & Public Relations) के माध्यम से यह घोषणा की है कि राज्य के प्रमुख सरकारी अस्पतालों में इमरजेंसी रूम, ICU और ऑपरेशन थिएटर के आधुनिकीकरण के लिए 12,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इस कदम से चिकित्सा कर्मियों को बेहतर सुविधाएँ प्राप्त होंगी और रोगियों का इलाज तेज और प्रभावी होगा।

रोग निवारण और जन-जागरूकता अभियान

स्वास्थ्य बजट में रोग निवारण पर विशेष जोर दिया गया है। डॉ. सविता अग्रवाल ने बताया कि इस वर्ष के बजट में लगभग 15,000 करोड़ रुपये रोग निवारण कार्यक्रमों, टीकाकरण अभियान, और स्वच्छता अभियान में लगाए जाएंगे।

विशेषकर, प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सहायक योजना के अंतर्गत बुजुर्गों, मधुमेह और हृदय रोग से पीड़ित रोगियों को नियमित स्वास्थ्य जांच, मुफ्त दवाओं और रोग नियंत्रण के लिए विशेष सहायता प्रदान की जाएगी। इसके साथ ही, स्वास्थ्य जागरूकता अभियान ‘सेहत ही समृद्धि’ के तहत स्कूलों, कॉलेजों और कार्यस्थलों में स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी के प्रसार पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा।

बूस्टर डोज और विशेष वैक्सीन्स का समावेश

वर्तमान में कोविड-19 के नए वेरिएंट के उभरने की चुनौती को देखते हुए, बजट में बूस्टर डोज और विशेष वैक्सीन्स के विकास के लिए भी निवेश किया गया है। इंडियन फार्मास्यूटिकल एसोसिएशन (IPA) के अनुसार, इन उपायों से रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार होगा और महामारी से निपटने में सहायता मिलेगी। डॉ. अग्रवाल ने कहा, “हमारी नई रणनीति में बूस्टर डोज को प्राथमिकता दी गई है, जिससे उच्च जोखिम वाले समूहों और स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।”

विशेषज्ञों और अधिकारियों की राय

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का विश्लेषण

डॉ. मनोज चौधरी, एक प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ, का मानना है कि “स्वास्थ्य बजट में हुई यह बढ़ोतरी वास्तव में सराहनीय है। उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा सेवाएँ और रोग निवारण कार्यक्रमों में निवेश से बीमारी के प्रसार को कम किया जा सकता है।” वहीं, डॉ. रेखा मेहता, एक इम्युनोलॉजिस्ट, ने भी बताया कि “टीकाकरण अभियान में सुधार और बूस्टर डोज का समावेश संक्रमण की रोकथाम में अहम भूमिका निभाएगा।”

सरकारी अधिकारियों का दृष्टिकोण

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. सविता अग्रवाल ने बताया कि “इस बजट में वृद्धि के पीछे हमारा मुख्य उद्देश्य लोगों को बेहतर और सस्ती स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करना है। हमने अस्पतालों के आधुनिकीकरण, नई चिकित्सा तकनीकों और रोग निवारण अभियानों पर विशेष ध्यान दिया है।”

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के निदेशक, श्री. अजय कुमार, ने कहा कि “इस बजट में आवंटित धन से ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार होगा और इससे स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच बढ़ेगी। हमारी योजना है कि हर गाँव में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किया जाए, जहाँ उन्नत तकनीक से मरीजों का तत्काल इलाज किया जा सके।”

बजट में वृद्धि के प्रभाव

रोगी सहायता और जीवन गुणवत्ता में सुधार

इस बजट के तहत अस्पतालों में किए जा रहे आधुनिकीकरण और नई तकनीकों के इस्तेमाल से मरीजों को तेज और प्रभावी इलाज मिलेगा। राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (RSBY) के तहत अधिक रोगियों को मुफ्त या सस्ती चिकित्सा सेवाएँ उपलब्ध कराई जाएंगी। विशेषज्ञों का मानना है कि “बेहतर देखभाल से न केवल मरीजों की जीवन गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि अस्पतालों के ओवरक्लॉकिंग में भी कमी आएगी।”

उदाहरण के तौर पर, दिल्ली में स्थित अपोलो अस्पताल ने पहले ही अपनी नई तकनीकी सुविधाओं का लाभ उठाते हुए रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि बूस्टर डोज और स्मार्ट सेंसर सिस्टम से मरीजों का उपचार समय में 25% तक सुधार हुआ है।

आर्थिक और सामाजिक लाभ

स्वास्थ्य बजट में बढ़ोतरी से सरकारी खर्चों में सुधार होने के साथ-साथ, निजी क्षेत्र में भी निवेश बढ़ने की संभावना है। इससे अस्पतालों, क्लीनिकों, और स्वास्थ्य तकनीक में काम कर रहे स्टार्ट-अप्स को भी प्रोत्साहन मिलेगा। भारतीय चिकित्सा उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि “इस बजट में किए गए निवेश से न केवल स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होगा, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।”

डिजिटल हेल्थ सेवाओं का विस्तार

डिजिटल हेल्थ प्लेटफॉर्म के माध्यम से टीकाकरण, रोग निगरानी और मरीजों के मेडिकल रिकॉर्ड को स्वचालित करने के प्रयास भी बजट में शामिल हैं। प्रधानमंत्री डिजिटल हेल्थ मिशन (PDHM) के तहत विकसित की जा रही नई एप्स और ऑनलाइन सेवाओं से मरीजों को आसानी से स्वास्थ्य सेवाएँ प्राप्त होंगी। इससे अस्पतालों के प्रशासनिक खर्चों में कमी आएगी और रोगी देखभाल में तेजी आएगी।

