कल की तिथि - Kal Ki Tithi

Kal Ki Tithi

अगर आप जानना चाहते हैं, कल कौन सी तिथि है ? कल है| भारतीय पंचांग के अनुसार, हर दिन की तिथि का अपना विशेष महत्व है। हम यहां आपको Kal Ki Tithi और उससे संबंधित जानकारी देने के लिए हैं। चाहे वह कोई विशेष पर्व हो या दैनिक तिथि, Aaj Kya Hai पर आपको मिलेगी हर दिन की सही और सटीक जानकारी। आइए, जानें कल की तिथि और उसका महत्व!

Calendar Design
Loading...

कल की तिथि लोड हो रही है

सूर्योदय
Sunrise
सूर्यास्त
Sunset
चंद्रोदय
Moonrise
चंद्रास्त
Moonset
Today's Date Hover Effect
Aaj Ki Tithi
हनुमान चालीसा

हनुमान चालीसा हिंदू धर्म के सबसे पवित्र और प्रभावशाली भजनों

ओम जय शिव ओंकारा

ओम जय शिव ओंकारा एक अत्यंत प्रसिद्ध और श्रद्धापूर्ण भजन है

16 Somvar Vrat Katha: भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने की सम्पूर्ण कथा

16 सोमवार व्रत और उसका महत्व सोमवार का दिन भगवान

Kal Ka Panchang
Loading...
Panchang
तिथि की परिभाषा और समयावधि

Tithi की परिभाषा (Definition of Tithi) तिथि हिंदू पंचांग का एक मुख्य घटक है, जो चंद्रमा की स्थिति के आधार पर निर्धारित होती है। भारतीय

तिथि का महत्व और धार्मिक परंपराएं

तिथि क्या है? तिथि, हिन्दू पंचांग का एक महत्वपूर्ण अंग है, जिसका धार्मिक, सांस्कृतिक और ज्योतिषीय महत्व है। तिथि, चंद्रमा की स्थिति के आधार पर

तिथियों के नाम और उनके अधिपति देवता

परिचय: तिथियों का महत्व हिन्दू धर्म में तिथियों का अत्यधिक धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व है। तिथियां पंचांग के मुख्य घटकों में से एक हैं, जिनका

विवाह और अन्य मांगलिक कार्यों में तिथि का महत्व

विवाह और मांगलिक कार्यों में तिथि का महत्व हिन्दू धर्म में तिथि का महत्व अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है, विशेष रूप से विवाह और अन्य मांगलिक

व्यापार और निवेश के लिए शुभ तिथियां

Business और Investment में शुभ तिथियों का महत्व व्यापार और निवेश हमारे जीवन के महत्वपूर्ण हिस्से हैं, और इनमें Success प्राप्त करने के लिए सही

Panchang ki Tithi और प्राकृतिक घटनाएं

Panchang हिन्दू धर्म में समय की गणना का एक प्रमुख साधन है। यह केवल तिथियों का ही विवरण नहीं देता, बल्कि इससे प्राकृतिक घटनाओं का

शुक्ल पक्ष 2024-25 | Shukla Paksha 2024-25

Shukla Paksha अमावस्या के बाद शुरू होता है और पूर्णिमा के दिन समाप्त होता है। इस अवधि में चंद्रमा की कलाएं प्रतिदिन बढ़ती हैं, और

कृष्ण पक्ष 2024-25 | Krishna Paksha 2024-25

Krishna Paksha वह समय होता है जब चंद्रमा की कलाएं घटती हैं और Purnima के बाद Amavasya की ओर बढ़ती हैं। इस अवधि को हिंदू

अमावस्या 2024 – 25 | Amavasya 2024 – 25

अमावस्या उस समय को कहा जाता है जब चंद्रमा दिखाई नहीं देता है और आकाश में केवल अंधकार होता है। Amavasya का महत्व केवल धार्मिक

पूर्णिमा 2024 – 25 | Purnima 2024 – 25

Purnima Tithi का धार्मिक महत्व अत्यधिक होता है। इस दिन चंद्रमा की पूरी कलाएं अपने चरम पर होती हैं और यह दिन पूजा-पाठ, व्रत, और

तिथि एक वैदिक ज्योतिषीय मापदंड है, जो चंद्रमा की सूर्य से दूरी के आधार पर निर्धारित की जाती है। जब चंद्रमा सूर्य से 12 अंश की दूरी पर होता है, तब एक नई तिथि की शुरुआत होती है। इस प्रकार, एक चंद्र मास में कुल 30 तिथियाँ होती हैं, जो 15-15 तिथियों के दो पक्षों में विभाजित होती हैं: शुक्ल पक्ष (चंद्रमा के बढ़ते समय) और कृष्ण पक्ष (चंद्रमा के घटते समय)।

