हिंदू धर्म में समय की गणना चंद्र कैलेंडर के अनुसार की जाती है, जिसमें एक मास को दो पक्षों में विभाजित किया जाता है— शुक्ल पक्ष (Shukla Paksh) और कृष्ण पक्ष (Krishna Paksh)। ये दोनों पक्ष चंद्रमा के घटने और बढ़ने के आधार पर निर्धारित होते हैं।
शुक्ल पक्ष उस अवधि को कहते हैं, जब अमावस्या के बाद चंद्रमा का आकार धीरे-धीरे बढ़ता है और पूर्णिमा को अपने पूर्ण स्वरूप में आ जाता है। इस अवधि में कुल 15 दिन होते हैं, जो “प्रतिपदा” से शुरू होकर “पूर्णिमा” तक चलते हैं। ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शुक्ल पक्ष को शुभ, ऊर्जा से भरपूर और सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। इस दौरान किए गए धार्मिक अनुष्ठान, व्रत, तथा अन्य शुभ कार्य अत्यंत फलदायी माने जाते हैं।
शुक्ल पक्ष का महत्व (Importance of Shukla Paksh)
हिंदू धर्म में शुक्ल पक्ष (Shukla Paksh) को अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। यह काल अमावस्या से पूर्णिमा तक चलता है, जिसमें चंद्रमा का आकार धीरे-धीरे बढ़ता है। इसे प्रकाश, उन्नति, और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। इस दौरान किए गए धार्मिक कार्य, व्रत, अनुष्ठान, और शुभ कर्म अत्यधिक फलदायी होते हैं।
शुक्ल पक्ष में किए जाने वाले शुभ कार्य
- विवाह, गृह प्रवेश, और नई चीज़ों की खरीदारी –
शुक्ल पक्ष में विवाह, गृह प्रवेश, या नए कार्यों की शुरुआत अत्यंत शुभ मानी जाती है। इस समय किए गए कार्य लंबे समय तक सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं। - धार्मिक अनुष्ठान, व्रत, और पूजा –
इस अवधि में सत्यनारायण व्रत, एकादशी व्रत, गणेश चतुर्थी, पूर्णिमा व्रत, और देवी पूजन विशेष फलदायी माने जाते हैं। शुक्ल पक्ष की एकादशी (Shukla Paksh ki Ekadashi) का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है। - शुक्ल पक्ष में संतान प्राप्ति के शुभ योग –
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शुक्ल पक्ष में गर्भधारण करने से संतान का भाग्यशाली और बुद्धिमान होना संभव होता है। कई लोग “शुक्ल पक्ष में पुत्र प्राप्ति के लिए डेट कैसे निकाले?” इस बारे में जानकारी प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं, क्योंकि यह अवधि संतान सुख के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है। - शुक्ल पक्ष में जन्मे बच्चों का स्वभाव –
शुक्ल पक्ष में जन्म लेने वाले बच्चे आमतौर पर सौम्य, तेजस्वी, और बुद्धिमान होते हैं। वे आत्मविश्वास से भरपूर होते हैं और जीवन में उन्नति प्राप्त करते हैं।
शुक्ल पक्ष 2025 का पंचांग (Shukla Paksh 2025 Calendar)
हिंदू धर्म में पंचांग का विशेष महत्व होता है, जिसके आधार पर शुभ तिथियों और त्योहारों का निर्धारण किया जाता है। शुक्ल पक्ष (Shukla Paksh) हर महीने अमावस्या के बाद शुरू होकर पूर्णिमा तक चलता है। इस दौरान चंद्रमा का आकार धीरे-धीरे बढ़ता है, जिसे सकारात्मक ऊर्जा, उन्नति, और शुभता का प्रतीक माना जाता है।
यदि आप जानना चाहते हैं कि “शुक्ल पक्ष कब होता है?”, तो नीचे 2025 में प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष की तिथियाँ दी गई हैं। इस सूची के माध्यम से आप जान सकते हैं कि “इस महीने में शुक्ल पक्ष कब है?” और अपने धार्मिक कार्यों की योजना बना सकते हैं।
2025 में शुक्ल पक्ष की तिथियाँ (Shukla Paksh 2025 Dates)
