Sign In
Aaj Kya Hai Aaj Kya Hai

आज क्या है

  • होमहोमहोम
  • तिथि
  • पंचांग
  • शुभ मुहूर्त
  • त्यौहार
  • राष्ट्रीय दिवस
  • जन्मदिन
  • राशिफल
  • ↯ Trending
  • त्यौहार
  • तिथि
  • जन्मदिन
  • Health
  • पंचांग
  • Blog
  • देश
  • राशिफल
  • Saptahik Rashifal
  • राष्ट्रीय दिवस
आज क्या हैआज क्या है
Font ResizerAa
  • होमहोमहोम
  • तिथि
  • पंचांग
  • शुभ मुहूर्त
  • त्यौहार
  • राष्ट्रीय दिवस
  • जन्मदिन
  • राशिफल
Search
  • होमहोमहोम
  • तिथि
  • पंचांग
  • शुभ मुहूर्त
  • त्यौहार
  • राष्ट्रीय दिवस
  • जन्मदिन
  • राशिफल
Have an existing account? Sign In
Follow US
© 2022 Foxiz News Network. Ruby Design Company. All Rights Reserved.
आज क्या है > Blog > Devotion > तिथि > एकादशी कब है? 2025 की एकादशी तिथि, व्रत कथा और महत्व
तिथि

एकादशी कब है? 2025 की एकादशी तिथि, व्रत कथा और महत्व

inder.creator@gmail.com
Last updated: March 12, 2025 9:09 am
inder.creator@gmail.com
Share
2025 में एकादशी कब है? जानें सभी एकादशी व्रत तिथियां, महत्व, पूजा विधि और व्रत कथा
SHARE

एकादशी कब है? (ekadashi kab hai)

एकादशी का व्रत हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। हर माह में दो बार एकादशी तिथि आती है – एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में। इस दिन व्रत रखने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। भक्तजन इस दिन भगवान विष्णु की आराधना कर विशेष फल प्राप्त करते हैं। यदि आप जानना चाहते हैं कि आगामी एकादशी कब है, तो हमारे विस्तृत कैलेंडर के माध्यम से तिथि, समय और पूजा विधि की पूरी जानकारी प्राप्त करें। शुभ फल प्राप्ति के लिए एकादशी का व्रत अवश्य करें।

Contents
एकादशी कब है? (ekadashi kab hai)2025 की प्रमुख एकादशी तिथियांएकादशी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्वधार्मिक महत्वआध्यात्मिक महत्वएकादशी व्रत क्यों रखा जाता है?1. धार्मिक कारण2. आध्यात्मिक कारण3. वैज्ञानिक कारण4. सामाजिक कारणइस महीने की एकादशी कब है?एकादशी व्रत की तैयारी और पूजन विधि1. एकादशी व्रत की तैयारी2. एकादशी पूजन विधि3. पारण (व्रत खोलने की प्रक्रिया)4. व्रत में ध्यान रखने योग्य बातेंनिष्कर्ष