Read This Also

भारतीय संस्कृति और वैदिक ज्योतिष में तिथियों का विशेष महत्व है। ये न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, बल्कि हमारे दैनिक जीवन और मानसिक अवस्था को भी प्रभावित करती हैं। “आज की तिथि” जानना इसलिए आवश्यक है ताकि हम समय के साथ सामंजस्य स्थापित कर सकें और अपने कार्यों को सही समय पर पूरा कर सकें। इस लेख में हम तिथियों का महत्व, उनकी गणना, और विभिन्न तिथियों की विशेषताओं को विस्तार से समझेंगे।


तिथियों के प्रकार और उनकी विशेषताएँ

भारतीय पंचांग में तिथियाँ दो पक्षों में विभाजित होती हैं – शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। प्रत्येक पक्ष में 15 तिथियाँ होती हैं, जिनमें से प्रत्येक तिथि का अपना विशेष महत्व और धार्मिक मान्यता है:

🌑 प्रथमा

नई शुरुआत का प्रतीक: चंद्रमा के विकास के पहले दिन का प्रतिनिधित्व करती है। इस दिन नए कार्यों की शुरुआत को शुभ माना जाता है।

🌒 द्वितीया

शुभ कार्यों के लिए आदर्श: धार्मिक दृष्टि से शुभ दिन, नए कार्यों और अनुष्ठानों के लिए उत्तम।

🌓 तृतीया

गंगा स्नान और व्रत: इस तिथि का विशेष महत्व गंगा स्नान और उपवास के लिए है। व्रत और तपस्या के लिए उत्तम माना गया है।

🌕 चतुर्थी

गणेश पूजा का दिन: गणेश जी की पूजा का विशेष महत्व, इसे संकटों का निवारण करने वाला दिन माना जाता है।

🌑 पंचमी

नाग पंचमी: विषैले जीवों से सुरक्षा के लिए यह तिथि महत्वपूर्ण। नाग पूजा और व्रत के लिए आदर्श दिन।

🌒 षष्ठी

संतान सुख और समृद्धि: भगवान कार्तिकेय की पूजा का दिन। परिवार की समृद्धि और संतान सुख के लिए शुभ।

🌓 सप्तमी

सूर्य पूजा का दिन: सूर्य देवता की पूजा का विशेष महत्व। आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से विशेष लाभ होता है।

🌕 अष्टमी

शक्ति और भक्ति का प्रतीक: दुर्गा अष्टमी और कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाई जाती है। भक्ति और शक्ति का संगम।

🌑 नवमी

शत्रुओं पर विजय: महानवमी और राम नवमी के रूप में मनाई जाती है। इस दिन शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने का विशेष महत्व है।

🌒 दशमी

विजय दशमी (दशहरा): बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक। रावण पर राम की विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

🌓 एकादशी

मोक्ष प्राप्ति का दिन: व्रत का विशेष दिन, जिसे पापों का नाश करने वाला माना जाता है। इस दिन व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

🌕 द्वादशी

व्रत का पारण: इस तिथि पर व्रत का पारण किया जाता है। व्रत समाप्त करने के लिए यह तिथि शुभ मानी जाती है।

🌑 त्रयोदशी

धन और स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण: त्रयोदशी पर धनतेरस और प्रदोष व्रत का पालन किया जाता है। यह तिथि धन और स्वास्थ्य के लिए शुभ मानी जाती है।

🌒 चतुर्दशी

शिवरात्रि व्रत: चतुर्दशी तिथि पर शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण तिथि।

🌕 पूर्णिमा/अमावस्या

पूर्णिमा: चंद्रमा का पूर्ण रूप से दर्शन और सत्यनारायण पूजा का विशेष दिन।
अमावस्या
:
चंद्रमा का अभाव और पितृ तर्पण के लिए महत्वपूर्ण दिन।

तिथियाँ हमारे जीवन में धार्मिक, सांस्कृतिक और व्यक्तिगत स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, तिथियों का सही ज्ञान और पालन हमें हमारे जीवन को संतुलित और सफल बनाने में सहायक होता है। तिथियों का यह ज्ञान न केवल हमारी धार्मिक आस्था को मजबूत करता है, बल्कि हमें समय के साथ समरसता में रहने का मार्ग भी दिखाता है।