महीना (Month) | शुक्ल पक्ष आरंभ (Start Date) | शुक्ल पक्ष समाप्ति (End Date) |
---|---|---|
जनवरी 2025 | 9 जनवरी 2025 | 23 जनवरी 2025 |
फरवरी 2025 | 8 फरवरी 2025 | 22 फरवरी 2025 |
मार्च 2025 | 10 मार्च 2025 | 24 मार्च 2025 |
अप्रैल 2025 | 8 अप्रैल 2025 | 22 अप्रैल 2025 |
मई 2025 | 7 मई 2025 | 21 मई 2025 |
जून 2025 | 6 जून 2025 | 20 जून 2025 |
जुलाई 2025 | 5 जुलाई 2025 | 19 जुलाई 2025 |
अगस्त 2025 | 4 अगस्त 2025 | 18 अगस्त 2025 |
सितंबर 2025 | 2 सितंबर 2025 | 16 सितंबर 2025 |
अक्टूबर 2025 | 2 अक्टूबर 2025 | 16 अक्टूबर 2025 |
नवंबर 2025 | 1 नवंबर 2025 | 15 नवंबर 2025 |
दिसंबर 2025 | 1 दिसंबर 2025 | 15 दिसंबर 2025 |
शुक्ल पक्ष 2025 में एकादशी तिथियाँ (Shukla Paksh 2025 Ekadashi Dates)
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है। यह हर माह शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में दो बार आती है। एकादशी व्रत को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति का उत्तम साधन माना जाता है। शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि जो व्यक्ति नियमपूर्वक शुक्ल पक्ष की एकादशी का पालन करता है, उसे जीवन में सुख-समृद्धि, आध्यात्मिक उन्नति, और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथियों पर व्रत रखने से—
- जीवन के समस्त पापों का नाश होता है।
- घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
- यह व्रत मन और शरीर को पवित्र करता है तथा ध्यान और भक्ति में प्रगति करता है।
- भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
2025 में आने वाली प्रमुख शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथियाँ
एकादशी व्रत (Ekadashi Vrat) | तिथि (Date) | महत्व |
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माघ शुक्ल पक्ष एकादशी 2025 | 10 फरवरी 2025 | इसे जया एकादशी कहा जाता है। यह व्रत सभी प्रकार के पापों से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है। |
फाल्गुन शुक्ल पक्ष एकादशी (अमलकी एकादशी) | 12 मार्च 2025 | आंवला वृक्ष की पूजा इस दिन विशेष लाभकारी होती है। |
चैत्र शुक्ल पक्ष एकादशी (कामदा एकादशी) | 11 अप्रैल 2025 | यह व्रत सभी इच्छाओं की पूर्ति के लिए किया जाता है। |
वैशाख शुक्ल पक्ष एकादशी (मोहोनी एकादशी) | 10 मई 2025 | मोहोनी एकादशी पर व्रत रखने से मोह और अज्ञान का नाश होता है। |
आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी (देवशयनी एकादशी) | 7 जुलाई 2025 | इस दिन से भगवान विष्णु चार महीने के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं। |
कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी (देवउठनी एकादशी) | 9 नवंबर 2025 | इसे प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं और इस दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं। |
शुक्ल पक्ष की एकादशी क्यों महत्वपूर्ण होती है?
“Shukla Paksh ki Ekadashi” का हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व है। यह दिन विशेष रूप से सद्गति, मोक्ष, और पवित्रता का प्रतीक होता है।
- “शुक्ल पक्ष की एकादशी कब है?”
- “माघ शुक्ल पक्ष एकादशी 2025 की तिथि क्या है?”
- “कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी 2025 कब होगी?”