2025 की प्रमुख एकादशी तिथियां

Ekadashi Dates 2025
एकादशी प्रकारप्रारंभ तिथि और समयसमाप्ति तिथि और समय
जनवरी 2025 में एकादशी (ekadashi january 2025)
शुक्ल पक्ष एकादशी (पौष पुत्रदा एकादशी)9 जनवरी, 12:2310 जनवरी, 10:20
कृष्ण पक्ष एकादशी (षट तिला एकादशी)24 जनवरी, 19:2525 जनवरी, 20:32
फरवरी 2025 में एकादशी (ekadashi february 2025)
शुक्ल पक्ष एकादशी (जया एकादशी)7 फरवरी, 21:268 फरवरी, 20:16
कृष्ण पक्ष एकादशी23 फरवरी, 13:5624 फरवरी, 13:45
मार्च 2025 में एकादशी (ekadashi march 2025)
शुक्ल पक्ष एकादशी (अमलकी एकादशी)9 मार्च, 07:4510 मार्च, 07:45
कृष्ण पक्ष एकादशी (पापमोचनी एकादशी)25 मार्च, 05:0526 मार्च, 03:45
अप्रैल 2025 में एकादशी (ekadashi april 2025)
शुक्ल पक्ष एकादशी (कामदा एकादशी)7 अप्रैल, 20:008 अप्रैल, 21:13
कृष्ण पक्ष एकादशी (वरुथिनी एकादशी)23 अप्रैल, 16:4324 अप्रैल, 14:32
मई 2025 में एकादशी (ekadashi may 2025)
शुक्ल पक्ष एकादशी (मोहिनी एकादशी)7 मई, 10:208 मई, 12:29
कृष्ण पक्ष एकादशी (अपरा एकादशी)23 मई, 01:1223 मई, 22:30
जून 2025 में एकादशी (ekadashi june 2025)
शुक्ल पक्ष एकादशी (निर्जला एकादशी)6 जून, 02:167 जून, 04:48
कृष्ण पक्ष एकादशी (योगिनी एकादशी)21 जून, 07:1922 जून, 04:28
जुलाई 2025 में एकादशी (ekadashi july 2025)
शुक्ल पक्ष एकादशी (शयनी एकादशी)5 जुलाई, 18:596 जुलाई, 21:15
कृष्ण पक्ष एकादशी (कामिका एकादशी)20 जुलाई, 12:1321 जुलाई, 09:39
अगस्त 2025 में एकादशी (ekadashi august 2025)
शुक्ल पक्ष एकादशी (श्रावण पुत्रदा एकादशी)4 अगस्त, 11:425 अगस्त, 13:12
कृष्ण पक्ष एकादशी (अजा एकादशी)18 अगस्त, 17:2319 अगस्त, 15:33
सितंबर 2025 में एकादशी (ekadashi september 2025)
शुक्ल पक्ष एकादशी (पार्श्व एकादशी)3 सितंबर, 03:534 सितंबर, 04:22
कृष्ण पक्ष एकादशी (इंदिरा एकादशी)17 सितंबर, 00:2217 सितंबर, 23:40
अक्टूबर 2025 में एकादशी (ekadashi october 2025)
शुक्ल पक्ष एकादशी (पापांकुशा एकादशी)2 अक्टूबर, 19:113 अक्टूबर, 18:33
कृष्ण पक्ष एकादशी (राम एकादशी)16 अक्टूबर, 10:3617 अक्टूबर, 11:12
नवंबर 2025 में एकादशी (ekadashi november 2025)
शुक्ल पक्ष एकादशी (प्रबोधिनी एकादशी)1 नवंबर, 09:122 नवंबर, 07:32
कृष्ण पक्ष एकादशी (उत्पन्ना एकादशी)15 नवंबर, 00:5016 नवंबर, 02:37
दिसंबर 2025 में एकादशी (ekadashi december 2025)
शुक्ल पक्ष एकादशी (मोक्षदा एकादशी)30 नवंबर, 21:291 दिसंबर, 19:01
कृष्ण पक्ष एकादशी (सफल एकादशी)14 दिसंबर, 18:5015 दिसंबर, 21:20
शुक्ल पक्ष एकादशी (पौष पुत्रदा एकादशी)30 दिसंबर, 07:5131 दिसंबर, 05:01

एकादशी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

एकादशी हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र तिथि मानी जाती है, जिसे भगवान विष्णु की आराधना और मोक्ष प्राप्ति का विशेष दिन माना जाता है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, एकादशी व्रत का पालन करने से मनुष्य के पाप नष्ट होते हैं और आत्मा को शुद्धि एवं शांति प्राप्त होती है।

धार्मिक महत्व

  1. भगवान विष्णु का दिन: एकादशी को भगवान विष्णु का प्रिय दिन कहा जाता है। इस दिन व्रत रखने से विष्णु जी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
  2. पापों से मुक्ति: पद्म पुराण और स्कंद पुराण जैसे धर्मग्रंथों में वर्णित है कि एकादशी व्रत करने से पूर्व जन्म के पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
  3. तीर्थों के समान फल: एकादशी व्रत का पुण्य फल गंगा स्नान या तीर्थ यात्रा के समान फलदायी माना जाता है।
  4. दान का महत्व: इस दिन अन्न, वस्त्र और जरूरतमंदों को दान करने का विशेष महत्व है, जिससे पुण्य की प्राप्ति होती है।

आध्यात्मिक महत्व

आत्म-संयम का अभ्यास: व्रत करने से इच्छाओं पर नियंत्रण रखने का अभ्यास होता है, जो आत्म-विकास और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।

मन की शुद्धि: एकादशी व्रत के दौरान उपवास और भजन-संकीर्तन करने से मन शांत होता है और आत्मा को आध्यात्मिक बल प्राप्त होता है।

ध्यान और साधना: इस दिन विशेष रूप से ध्यान, योग और मंत्र जाप करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक ऊंचाइयों को प्राप्त करने में सहायता मिलती है।

सकारात्मक ऊर्जा: एकादशी व्रत में सात्विक भोजन, उपवास और ध्यान से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

एकादशी व्रत क्यों रखा जाता है?