भारतीय संस्कृति और वैदिक ज्योतिष में तिथियों का विशेष महत्व है। ये न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, बल्कि हमारे दैनिक जीवन और मानसिक अवस्था को भी प्रभावित करती हैं। “आज की तिथि” जानना इसलिए आवश्यक है ताकि हम समय के साथ सामंजस्य स्थापित कर सकें और अपने कार्यों को सही समय पर पूरा कर सकें। इस लेख में हम तिथियों का महत्व, उनकी गणना, और विभिन्न तिथियों की विशेषताओं को विस्तार से समझेंगे।


तिथियों के प्रकार और उनकी विशेषताएँ

भारतीय पंचांग में तिथियाँ दो पक्षों में विभाजित होती हैं – शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। प्रत्येक पक्ष में 15 तिथियाँ होती हैं, जिनमें से प्रत्येक तिथि का अपना विशेष महत्व और धार्मिक मान्यता है:

🌑 प्रथमा

🌱 नई शुरुआत का प्रतीक: चंद्रमा के विकास के पहले दिन का प्रतिनिधित्व करती है। इस दिन नए कार्यों की शुरुआत को शुभ माना जाता है।

🌒 द्वितीया

🌟 शुभ कार्यों के लिए आदर्श: धार्मिक दृष्टि से शुभ दिन, नए कार्यों और अनुष्ठानों के लिए उत्तम।

🌓 तृतीया

🛀 गंगा स्नान और व्रत: इस तिथि का विशेष महत्व गंगा स्नान और उपवास के लिए है। व्रत और तपस्या के लिए उत्तम माना गया है।

🌕 चतुर्थी

🙏 गणेश पूजा का दिन: गणेश जी की पूजा का विशेष महत्व, इसे संकटों का निवारण करने वाला दिन माना जाता है।

🌑 पंचमी

🐍 नाग पंचमी: विषैले जीवों से सुरक्षा के लिए यह तिथि महत्वपूर्ण। नाग पूजा और व्रत के लिए आदर्श दिन।

🌒 षष्ठी

👶 संतान सुख और समृद्धि: भगवान कार्तिकेय की पूजा का दिन। परिवार की समृद्धि और संतान सुख के लिए शुभ।

🌓 सप्तमी

☀️ सूर्य पूजा का दिन: सूर्य देवता की पूजा का विशेष महत्व। आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से विशेष लाभ होता है।

🌕 अष्टमी

💪 शक्ति और भक्ति का प्रतीक: दुर्गा अष्टमी और कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाई जाती है। भक्ति और शक्ति का संगम।

🌑 नवमी

🛡️ शत्रुओं पर विजय: महानवमी और राम नवमी के रूप में मनाई जाती है। इस दिन शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने का विशेष महत्व है।

🌒 दशमी

🏹 विजय दशमी (दशहरा): बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक। रावण पर राम की विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

🌓 एकादशी

मोक्ष प्राप्ति का दिन: व्रत का विशेष दिन, जिसे पापों का नाश करने वाला माना जाता है। इस दिन व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

🌕 द्वादशी

🕊️ व्रत का पारण: इस तिथि पर व्रत का पारण किया जाता है। व्रत समाप्त करने के लिए यह तिथि शुभ मानी जाती है।

🌑 त्रयोदशी

💰 धन और स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण: त्रयोदशी पर धनतेरस और प्रदोष व्रत का पालन किया जाता है। यह तिथि धन और स्वास्थ्य के लिए शुभ मानी जाती है।

🌒 चतुर्दशी

🕉️ शिवरात्रि व्रत: चतुर्दशी तिथि पर शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण तिथि।

🌕 पूर्णिमा/अमावस्या

🌕 पूर्णिमा: चंद्रमा का पूर्ण रूप से दर्शन और सत्यनारायण पूजा का विशेष दिन। 🌑 अमावस्या: चंद्रमा का अभाव और पितृ तर्पण के लिए महत्वपूर्ण दिन।

तिथियाँ हमारे जीवन में धार्मिक, सांस्कृतिक और व्यक्तिगत स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, तिथियों का सही ज्ञान और पालन हमें हमारे जीवन को संतुलित और सफल बनाने में सहायक होता है। तिथियों का यह ज्ञान न केवल हमारी धार्मिक आस्था को मजबूत करता है, बल्कि हमें समय के साथ समरसता में रहने का मार्ग भी दिखाता है।

कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न (Faq's)