शुक्ल पक्ष 2025 में अन्य महत्वपूर्ण तिथियाँ (Important Dates in Shukla Paksh 2025)
शुक्ल पक्ष में कई महत्वपूर्ण तिथियाँ आती हैं, जिनका धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से विशेष महत्व होता है। इस दौरान व्रत, पर्व, और शुभ कार्यों का आयोजन किया जाता है। इस सेक्शन में, हम शुक्ल पक्ष की द्वितीया, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, और पूर्णिमा तिथियों के महत्व और 2025 में उनके आगमन की जानकारी देंगे।
1. शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 2025 (Shukla Paksh Dwitiya 2025)
द्वितीया तिथि प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन आती है। इस दिन चंद्र दर्शन को अत्यंत शुभ माना जाता है। द्वितीया तिथि पर किए गए दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है।
🔹 2025 में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथियाँ
- जनवरी – 10 जनवरी
- फरवरी – 9 फरवरी
- मार्च – 11 मार्च
- अप्रैल – 9 अप्रैल
- मई – 8 मई
- जून – 7 जून
- जुलाई – 6 जुलाई
- अगस्त – 5 अगस्त
- सितंबर – 3 सितंबर
- अक्टूबर – 3 अक्टूबर
- नवंबर – 2 नवंबर
- दिसंबर – 2 दिसंबर
✅ इस दिन श्री चंद्र देव की पूजा, सत्यनारायण व्रत कथा, और दान-पुण्य करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
2. शुक्ल पक्ष अष्टमी 2025 (Shukla Paksh Ashtami 2025)
शुक्ल पक्ष की अष्टमी विशेष रूप से माँ दुर्गा और देवी पूजन के लिए महत्वपूर्ण होती है। इस दिन दुर्गाष्टमी, राधाष्टमी, गौरी पूजन जैसे प्रमुख व्रत और त्यौहार मनाए जाते हैं।
🔹 2025 में शुक्ल पक्ष अष्टमी की तिथियाँ
- जनवरी – 16 जनवरी
- फरवरी – 14 फरवरी
- मार्च – 16 मार्च
- अप्रैल – 14 अप्रैल
- मई – 13 मई
- जून – 12 जून
- जुलाई – 11 जुलाई
- अगस्त – 10 अगस्त
- सितंबर – 8 सितंबर
- अक्टूबर – 8 अक्टूबर
- नवंबर – 7 नवंबर
- दिसंबर – 7 दिसंबर
✅ दुर्गाष्टमी व्रत करने से मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और नवदुर्गा की कृपा प्राप्त होती है।
3. आषाढ़ शुक्ल पक्ष नवमी 2025 (Ashadh Shukla Paksh Navami 2025)
आषाढ़ शुक्ल पक्ष नवमी का महत्व देवी पूजा और विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों में है। यह तिथि देवी सिद्धिदात्री, नवग्रह पूजन, और शक्ति आराधना के लिए जानी जाती है।
🔹 2025 में आषाढ़ शुक्ल पक्ष नवमी तिथि
📅 16 जुलाई 2025 (बुधवार)
✅ इस दिन विशेष रूप से माँ दुर्गा और नवग्रहों की पूजा करने से जीवन में सकारात्मकता बढ़ती है और कष्टों से मुक्ति मिलती है।
4. अन्य महत्वपूर्ण तिथियाँ (Other Important Dates in Shukla Paksh 2025)
तिथि (Date) | महत्व (Significance) |
---|---|
शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी | यह दिन भगवान शिव की पूजा और उपासना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। |
शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा | इस दिन सत्यनारायण व्रत कथा, गंगा स्नान, और दान-पुण्य करने से विशेष फल प्राप्त होता है। |
गणेश चतुर्थी | भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश उत्सव की शुरुआत होती है। |
देवशयनी एकादशी | इस दिन से भगवान विष्णु चार माह के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं। |
देवउठनी एकादशी | इस दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं और शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। |
शुक्ल पक्ष में प्रमुख त्योहार और व्रत (Festivals & Fasts in Shukla Paksh)
शुक्ल पक्ष हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ माना जाता है, और इस दौरान कई महत्वपूर्ण त्योहार और व्रत आते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि शुक्ल पक्ष में किए गए व्रत, पूजा, और अनुष्ठान विशेष फलदायी होते हैं और इससे व्यक्ति को आध्यात्मिक और भौतिक सुख की प्राप्ति होती है। नीचे शुक्ल पक्ष में आने वाले प्रमुख व्रत और त्योहारों की जानकारी दी गई है।
