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नरक चतुर्दशी 2025: तिथि, महत्व, व्रत कथा, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Inderjeet Kumar
Last updated: March 28, 2025 12:16 pm
Inderjeet Kumar
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नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi), जिसे छोटी दिवाली, काली चौदस, रूप चौदस और नरक निवारण चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है, दीपावली के एक दिन पहले मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण त्योहार है।

Contents
नरक चतुर्दशी 2025 कब है? (Narak Chaturdashi 2025 Date & Time)नरक चतुर्दशी का धार्मिक महत्व1. भगवान श्रीकृष्ण द्वारा नरकासुर का वध2. अभ्यंग स्नान और पुण्य प्राप्ति3. यमराज पूजा और दीपदाननरक चतुर्दशी की पौराणिक कथा (Narak Chaturdashi Vrat Katha)1. नरकासुर वध की कथा2. राजा रंति देव की कथानरक चतुर्दशी पूजा विधि (Narak Chaturdashi Puja Vidhi)1. अभ्यंग स्नान और संकल्प2. भगवान श्रीकृष्ण और यमराज की पूजा3. दीपदान (यम दीप दान)4. हनुमान जी की पूजानरक चतुर्दशी व्रत करने के लाभ (Narak Chaturdashi Vrat Benefits)नरक चतुर्दशी पर किए जाने वाले विशेष उपाय (Narak Chaturdashi Ke Upay)नरक चतुर्दशी 2025 के लिए शुभकामना संदेश और शायरीनिष्कर्ष

यह पर्व असत्य पर सत्य की जीत और अज्ञानता पर प्रकाश के विजय का प्रतीक है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध कर 16,000 कन्याओं को मुक्त किया था। इस कारण इसे नरक निवारण चतुर्दशी भी कहा जाता है।

इस दिन विशेष स्नान (अभ्यंग स्नान), दीपदान, व्रत और यमराज की पूजा करने से पुण्य प्राप्त होता है और अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है।


नरक चतुर्दशी 2025 कब है? (Narak Chaturdashi 2025 Date & Time)

नरक चतुर्दशी 20 अक्टूबर 2025 (सोमवार) को मनाई जाएगी।

घटनासमय (IST)
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ19 अक्टूबर 2025, रात 09:45 बजे
चतुर्दशी तिथि समाप्त20 अक्टूबर 2025, रात 11:05 बजे
अभ्यंग स्नान का शुभ मुहूर्त20 अक्टूबर 2025, प्रातः 05:30 बजे से 06:30 बजे तक
दीपदान का शुभ मुहूर्त20 अक्टूबर 2025, शाम 06:00 बजे से रात 08:00 बजे तक

नरक चतुर्दशी का धार्मिक महत्व

1. भगवान श्रीकृष्ण द्वारा नरकासुर का वध

नरक चतुर्दशी को मनाने का मुख्य कारण भगवान श्रीकृष्ण द्वारा नरकासुर नामक राक्षस का वध करना है। नरकासुर ने 16,000 कन्याओं को बंदी बना रखा था। श्रीकृष्ण ने उसे पराजित कर इन कन्याओं को मुक्त कराया।

इस जीत की खुशी में लोगों ने दीप जलाकर उत्सव मनाया, जो आगे चलकर दीपावली के रूप में प्रसिद्ध हुआ।

2. अभ्यंग स्नान और पुण्य प्राप्ति

नरक चतुर्दशी पर स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसे “अभ्यंग स्नान” कहा जाता है, जिसमें तिल के तेल से स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

3. यमराज पूजा और दीपदान

इस दिन यमराज के लिए दीप जलाने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है। इसे “यम दीप दान” कहा जाता है और इसे घर के बाहर दक्षिण दिशा में रखा जाता है।


नरक चतुर्दशी की पौराणिक कथा (Narak Chaturdashi Vrat Katha)

1. नरकासुर वध की कथा

शास्त्रों के अनुसार, नरकासुर एक शक्तिशाली असुर था, जिसने देवताओं और साधु-संतों को बहुत परेशान किया। उसने 16,000 कन्याओं को बंदी बना लिया और इंद्रलोक में आतंक मचा दिया।

भगवान विष्णु के वरदान के कारण, नरकासुर को केवल एक स्त्री के हाथों मृत्यु प्राप्त हो सकती थी। इसलिए, भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ युद्ध किया और अंततः सत्यभामा ने नरकासुर का वध किया।

