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मीना संक्रांति 2025: तिथि, महत्व, पूजा विधि और धार्मिक परंपराएँ

Inderjeet Kumar
Last updated: March 8, 2025 7:53 am
Inderjeet Kumar
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मीना संक्रांति 2025 का महत्व और धार्मिक प्रभाव

मीना संक्रांति (Meena Sankranti) हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है। जब सूर्य मीन राशि (Pisces) में प्रवेश करता है, तब इसे मीना संक्रांति कहा जाता है। यह सूर्य संक्रांति के 12 पर्वों में से अंतिम संक्रांति होती है और इसके बाद हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। इस दिन को दान, स्नान, और सूर्य उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। विभिन्न तीर्थस्थानों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और भक्तजन गंगा स्नान, हवन, और दान-पुण्य करते हैं। यह दिन आत्मशुद्धि, आध्यात्मिक उन्नति और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए आदर्श माना जाता है।

Contents
मीना संक्रांति 2025 का महत्व और धार्मिक प्रभावमीना संक्रांति 2025 कब है? (Meena Sankranti 2025 Date & Time)मीना संक्रांति का ज्योतिषीय और आध्यात्मिक महत्वमीना संक्रांति व्रत और पूजा विधिमीना संक्रांति पर दान करने का महत्वमीना संक्रांति के दौरान तीर्थ यात्रा का महत्वमीना संक्रांति पर किए जाने वाले अनुष्ठान और उपायमीना संक्रांति 2025 के लिए शुभकामना संदेश और शायरीनिष्कर्ष

मीना संक्रांति 2025 कब है? (Meena Sankranti 2025 Date & Time)

मीना संक्रांति 2025 में 14 मार्च (शुक्रवार) को मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य मीन राशि में प्रवेश करेगा, और इस कारण यह अत्यंत पवित्र दिन माना जाता है।

घटनासमय (IST)
संक्रांति तिथि14 मार्च 2025
पुण्य कालसुबह 6:30 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक
महा पुण्य कालसुबह 7:15 बजे से 9:30 बजे तक

इस समय के दौरान स्नान, दान, सूर्य पूजा और मंत्र जाप करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।

मीना संक्रांति का ज्योतिषीय और आध्यात्मिक महत्व

मीना संक्रांति का ज्योतिषीय महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सौर चक्र की अंतिम संक्रांति होती है, जिससे एक नए चक्र की शुरुआत होती है। यह धार्मिक और आध्यात्मिक साधना के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु और सूर्य देव की पूजा करना अत्यंत लाभकारी होता है। मीना संक्रांति के बाद सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है, जिसे हिंदू नववर्ष और चैत्र माह का प्रारंभ माना जाता है। इस दिन की गई तपस्या, साधना और दान-पुण्य से व्यक्ति को विशेष लाभ प्राप्त होता है।

मीना संक्रांति व्रत और पूजा विधि

मीना संक्रांति के दिन व्रत और पूजा करने से विशेष फल मिलता है। इस दिन की जाने वाली पूजा विधि इस प्रकार है:

  1. स्नान और संकल्प: प्रातः काल गंगा, यमुना या किसी पवित्र नदी में स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
  2. सूर्य देव की पूजा: तांबे के लोटे में जल, लाल फूल, चावल और गुड़ डालकर सूर्य को अर्घ्य दें।
  3. भगवान विष्णु और शिव की पूजा: मीना संक्रांति के दिन भगवान विष्णु और शिव की विशेष पूजा करनी चाहिए।
  4. गाय को चारा और भोजन दान करें: इस दिन गोसेवा का विशेष महत्व होता है।
  5. दान-पुण्य करें: ब्राह्मणों को भोजन कराएँ और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करें।

मीना संक्रांति पर दान करने का महत्व

हिंदू धर्म में संक्रांति के दिन दान-पुण्य को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। विशेष रूप से मीना संक्रांति के दिन किए गए दान से हजारों गुना फल प्राप्त होता है। इस दिन निम्नलिखित चीजों का दान करना शुभ माना जाता है:

  • गुड़ और तिल: यह दान करने से सौभाग्य और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
  • कपड़े और अन्न: गरीबों और जरूरतमंदों को कपड़े और अन्न दान करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
  • धातु (सोना, चाँदी, तांबा): धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, धातु का दान करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है।
  • गाय और भोजन दान: इस दिन भोजन का दान करने से पुण्य फल प्राप्त होता है।

मीना संक्रांति के दौरान तीर्थ यात्रा का महत्व

मीना संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करना और तीर्थ यात्रा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन देशभर में कई तीर्थ स्थानों पर विशेष स्नान और पूजा का आयोजन किया जाता है।

  1. गंगा स्नान (हरिद्वार, वाराणसी, प्रयागराज) – इस दिन गंगा में स्नान करने से मोक्ष प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है।
  2. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग – यहाँ स्नान और अभिषेक करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
  3. काशी विश्वनाथ मंदिर (वाराणसी) – इस दिन भगवान शिव के दर्शन और पूजा करना अत्यंत लाभकारी होता है।
  4. तिरुपति बालाजी मंदिर – यहाँ दर्शन और दान करने से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है।

मीना संक्रांति पर किए जाने वाले अनुष्ठान और उपाय

  1. भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें:
    “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
  2. सूर्य मंत्र का जाप करें:
    “ॐ घृणि सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करने से सूर्य देव का आशीर्वाद मिलता है।
  3. भगवान शिव की पूजा करें: शिवलिंग पर गंगाजल, बेलपत्र और दूध चढ़ाएँ।
  4. गरीबों को भोजन कराएँ: इस दिन अनाथालय या वृद्धाश्रम में भोजन वितरण करने से दैवीय आशीर्वाद मिलता है।

मीना संक्रांति 2025 के लिए शुभकामना संदेश और शायरी

  1. “सूर्यदेव की कृपा से आपके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आए। मीना संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएँ!”
  2. “भगवान विष्णु और सूर्य देव की कृपा से आपका जीवन प्रकाशमय हो। मीना संक्रांति की शुभकामनाएँ!”
  3. “दान और पुण्य करने से पापों का नाश होता है, आइए इस मीना संक्रांति पर अच्छे कार्य करें!”
  4. “भगवान शिव और विष्णु की कृपा आप पर बनी रहे, मीना संक्रांति 2025 की शुभकामनाएँ!”
  5. “यह मीना संक्रांति आपके जीवन में नई ऊर्जा और सकारात्मकता लेकर आए!”

निष्कर्ष

मीना संक्रांति 2025 केवल एक ज्योतिषीय घटना नहीं, बल्कि धार्मिक और आध्यात्मिक उत्थान का अवसर है। यह दिन हमें दान, पुण्य, सूर्य उपासना और आत्मशुद्धि का संदेश देता है। इस शुभ अवसर पर अच्छे कार्यों में संलग्न रहना, दान करना और भगवान की पूजा करना हमें विशेष पुण्य प्रदान करता है। आइए, इस मीना संक्रांति को पूरे भक्तिभाव और आस्था के साथ मनाएँ और अपने जीवन को आध्यात्मिक रूप से समृद्ध बनाएँ।

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