एकादशी व्रत हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पुण्यदायी व्रत माना गया है। यह व्रत केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक ही नहीं, बल्कि इसके पीछे आध्यात्मिक, वैज्ञानिक और स्वास्थ्यवर्धक कारण भी निहित हैं।

1. धार्मिक कारण

  • भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति:
    एकादशी को विष्णु भगवान का प्रिय दिन माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को सुख, शांति एवं समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
  • पापों से मुक्ति:
    धर्म ग्रंथों जैसे पद्म पुराण और विष्णु पुराण में उल्लेख है कि एकादशी व्रत के पालन से व्यक्ति के पूर्व जन्मों के पापों का नाश होता है।
  • मोक्ष प्राप्ति का मार्ग:
    एकादशी व्रत का पालन करने से व्यक्ति को मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है और मृत्यु के बाद बैकुंठ धाम में स्थान प्राप्त करने का सौभाग्य मिलता है।

2. आध्यात्मिक कारण

  • आत्म-संयम का अभ्यास:
    एकादशी व्रत में उपवास, ध्यान और मंत्र जाप करने से व्यक्ति की आत्मशक्ति प्रबल होती है। इससे मानसिक शांति और एकाग्रता में वृद्धि होती है।
  • मन एवं इंद्रियों का नियंत्रण:
    व्रत के दौरान सात्विक आहार, संयम और प्रार्थना से व्यक्ति अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रख पाता है, जिससे उसके भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

3. वैज्ञानिक कारण

  • पाचन तंत्र को आराम:
    एकादशी तिथि चंद्रमा के घटने-बढ़ने की स्थिति के बीच आती है, जिससे शरीर में जल तत्व अधिक सक्रिय होता है। इस दौरान उपवास करने से पाचन तंत्र को आराम मिलता है और शरीर को डिटॉक्स करने में सहायता होती है।
  • मानसिक स्थिरता:
    उपवास के दौरान कम ऊर्जा वाले भोजन के सेवन से मस्तिष्क शांत रहता है, जिससे चिंता, तनाव और अवसाद जैसी समस्याएं दूर होती हैं।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि:
    एकादशी व्रत के समय हल्का और सात्विक भोजन करने से शरीर में विषैले तत्व (टॉक्सिन्स) निकल जाते हैं, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

4. सामाजिक कारण

  • समाज में एकता का भाव:
    एकादशी व्रत के माध्यम से लोग सामूहिक रूप से भजन-कीर्तन, सत्संग और दान-पुण्य जैसे कार्यों में संलग्न होते हैं, जिससे समाज में एकता और सौहार्द का विकास होता है।

इस महीने की एकादशी कब है?

एकादशी तिथि

महीनाएकादशी का प्रकारआरंभसमाप्ति

एकादशी व्रत की तैयारी और पूजन विधि

एकादशी व्रत को सफलतापूर्वक संपन्न करने के लिए सही तैयारी और पूजन विधि का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। उचित तैयारी से व्रत का आध्यात्मिक और शारीरिक लाभ अधिक मिलता है। आइए जानते हैं एकादशी व्रत की संपूर्ण तैयारी और पूजन प्रक्रिया:


1. एकादशी व्रत की तैयारी

व्रत आरंभ करने से पूर्व कुछ महत्वपूर्ण तैयारियाँ आवश्यक होती हैं:

✅ संकल्प का निर्धारण:

  • एकादशी व्रत का संकल्प दशमी तिथि की रात्रि को किया जाता है। इस दिन सात्विक आहार लें और स्वयं को मानसिक एवं शारीरिक रूप से शुद्ध करें।
  • संकल्प के दौरान भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत के उद्देश्य को स्पष्ट करें।

✅ शुद्धि और सफाई:

  • व्रत के दिन स्नान के पश्चात घर के पूजा स्थान को स्वच्छ करें।
  • भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र को गंगाजल से स्नान कराकर उन्हें स्वच्छ वस्त्र पहनाएं।

✅ सात्विक आहार:

  • दशमी के दिन प्याज, लहसुन, मांसाहार और नशे से बचें।
  • केवल शुद्ध और सात्विक भोजन का सेवन करें।

2. एकादशी पूजन विधि

व्रत के दिन निम्नलिखित विधि से पूजा करना शुभ माना जाता है:

🔸 स्नान एवं ध्यान:

  • प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व स्नान करें और भगवान विष्णु का ध्यान करें।
  • स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूजा स्थान पर दीप जलाएं।

🔸 भगवान विष्णु का पूजन:

  • भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र को पीले फूलों की माला पहनाएं।
  • तुलसी पत्र, फल, पंचामृत और ऋतु अनुसार फल अर्पित करें।
  • विष्णु सहस्त्रनाम, श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ या ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें।