1. नवरात्रि (Navratri) – शक्ति साधना का पर्व
नवरात्रि वर्ष में दो बार आती है—
- चैत्र शुक्ल पक्ष (चैत्र नवरात्रि)
- आश्विन शुक्ल पक्ष (शारदीय नवरात्रि)
🔹 महत्व
- नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है।
- यह शक्ति उपासना का पर्व है, जिसमें व्रत, जप और ध्यान किया जाता है।
- इस दौरान देवी माँ के विभिन्न अवतारों की आराधना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
📅 2025 में नवरात्रि की तिथियाँ
- चैत्र नवरात्रि – 30 मार्च 2025 से 7 अप्रैल 2025 तक
- शारदीय नवरात्रि – 22 सितंबर 2025 से 2 अक्टूबर 2025 तक
✅ नवरात्रि में कलश स्थापना, कन्या पूजन और दुर्गा सप्तशती पाठ करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
2. गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) – भगवान गणेश का जन्मोत्सव
गणेश चतुर्थी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। इसे विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान गणेश का जन्मोत्सव मनाया जाता है।
🔹 महत्व
- भगवान गणेश सर्वप्रथम पूजनीय देवता हैं, जिनकी पूजा से सभी बाधाएँ दूर होती हैं।
- गणेश चतुर्थी पर गणपति स्थापना, मंत्र जाप और विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है।
- यह पर्व 10 दिनों तक चलता है और अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन किया जाता है।
📅 2025 में गणेश चतुर्थी की तिथि
- 29 अगस्त 2025 (शुक्रवार)
✅ इस दिन भगवान गणेश की विशेष आराधना करने से सभी प्रकार की विघ्न बाधाएँ दूर होती हैं।
3. देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) – भगवान विष्णु के जागरण का पर्व
देवउठनी एकादशी (जिसे प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं) कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं और सभी शुभ कार्यों की शुरुआत होती है।
🔹 महत्व
- भगवान विष्णु चार माह (चातुर्मास) की निद्रा के बाद जागते हैं।
- इस दिन से विवाह, गृह प्रवेश, व्यापार आदि शुभ कार्यों की शुरुआत की जाती है।
- इसे तुलसी विवाह का पावन दिवस भी कहा जाता है।
📅 2025 में देवउठनी एकादशी की तिथि
- 9 नवंबर 2025 (रविवार)
✅ इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
अन्य महत्वपूर्ण त्योहार और व्रत (Other Important Festivals & Fasts in Shukla Paksh)
त्योहार/व्रत | तिथि (2025 में) | महत्व |
---|---|---|
बसंत पंचमी | 2 फरवरी 2025 | माता सरस्वती की पूजा का विशेष दिन। |
होलिका दहन | 13 मार्च 2025 | बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व। |
रथ सप्तमी | 4 फरवरी 2025 | सूर्य देव की पूजा का विशेष अवसर। |
राम नवमी | 7 अप्रैल 2025 | भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव। |
बुद्ध पूर्णिमा | 12 मई 2025 | भगवान बुद्ध का जन्मदिन। |
गंगा दशहरा | 6 जून 2025 | गंगा नदी के पृथ्वी पर अवतरण का दिन। |
शुक्ल पक्ष 2025 से संबंधित महत्वपूर्ण FAQs
शुक्ल पक्ष क्या होता है? ▼
शुक्ल पक्ष हिंदू पंचांग के अनुसार वह समय होता है जब चंद्रमा अमावस्या से पूर्णिमा की ओर बढ़ता है। इस दौरान चंद्रमा का आकार धीरे-धीरे बढ़ता है, जिसे शुभ माना जाता है।
शुक्ल पक्ष 2025 में कब-कब आएगा? ▼
शुक्ल पक्ष 2025 में प्रत्येक माह अमावस्या के बाद शुरू होकर पूर्णिमा तक रहेगा। शुक्ल पक्ष 2025 कैलेंडर में इसकी संपूर्ण तिथियाँ दी गई हैं।
शुक्ल पक्ष में कौन-कौन से व्रत महत्वपूर्ण होते हैं? ▼
शुक्ल पक्ष में एकादशी, पूर्णिमा, गणेश चतुर्थी, नवरात्रि, देवउठनी एकादशी और अन्य प्रमुख व्रत आते हैं।
शुक्ल पक्ष में जन्म लेने वाले बच्चों का स्वभाव कैसा होता है? ▼
शुक्ल पक्ष में जन्मे बच्चे सौम्य, बुद्धिमान और आध्यात्मिक प्रवृत्ति वाले होते हैं। इनका स्वभाव शांत और सकारात्मक होता है।
क्या शुक्ल पक्ष में विवाह करना शुभ होता है? ▼
हाँ, शुक्ल पक्ष को विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण और अन्य शुभ कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।