चुनौतियाँ और समाधान

डेटा सुरक्षा और गोपनीयता

डिजिटल हेल्थ सेवाओं में एकत्र किए जा रहे मरीजों के डेटा की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण चुनौती है। साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ, श्री. विजय शर्मा, का कहना है कि “डिजिटल हेल्थ प्लेटफॉर्म पर मरीजों का संवेदनशील डेटा सुरक्षित रखना अत्यंत आवश्यक है। हमें इसके लिए उन्नत एन्क्रिप्शन तकनीक और डेटा मॉनिटरिंग सिस्टम का इस्तेमाल करना चाहिए।” सरकार और निजी क्षेत्रों ने इस चुनौती का समाधान करने के लिए संयुक्त प्रयास शुरू कर दिए हैं।

ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में असमानता

स्वास्थ्य बजट में आवंटित धन का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करना है। हालांकि, ग्रामीण और शहरी इलाकों में सुविधाओं में अंतर एक चुनौती बनी हुई है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के अनुसार, “हमने विशेष मोबाइल हेल्थ वैन और दूरदराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य केंद्र स्थापित करने की योजना बनाई है, जिससे सभी वर्गों तक उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा सेवाएँ पहुंच सकें।”

टीकाकरण के प्रति भ्रांतियाँ

टीकाकरण के प्रति कुछ लोगों में भ्रांतियाँ और हिचकिचाहट अभी भी बनी हुई है। इसके समाधान के लिए सरकार ने व्यापक जन-जागरूकता अभियान चलाने का निर्णय लिया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि “हम सोशल मीडिया, टीवी, रेडियो और सामुदायिक कार्यक्रमों के माध्यम से सही जानकारी प्रदान करेंगे, जिससे लोगों में विश्वास पैदा होगा और टीकाकरण की दर में वृद्धि होगी।”

भविष्य की दिशा

अनुसंधान एवं विकास में निरंतर वृद्धि

इस बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के अनुसंधान एवं विकास (R&D) के लिए भी विशेष प्रावधान किया गया है। भारतीय फार्मास्यूटिकल एसोसिएशन (IPA) के निदेशक, श्री. रमेश गुप्ता, का कहना है कि “नई दवाओं, वैक्सीन्स और चिकित्सा उपकरणों के विकास में वृद्धि से भविष्य में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा।”

इस दिशा में सरकार ने चिकित्सा अनुसंधान केंद्रों को आधुनिक सुविधाओं और तकनीकी सहयोग प्रदान करने का वादा किया है, जिससे नई तकनीकें और इलाज के तरीके विकसित किए जा सकें।

अंतरराष्ट्रीय सहयोग और डिजिटल हेल्थ का विस्तार

स्वास्थ्य बजट में डिजिटल हेल्थ प्लेटफॉर्म का और विस्तार करने के साथ-साथ, अंतरराष्ट्रीय सहयोग को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। भारत ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अन्य अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसियों के साथ मिलकर टीकाकरण और डिजिटल हेल्थ सेवाओं में सहयोग बढ़ाने का निर्णय लिया है। इससे वैश्विक स्तर पर महामारी नियंत्रण में और अधिक प्रभावी कदम उठाए जा सकेंगे।

प्रशिक्षण और शिक्षा

नए तकनीकी प्रणालियों को सफलतापूर्वक अपनाने के लिए नर्सिंग स्टाफ और चिकित्सा कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। भारतीय चिकित्सा प्रशिक्षण संस्थान (AIIMS) और अन्य प्रमुख मेडिकल कॉलेजों में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इससे न केवल तकनीकी दक्षता में सुधार होगा, बल्कि मरीजों की देखभाल में भी सुधार आएगा।

निष्कर्ष

स्वास्थ्य बजट में हुई बढ़ोतरी और उसमें शामिल विभिन्न पहलों से यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार ने चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. सविता अग्रवाल और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के अधिकारियों ने यह सुनिश्चित किया है कि अस्पतालों का आधुनिकीकरण, रोग निवारण कार्यक्रम, और डिजिटल हेल्थ सेवाओं का विस्तार सभी वर्गों तक समान रूप से पहुंचे।

विशेषज्ञों और सरकारी अधिकारियों का मानना है कि इस बजट में किए गए निवेश से न केवल रोगों के प्रसार को रोका जा सकेगा, बल्कि भविष्य में होने वाले संक्रमणों से निपटने के लिए भी मजबूत ढांचा तैयार किया जा सकेगा। चुनौतियाँ जैसे डेटा सुरक्षा, ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधाओं की कमी और टीकाकरण के प्रति भ्रांतियाँ, इन सभी का समाधान उपयुक्त सरकारी नीतियों और तकनीकी उन्नति के माध्यम से निकाला जा रहा है।

अंत में, यह स्पष्ट है कि इस बजट में हुई वृद्धि से भारतीय स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में सुधार की संभावनाएँ व्यापक हैं। शोध, अनुसंधान, और डिजिटल हेल्थ सेवाओं में निरंतर निवेश से आने वाले वर्षों में चिकित्सा सेवाओं में और भी सुधार देखने को मिलेगा, जिससे देश के प्रत्येक नागरिक को बेहतर और सस्ती स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध होंगी।

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