संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) हिंदू धर्म में भगवान गणेश को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह चतुर्थी हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। इसे संकट हरण चतुर्थी भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन व्रत करने से सभी संकटों का नाश होता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
यदि संकष्टी चतुर्थी मंगलवार के दिन आती है, तो इसे अंगारकी चतुर्थी कहा जाता है, जिसे अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा, व्रत और चंद्रमा के दर्शन से मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
संकष्टी चतुर्थी 2025 कब है? (Sankashti Chaturthi 2025 Dates & Time)
संकष्टी चतुर्थी वर्षभर में 12 बार मनाई जाती है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण होती है माघ मास की संकष्टी चतुर्थी, जिसे तिलकुट चतुर्थी भी कहा जाता है।
नीचे 2025 में पड़ने वाली सभी संकष्टी चतुर्थी की तिथियाँ दी गई हैं:
महीना | तिथि (IST) | वार |
---|---|---|
जनवरी | 19 जनवरी 2025 | रविवार |
फरवरी | 18 फरवरी 2025 | मंगलवार (अंगारकी चतुर्थी) |
मार्च | 19 मार्च 2025 | बुधवार |
अप्रैल | 17 अप्रैल 2025 | गुरुवार |
मई | 17 मई 2025 | शनिवार |
जून | 15 जून 2025 | रविवार |
जुलाई | 15 जुलाई 2025 | मंगलवार |
अगस्त | 13 अगस्त 2025 | बुधवार |
सितंबर | 12 सितंबर 2025 | शुक्रवार |
अक्टूबर | 12 अक्टूबर 2025 | रविवार |
नवंबर | 10 नवंबर 2025 | सोमवार |
दिसंबर | 10 दिसंबर 2025 | बुधवार |
व्रत पारण (व्रत खोलने का समय)
- व्रत पारण चंद्र दर्शन के बाद किया जाता है।
- प्रत्येक संकष्टी चतुर्थी को रात्रि 08:00 बजे से 10:00 बजे के बीच चंद्रमा के दर्शन किए जाते हैं।
संकष्टी चतुर्थी का धार्मिक महत्व
1. संकटों से मुक्ति और मनोकामना पूर्ति
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है, जो भक्तों के सभी संकटों का नाश करते हैं। संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से जीवन में शांति, सफलता और सुख-समृद्धि आती है।
2. चंद्रमा के दर्शन का महत्व
इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत पूरा किया जाता है। यह परंपरा गणेश पुराण में वर्णित है, जिसके अनुसार चंद्र दर्शन से पुण्य प्राप्त होता है और पापों का नाश होता है।
3. बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति
भगवान गणेश को बुद्धि और ज्ञान का देवता माना जाता है। इस व्रत को करने से विद्यार्थियों को विशेष लाभ मिलता है और उनका एकाग्रता बढ़ती है।
संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा (Sankashti Chaturthi Vrat Katha)
1. गणेश जी और राजा के पुत्र की कथा
प्राचीन काल में एक राजा को संतान प्राप्ति नहीं हो रही थी। उन्होंने एक ऋषि से उपाय पूछा। ऋषि ने उन्हें संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने की सलाह दी।
राजा और उनकी रानी ने पूरी श्रद्धा से गणेश जी का व्रत किया। कुछ समय बाद, उनके यहाँ एक सुंदर और तेजस्वी पुत्र का जन्म हुआ।
इस कथा से यह प्रमाणित होता है कि संकष्टी चतुर्थी व्रत करने से संतान सुख और पारिवारिक समृद्धि प्राप्त होती है।
2. गणेश जी और चंद्रमा की कथा
एक बार गणेश जी अपने वाहन मूषक पर सवार होकर जा रहे थे। तभी उनका संतुलन बिगड़ गया और वे गिर गए। यह देखकर चंद्रमा हँसने लगा।
भगवान गणेश ने चंद्रमा को श्राप दिया कि जो भी उसे देखेगा, उस पर झूठा आरोप लगेगा। चंद्रमा ने क्षमा माँगी, तब गणेश जी ने कहा कि संकष्टी चतुर्थी के दिन उनके दर्शन करने से यह दोष समाप्त हो जाएगा।
तभी से संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रमा के दर्शन की परंपरा शुरू हुई।
संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि (Sankashti Chaturthi Puja Vidhi)
1. व्रत का संकल्प और स्नान
- प्रातः स्नान कर गणेश जी की पूजा का संकल्प लें।
- व्रत के दौरान अन्न, नमक और तामसिक भोजन का सेवन न करें।
2. भगवान गणेश की पूजा
- गणेश जी की मूर्ति को लाल वस्त्र पर विराजित करें।
- चंदन, रोली, अक्षत, दूर्वा, सुपारी और मोदक अर्पित करें।
- “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- गणेश चालीसा और व्रत कथा का पाठ करें।
3. चंद्रमा को अर्घ्य देना
- रात्रि में चंद्रमा के उदय होने के बाद उन्हें जल, दूध और फूल अर्पित करें।
- “ॐ सोम सोमाय नमः” मंत्र का जाप करें।
- इसके बाद व्रत तोड़ें और प्रसाद ग्रहण करें।
संकष्टी चतुर्थी व्रत करने के लाभ (Sankashti Chaturthi Vrat Benefits)
- सभी संकट और बाधाएँ दूर होती हैं।
- संतान सुख और पारिवारिक समृद्धि प्राप्त होती है।
- विद्यार्थियों को शिक्षा में सफलता मिलती है।
- व्यापार और नौकरी में उन्नति होती है।
- मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और मानसिक शांति मिलती है।
संकष्टी चतुर्थी पर किए जाने वाले विशेष उपाय (Sankashti Chaturthi Ke Upay)
- गणेश जी को 21 दूर्वा अर्पित करें – इससे आर्थिक समस्याएँ दूर होती हैं।
- चंद्रमा को दूध और जल अर्पित करें – इससे मानसिक शांति मिलती है।
- मूषक (चूहे) को गुड़-चना खिलाएँ – इससे भाग्य प्रबल होता है।
- गणेश जी के मंत्रों का जाप करें – “ॐ वक्रतुण्डाय हुं” मंत्र से संकट टलते हैं।
- गरीबों को भोजन और वस्त्र दान करें – इससे पुण्य की प्राप्ति होती है।
निष्कर्ष
संकष्टी चतुर्थी संकटों के नाश और गणेश जी की कृपा प्राप्त करने का पवित्र व्रत है। इस दिन व्रत, पूजा और चंद्र दर्शन करने से मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं, सुख-समृद्धि बढ़ती है और सभी बाधाएँ समाप्त होती हैं।
इस संकष्टी चतुर्थी 2025 को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाएँ और भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करें। 🙏✨