उसके वध के बाद, लोगों ने दीप जलाए और उल्लासपूर्वक उत्सव मनाया, जो आगे चलकर नरक चतुर्दशी और दीपावली के रूप में प्रसिद्ध हुआ।

2. राजा रंति देव की कथा

एक अन्य कथा के अनुसार, राजा रंति देव बहुत ही धर्मपरायण थे। लेकिन पूर्व जन्म के एक पाप के कारण उन्हें यमराज के दूत नरक में ले जाने लगे।

उन्होंने यमराज से प्रार्थना की, तब यमराज ने कहा, “अगर आप नरक चतुर्दशी के दिन प्रातः स्नान करके दीप जलाएँगे और व्रत करेंगे, तो आपको नरक से मुक्ति मिल जाएगी।”

राजा ने वैसा ही किया और वे नरक से मुक्त होकर विष्णु लोक चले गए।


नरक चतुर्दशी पूजा विधि (Narak Chaturdashi Puja Vidhi)

1. अभ्यंग स्नान और संकल्प

  • ब्रह्म मुहूर्त (सूर्योदय से पहले) उठकर तिल के तेल से अभ्यंग स्नान करें।
  • गंगाजल मिलाकर स्नान करना और चंदन का लेप लगाना विशेष शुभ माना जाता है।
  • स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें।

2. भगवान श्रीकृष्ण और यमराज की पूजा

  • भगवान श्रीकृष्ण, माता लक्ष्मी और यमराज की प्रतिमा स्थापित करें।
  • तिल, अक्षत, कुमकुम, पुष्प और दीप जलाकर पूजा करें।
  • “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।

3. दीपदान (यम दीप दान)

  • संध्या के समय घर के बाहर दक्षिण दिशा में एक दीप जलाएँ।
  • “ॐ यमराजाय नमः” मंत्र का जाप करें।
  • यह दीपदान अकाल मृत्यु के भय को समाप्त करता है।

4. हनुमान जी की पूजा

  • इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है।
  • हनुमान चालीसा का पाठ करें और गुड़-चना अर्पित करें।

नरक चतुर्दशी व्रत करने के लाभ (Narak Chaturdashi Vrat Benefits)

  1. पिछले जन्मों के पाप नष्ट होते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  2. स्नान और पूजा करने से धन, समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है।
  3. यम दीपदान करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है।
  4. नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
  5. नरक चतुर्दशी का व्रत करने से मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

नरक चतुर्दशी पर किए जाने वाले विशेष उपाय (Narak Chaturdashi Ke Upay)

  1. सुबह जल्दी उठकर तिल के तेल से स्नान करें और पवित्र नदी में स्नान करने का संकल्प लें।
  2. घर के मुख्य द्वार पर दीप जलाएँ और लक्ष्मी माता का स्वागत करें।
  3. रात में दक्षिण दिशा में दीप जलाकर यमराज की पूजा करें – इससे जीवन में शांति बनी रहती है।
  4. भगवान हनुमान की पूजा करें और गुड़-चना चढ़ाएँ – इससे शत्रु बाधा समाप्त होती है।
  5. गरीबों को भोजन और वस्त्र दान करें – इससे पुण्य फल प्राप्त होता है।

नरक चतुर्दशी 2025 के लिए शुभकामना संदेश और शायरी

  1. “नरक चतुर्दशी का यह शुभ पर्व, जीवन में लाए खुशियों की बौछार। शुभ नरक चतुर्दशी!”
  2. “अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ें, नरक चतुर्दशी पर दीप जलाएँ!”
  3. “श्रीकृष्ण के आशीर्वाद से आपके जीवन से सभी कष्ट दूर हों!”
  4. “यमराज की कृपा से आपका जीवन सुख-समृद्धि से भरपूर रहे!”
  5. “अकाल मृत्यु का भय मिटे, नरक चतुर्दशी का शुभ अवसर मिले!”

निष्कर्ष

नरक चतुर्दशी धर्म, शुद्धता और प्रकाश का पर्व है। इस दिन व्रत, स्नान और पूजा करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष प्राप्त होता है।

इस नरक चतुर्दशी 2025 को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाएँ और भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करें। 🙏✨

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