🔸 आरती एवं भजन:

  • पूजा के पश्चात श्री हरि विष्णु जी की आरती करें और भजन-कीर्तन का आयोजन करें।

🔸 व्रत का पालन:

  • एकादशी के दिन अन्न का त्याग कर केवल फलाहार करें।
  • जल का सेवन करते समय ध्यान रखें कि मन में सात्विक विचार बनाए रखें।

3. पारण (व्रत खोलने की प्रक्रिया)

  • द्वादशी तिथि को सूर्योदय के पश्चात व्रत का पारण करना आवश्यक है।
  • पारण के समय ब्राह्मणों को भोजन कराकर दक्षिणा दें।
  • स्वयं भी सात्विक भोजन ग्रहण करके व्रत पूर्ण करें।

4. व्रत में ध्यान रखने योग्य बातें

✅ व्रत के दौरान क्रोध, कटु वचन और नकारात्मक विचारों से बचें।
✅ इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है, अतः जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान अवश्य करें।
✅ एकादशी के दिन तुलसी के पौधे का पूजन और दीपदान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।


निष्कर्ष

एकादशी व्रत की तैयारी और पूजन विधि का पालन करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक शांति, मानसिक स्थिरता और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। सही विधि से पूजन करने पर यह व्रत समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला और मोक्ष प्रदान करने वाला माना गया है।

Subscribe to Our Newsletter

Subscribe to our newsletter to get our newest articles instantly!

[mc4wp_form]
TAGGED: Ekadashi
Share This Article
Twitter Email Copy Link Print
Share
Previous Article जान्हवी कपूर का जन्मदिन: करियर और नेट वर्थ जान्हवी कपूर का जन्मदिन: 27 की हुईं बॉलीवुड दिवा, जानें उनकी लाइफस्टाइल, करियर और नेट वर्थ!
Next Article 2025 विवाह मुहूर्त – जनवरी से दिसंबर तक के शुभ विवाह तिथियाँ 2025 विवाह मुहूर्त – जनवरी से दिसंबर तक सभी शुभ विवाह तिथियाँ
Leave a comment

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Editor's Pick

Top Writers

Oponion

You Might Also Like

द्वितीया तिथि
तिथि

द्वितीया तिथि

द्वितीया तिथि, हिंदू पंचांग की दूसरी तिथि है, जो प्रत्येक पक्ष (शुक्ल और कृष्ण) में आती है। यह तिथि धार्मिक,…

6 Min Read
प्रतिपदा (प्रथमा) तिथि
तिथि

प्रतिपदा (प्रथमा) तिथि का महत्व, व्रत, पूजा, कथा और पर्व

Pratipada Tithi का वैदिक महत्व प्रतिपदा तिथि, जिसे प्रथमा भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग की पहली तिथि है। यह…

6 Min Read
त्यौहारतिथि

राम नवमी 2025: तिथि, महत्व, पूजा विधि, कथा और उत्सव के विशेष विचार

राम नवमी 2025 का महत्व और इसका सांस्कृतिक प्रभाव राम नवमी हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जिसे भगवान…

6 Min Read
त्यौहारतिथिपंचांग

मासिक शिवरात्रि 2025: तिथि, महत्व, व्रत विधि, कथा और पूजन विधान

मासिक शिवरात्रि 2025 का महत्व और धार्मिक प्रभाव मासिक शिवरात्रि (Masik Shivaratri) हिंदू धर्म में भगवान शिव की आराधना के…

6 Min Read
Aaj Kya Hai Aaj Kya Hai

AajKyaHai.com आपका अपना डिजिटल मंच है, जहाँ आपको प्रतिदिन की तिथि, पंचांग, राशिफल, त्यौहार, भक्ति सामग्री, प्रसिद्ध जन्मदिन और ज्योतिषीय जानकारियाँ एक ही स्थान पर मिलती हैं। हमारा उद्देश्य भारतीय संस्कृति, धार्मिक परंपराओं और दैनिक आवश्यक जानकारी को सरल, सटीक और रोचक तरीके से प्रस्तुत करना है।

Important Pages

  • Home
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Contact

Important Pages

Health

  • Medicine
  • Children
  • Coronavirus
  • Nutrition
  • Disease

Culture

  • Stars
  • Screen
  • Culture
  • Media
  • Videos

More

  • Fashion
  • Travel
  • Opinion
  • Science
  • Health

Subscribe

  • Home Delivery
  • Digital Subscription
  • Games
  • Cooking

© Aaj Kya Hai. All Rights Reserved. 2025

  • Home
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Contact
Go to mobile version
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?