“Aaj Ki Tithi” कैसे ज्ञात की जा सकती है?
“आज की तिथि” का पता लगाने के लिए भारतीय पंचांग या वैदिक कैलेंडर का उपयोग किया जा सकता है, जो चंद्रमा और सूर्य की स्थितियों पर आधारित होते हैं। पंचांग में तिथि, दिन, नक्षत्र, योग, और करण जैसी सूचनाएँ होती हैं। डिजिटल युग में, कई ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म, मोबाइल ऐप्स और वेबसाइट्स उपलब्ध हैं जो तिथि की जानकारी प्रदान करते हैं। साथ ही, समाचार पत्रों में भी दिन की तिथि का उल्लेख होता है जिससे धार्मिक अनुष्ठान और दिनचर्या निर्धारित की जा सकती है।

तिथि का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
तिथि का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव होता है। यह हमारी मानसिक और शारीरिक अवस्था, कर्मकांड, और दैनिक गतिविधियों को प्रभावित करती है। उदाहरण के लिए, शुभ तिथियाँ जैसे अक्षय तृतीया, दीवाली, या विवाह मुहूर्त का चयन तिथि के आधार पर होता है, जिससे जीवन में समृद्धि आती है। तिथि पर आधारित व्रत और पूजा से मानसिक शांति, स्वास्थ्य, और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है।

तिथि का निर्धारण कैसे होता है?
तिथि का निर्धारण चंद्रमा और सूर्य के बीच की कोणीय दूरी पर होता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, जब चंद्रमा सूर्य से 12 अंश की दूरी पर होता है, तो एक नई तिथि आरंभ होती है। इस तरह 12 अंश की प्रत्येक वृद्धि पर एक नई तिथि बनती है, जिससे एक चंद्र मास में 30 तिथियाँ बनती हैं, जिनमें 15 शुक्ल पक्ष और 15 कृष्ण पक्ष होते हैं। यह गणना वैदिक काल से प्रयोग में है।

शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में क्या अंतर है?
शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष चंद्रमा के दो चरण हैं। शुक्ल पक्ष अमावस्या से पूर्णिमा तक का समय है जब चंद्रमा का आकार बढ़ता है, इसे शुभ कार्यों के लिए अनुकूल माना जाता है। कृष्ण पक्ष पूर्णिमा से अमावस्या तक का समय है जब चंद्रमा घटता है। यह समय तपस्या और ध्यान के लिए उपयुक्त होता है।

एक ही तिथि पर दो दिन क्यों हो सकते हैं?
एक ही तिथि का दो दिनों तक जारी रहना पंचांग गणना का हिस्सा है। यदि कोई तिथि सूर्योदय के समय चल रही होती है और अगले दिन सूर्योदय से पहले समाप्त नहीं होती, तो वह दो दिनों तक मानी जाती है, जिसे “वृद्धि तिथि” कहते हैं। यह धार्मिक अनुष्ठानों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।

क्या “Aaj Ki Tithi” जानने से शुभ और अशुभ समय का पता लगाया जा सकता है?
हाँ, “Aaj Ki Tithi” के आधार पर शुभ और अशुभ समय का निर्धारण किया जा सकता है। भारतीय ज्योतिष में तिथि के साथ मुहूर्त का विशेष महत्व है। प्रत्येक तिथि के साथ एक शुभ मुहूर्त जुड़ा होता है जिसमें धार्मिक अनुष्ठान, विवाह, गृह प्रवेश जैसे कार्य करना लाभकारी माना जाता है। अशुभ तिथियों में कार्य करने से बचना चाहिए।

पूर्णिमा और अमावस्या तिथियों का महत्व क्या है?
पूर्णिमा और अमावस्या तिथियाँ हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। पूर्णिमा को चंद्रमा की पूर्ण उपस्थिति का प्रतीक माना जाता है, जिससे सकारात्मकता और मानसिक शांति मिलती है। इस दिन व्रत, सत्यनारायण पूजा, और दान-पुण्य करना शुभ माना जाता है। अमावस्या पर पितृ तर्पण और शांति पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन तामसिक शक्तियों का प्रभाव बढ़ जाता है, इसलिए ध्यान और पूजा की जाती है।

तिथि की गणना में चंद्र मास का क्या योगदान है?
तिथि की गणना चंद्र मास पर आधारित है। एक चंद्र मास में 30 तिथियाँ होती हैं, जो 15 शुक्ल पक्ष और 15 कृष्ण पक्ष में विभाजित होती हैं। चंद्र मास की गणना वैदिक ज्योतिष के अनुसार अत्यंत सटीक मानी जाती है, जो धार्मिक महत्व को समझने में सहायक है।